(Mahashivratri 2024 lord shiva puja time) हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि मनाई जाती है। शिव भक्तों के लिए यह दिन बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है. इस दिन भोलेनाथ के भक्त शिवजी की विशेष रूप से पूजा-पाठ करते हैं। महाशिवरात्रि का पर्व शिव जी की पूजा के लिए श्रेष्ठ माना गया है। ये शिव और शक्ति के मिलन का दिन है। अब ऐसे में इस दिन शिव जी की पूजा का समय क्या है और किस समय शिव जी की पूजा करने से शिव जी प्रसन्न हो सकते हैं। इसके बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
जानें महाशिवरात्रि 2024 के चार प्रहर मुहूर्त (Mahashivratri 2024 Char Prahar Puja Time)
महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा के लिए चार पहर बताए गए हैं।
- पहला रात्रि प्रहर पूजन समय - शाम 06 बजकर 25 मिनट से लेकर रात 09 बजकर 28 मिनट तक है।
- दूसरा प्रहर पूजन समय - रात 09 बजकर 28 मिनट से लेकर रात 12 बजकर 31 मिनट तक है।
- तीसरा प्रहर पूजन समय - प्रात: 12 बजकर 31 मिनट से लेकर प्रात: 03 बजकर 34 मिनट तक है।
- चौथा प्रहर पूजन समय - प्रात: 03 बजकर 34 मिनट से लेकप प्रात: 06 बजकर 37 मिनट तक है।
महाशिवरात्रि के दिन करें इस मुहूर्त में करें शिव पूजन (Mahashivratri 2024 shubh muhurat)
- ज्योतिषी के अनुसार पहला प्रहर भगवान शिव (भगवान शिव मंत्र) की पूजा करने के लिए बेहद शुभ माना जाता है। इसलिए अगर आप भगवान शिव की पूजा कर रहे हैं, तो इस समय कर सकते हैं। इसके अलावा आप नियम के अनुसार किसी भी प्रहर में भोलेनाथ की पूजा कर सकते हैं।
- ब्रह्म मुहूर्त (ब्रह्म मुहूर्त मंत्र) - सुबह 05 बजकर 15 मिनट से लेकर सुबह 06 बजकर 06 मिनट तक है।
- अभिजित मुहूर्त - दोपहर 12 बजकर 13 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 58 मिनट तक है।
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- अमृत काल - दोपहर 12 बजकर 02 मिनट से लेकक 01 बजकर 27 मिनट तक है.
- निशिता मुहूर्त - रात 12 बजकर 09 मिनट से लेकर देर रात 01 बजे तक है।
- सर्वार्थ सिद्धि योग - शाम 05 बजकर 42 मिनट से लेकर अगली सुबह 06 बजकर 56 मिनट तक है।
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महाशिवरात्रि के दिन करें इन मंत्रों का जाप (Chant these Mantras on Mahashivratri)
- ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
- ओम नमः शिवाय मंत्र
- नमो नीलकण्ठाय। ॐ पार्वतीपतये नमः। ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय।
- ॐ नमो भगवते रूद्राय ।
- ॐ महेश्वराय नम:। ॐ नमो नीलकण्ठाय। ॐ पार्वतीपतये नमः।
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