(Shattila ekadashi 2024 date shubh muhurat and significance) हिंदू पंचांग के अनुसार माघ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को षटतिला एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस एकादशी के दिन तिल का 6 तरह से उपयोग किया जाता है। इसलिए इसे षटतिला कहा जाता है।
इतना ही नहीं तिल से भगवान विष्णु की पूजन करने पर मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है। अब ऐसे में षटतिला एकादशी कब है, शुभ मुहूर्त क्या है और पूजा का महत्व क्या है। इसके बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
हिंदू कैलेंडर के अनुसार षटतिला एकादशी माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि यानी कि दिनांक 05 फरवरी को शाम 05 बजकर 24 मिनट से लेकर इसका समापन दिनांक 06 फरवरी को 04 बजकर 07 मिनट पर होगा। उदया तिथि का ध्यान रखते हुए एकादशी का व्रत दिनांक 06 फरवरी दिन मंगलवार को रखा जाएगा।
दिनांक 06 फरवरी को षटतिला एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त (ब्रह्म मुहूर्त मंत्र) में स्नान करके पूजा-पाठ करने की परंपरा है। उस दिन ब्रह्म मुहूर्त सुबह 05 बजकर 30 मिनट से लेकर सुबह 06 बजकर 21 मिनट तक है।
इस दिन अभिजीत मुहूर्त का समय - दोपहर 12 बजकर 30 मिनट से लेकर दोपहर 01 बजकर 15 मिनट तक है।
पूजा का शुभ समय - सुबह 10 बजकर 02 मिनट से लेकर दोपहर 02 बजकर 18 मिनट तक है। यह समय पूजा करने के लिए बेहद शुभ है।
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षटतिला एकादशी के व्याघात योग भी बना रहा है। जो सुबह 08 बजकर 50 मिनट से लेकर अगले दिन सुबह 06 बजकर 09 मिनट तक है। उस दिन ज्येष्ठ नक्षत्र सुबह 07 बजकर 35 मिनट तक है। उसके बाद मूल नक्षत्र आरंभ हो जाएगा। इसलिए इस दौरान अगर आप कोई भी काम कर रहे हैं, तो उसमें आपको हजार गौ दान करने का शुभ फल प्राप्त होगा। साथ ही आपके जीवन में चल रही सभी परेशानियां भी दूर हो सकती है।
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षटतिला एकादशी के दिन जो व्यक्ति व्रत रखता है। उसे सभी पापों से छुटकारा मिल सकता है और वैकुंठ धाम की भी प्राप्ति हो सकती है। इस दिन नहाने के पानी में तिल डालकर स्नान करने से लाभ हो सकता है। साथ ही भगवान विष्णु (भगवान विष्णु मंत्र) की कृपा भी बनी रहेगी। इस दिन ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति जितना दान करता है। उसके स्वर्ग में रहने का सौभाग्य प्राप्त हो सकता है। इसलिए इस दिन तिल का दान अवश्य करें।
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