(Mother's Day 2024) मां को अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। वे हमारे जीवन में प्रेम, करुणा, त्याग, समर्पण, साहस, दृढ़ता, ज्ञान और शिक्षा का प्रतीक हैं। मां को जीवनदायिनी कहा जाता है। मां बच्चों को बिना शर्त के प्यार करते हैं। वह नौ महीने तक गर्भ में पल रहे है बच्चे का पालन-पोषण करती है। माँ का प्यार दुनिया का सबसे अनमोल होता है। मां हमेशा जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती हैं। मां त्याग और समर्पण की प्रतीक हैं। धार्मिक ग्रंथों में मां के बारे में वर्णन किया जाता है। मां से ऊंचा किसी का नहीं होती है। आइए मातृ दिवस के मौके पर इस लेख में रामायण काल की सबसे शक्तिशाली माताओं के बारे में विस्तार से जानते हैं। जिन्हें आज भी मातृत्व का उदाहरण दिया जाता है।
रामायण काल की माताएं
रामायण काल में अनेक महान मांताएं थीं। जिन्होंने अपनी शक्ति, बुद्धि और मातृत्व भाव से कई अद्भुत कार्य किए हैं।
मां कौशल्या
मां कौशल्या भगवान श्रीराम की माता थीं। मां कौशल्या अत्यंत धार्मिक और पतिव्रता थीं। उन्होंने मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम को जन्म देकर त्याग और मातृत्व का उदाहरण स्थापित किया। मां कौशल्या ने अपने पुत्र भगवान श्री राम के वनवास जाने पर अत्यंत त्याग का परिचय दिया। उन्होंने अपने पुत्र के प्रति प्रेम को त्यागकर राज्य और सुख-सुविधाओं का त्याग कर दिया। माँ कौशल्या अत्यंत साहसी स्त्री थीं। उन्होंने अपने पुत्र भगवान श्री राम के वनवास जाने के बाद अनेक कठिनाइयों का सामना किया, परंतु उन्होंने कभी हार नहीं मानी।
माता सीता
माता सीता, रामायण की महान नायिका और मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की पत्नी, मातृत्व भाव का अद्भुत उदाहरण हैं। सीता जी मां का प्रतीक हैं। उन्होंने लव-कुश नामक दो पुत्रों को जन्म दिया और उनका पालन-पोषण बड़े प्रेम और स्नेह से किया।
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माता कैकयी
रामायण में माता कैकयी की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण रही है। माता ने भरत को राज सिंहासन पर बैठाने के लिए भगवान श्रीराम को 14 साल का वनवास दिया था। लेकिन बाद में माता ने पश्चाताप भी किया था। श्रीराम के वनवास जाने के बाद वह दिन रात उनकी याद में रोती थीं।
मां मंदोदरी
मां मंदोदरी हमेशा सदैव सत्य और नीति के मार्ग पर चलती थी। उन्होंने मां सीता के प्रति सदैव सहानुभूति और मातृत्व भाव प्रदर्शित किया है।
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मां सुमित्रा
मां सुमित्रा, रामायण की एक महान पात्र हैं, जो अपनी मातृत्व भावना, त्याग और धैर्य के लिए सदैव स्मरण की जाती हैं। श्रीराम के वनवास के समय उन्होंने अत्यधिक पीड़ा का अनुभव किया। लक्ष्मण के भाई राम के प्रति अटूट प्रेम और समर्पण के कारण उन्हें वनवास में जाना पड़ा। शत्रुघ्न को भी भाई भरत के साथ वनवास जाना पड़ा था। इन सबके बावजूद, मां सुमित्रा सकारात्मक रहीं और अपने बच्चों को सदैव प्रेरित करती रहीं।
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