
सनातन धर्म में सर्व पितृ अमावस्या का विशेष महत्व है। इस दौरान पितरों की पूजा विधिवत रूप से करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा घर-परिवार के सभी सदस्यों पर पड़ती है। ऐसा माना जाता है कि सर्व पितृ अमावस्या के दिन अगर विधिवत रूप से दान-पुण्य किया जाए, तो पूजा का सीधा फल पूर्वजों तक पहुंचता है और उनकी आत्मा को शांति मिलती है।
पंचांग के हिसाब से अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को सर्व पितृ अमावस्या मनाई जातीहै। इस दिन सभी प्रकार के श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करने का विशेष महत्व है। कहते हैं कि पितृ दोष होने पर व्यक्ति को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। सर्व पितृ अमावस्या पर किए गए पिंडदान से पितृ दोष का निवारण होता है। सर्व पितृ अमावस्या का दिन सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठान है।
पिंडदान में तिल, जल और कुश आदि का उपयोग किया जाता है। श्राद्ध में अपने पूर्वजों के नाम पर भोजन बनाकर ब्राह्मणों को दान किया जाता है। इस दिन दान करना बहुत शुभ माना जाता है। आप अन्न, वस्त्र, धन आदि दान कर सकते हैं। इस दिन मंदिर जाकर भगवान विष्णु और पितरों का पूजन किया जाता है।
अब ऐसे में इस साल सर्व पितृ अमावस्या कब है, पितरों का श्राद्ध किस समय करना शुभ माना जाता है। साथ ही इस अमावस्या तिथि का महत्व क्या है। इसके बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से जानते हैं।

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल अश्विन माह के कृष्ण पक्ष अमावस्या तिथि का आरंभ 01 अक्टूबर मंगलवार को रात 9 बजकर 39 मिनट पर होगा। इस अमावस्या तिथि का समापन 2 अक्टूबर बुधवार को देर रात 12 बजकर 18 मिनट तक मान्य है। अब ऐसे में उदया तिथि के आधार पर सर्व पितृ अमावस्या 02 अक्टूबर बुधवार के दिन है।
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इस साल सर्व पितृ अमावस्या के दिन 03 शुभ योग बनने जा रहा है।
सर्व पितृ अमावस्या के दिन शुभ मुहर्त में पूजा करने से उत्तम परिणाम मिलने लग जाते हैं।

सर्व पितृ अमावस्या के दिन अपने पितरों के लिए श्राद्ध, पिंडदान, दान आदि का काम 11 बजे से लेकर दोपहर 03 बजकर 30 मिनट के बीच आप कभी भी कर सकते हैं।
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सर्व पितृ अमावस्या के दिन स्नान और दान करने से व्यक्ति को पुण्य प्राप्ति होती है। साथ ही पितरों के लिए तर्पण, पिंडदान, श्राद्ध आदि करने से पितरों का आशीर्वाद मिलता है। साथ ही सुख-शांति और समृद्धि की भी प्राप्ति होती है।
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Image Credit- HerZindagi
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