जगन्नाथ चंदन यात्रा क्या है? जानें इसके महत्व के बारे में

पुरी की रथ यात्रा के बारे में सभी को पता है, इसे देखने के लिए हर साल लाखों की भीड़ पुरी में इकट्ठी होती है। बता दें कि रथयात्रा के अलावा चंदन यात्रा भी होती है, जिसके बारे में सभी को नहीं पता।

 
what is chandan yatra
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ओडिशा के जगन्नाथ मंदिर की चंदन यात्रा का विशेष महत्व है, यह भी रथ यात्रा की तरह महत्वपूर्ण होती है। बता दें कि चंदन यात्रा का यह भव्य उत्सव करीब 42 दिनों तक चलता है। भगवान जगन्नाथ की चंदन यात्रा दो भागों में मनाया जाता है, एक हिस्सा मंदिर के अंदर और दूसरा मंदिर के बाहर। इस उत्सव के लिए खास तैयारी और व्यवस्था की जाती है। जिन लोगों को इस चंदन यात्रा के बारे में पता होता है, वो जरूर जगन्नाथ जी की चंदन यात्रा के दर्शन के लिए आते हैं।

क्या है चंदन यात्रा?

significance and story of jagannath chandan yatra

भगवान जगन्नाथ की चंदन यात्रा दो हिस्सों में मनाई जाती है, जिसमें पहला मंदिर के बाहर, जिसे बहरा चंदन यात्रा कहा जाता है और दूसरा मंदिर के अंदर (चंदन का पूजा-अनुष्ठान में महत्व)। मंदिर के बाहर वाली चंदन यात्रा अक्षय तृतीया के दिन शुरू होती है और अगले 21 दिनों तक चलती है। इस यात्रा के लिए भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के लिए खास रथों का व्यवस्था किया जाता है। इसके साथ ही मंदिर के सभी मुख्य देवताओं की पूजा अर्चना की जाती है और फिर इन सभी मूर्तियों को नरेंद्र तीर्थ तालाब ले जाया जाता है। 21 दिनों तक बाहर के चंदन यात्रा चलने के बाद भीतर चंदन यात्रा शुरू होती है। भीतर चंदन यात्रा में कई तरह के पूजा और अनुष्ठान होते हैं। इसके अलावा इस चंदन यात्रा के दौरान पड़ने वाली पूर्णिमा की रात, अमावस्या, षष्ठी और शुक्ल पक्ष की एकादशी को चंचल सवारी होती है।

जगन्नाथ में चंदन यात्रा क्यों की जाती है?

Chandan Yatra

धार्मिक मान्यताओं और पुराणों में लिखी कथाओं के मुताबिक हिंदू कैलेंडर में वैशाख और ज्येष्ठ मास में बहुत अधिक गर्मी पड़ती है। इस दौरान भगवान जगन्नाथको अधिक गर्मी न लगे और उन्हें इस गर्मी के मास में गर्मी से राहत पहुंचाने के लिए कई तरह की व्यवस्था की जाती है। इसके अलावा भगवान जगन्नाथ के चंदन से श्रृंगार भी किया जाता है, क्योंकि चंदन शीतलता प्रदान करती है। 21 दिनों तक मंदिर के अंदर होने वाले दैनिक अनुष्ठानों के अलावा और भी कई तरह की व्यवस्था की जाती है, जिससे भगवान को गर्मी न लगे। यह 42 दिनों तक चलने वाला पर्व जगन्नाथ वासियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, जिसमें भक्त बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं।

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Image Credit: Instagram Id niladrinath_hari, jagannath_mahaprabhu

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