हिंदू धर्म में जगन्नाथ रथ यात्रा का विशेष महत्व है। रथ यात्रा, जिसे पुरी रथ यात्रा भी कहा जाता है, एक प्रमुख हिंदू त्योहार है जो भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की वार्षिक यात्रा का उत्सव मनाता है। यह यात्रा ओडिशा के पुरी शहर में जगन्नाथ मंदिर से शुरू होती है और 9 दिनों तक चलती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, रथ यात्रा का तिथि निर्धारण चंद्र कैलेंडर पर आधारित होता है। रथ यात्रा भगवान विष्णु के अवतार भगवान जगन्नाथ की भक्ति का प्रतीक है। यह त्योहार समानता और भाईचारे का संदेश देता है। रथ यात्रा पुरी शहर और ओडिशा राज्य के लिए एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और धार्मिक उत्सव है। लाखों श्रद्धालु हर साल रथ यात्रा में भाग लेने के लिए पुरी आते हैं। अब ऐसे में भगवान जगन्नाथ के नील माधव रूप की कथा बेहद रोचक है। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
भगवान जगन्नाथ के नील माधव रूप की कथा
नील माधव भगवान जगन्नाथ का मूल रूप माना जाता है। त्रेता युग में भगवान विष्णु ने दरारुब्रह्म नामक एक दिव्य वृक्ष से भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की मूर्तियां बनाई थीं। ये मूर्तियां पहले नीले रंग की थीं, इसलिए इन्हें नील माधव कहा जाता था। द्वापर युग में, भगवान कृष्ण के परपोते अभिमन्यु ने द्वारका पर कंस के आक्रमण से इन मूर्तियों को बचाने के लिए पुरी ले गए। रास्ते में, अभिमन्यु की मृत्यु हो गई और भगवान जगन्नाथ ने मूर्तियों को समुद्र में छिपा दिया। कई वर्षों बाद, राजा इंद्रद्युम्न को स्वप्न में भगवान जगन्नाथ ने दर्शन दिए और उन्हें मूर्तियों को खोजने का आदेश दिया। राजा इंद्रद्युम्न ने मूर्तियों को खोज निकाला और पुरी में जगन्नाथ मंदिर का निर्माण करवाया।
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भगवान जगन्नाथ के रथ यात्रा का महत्व क्या है?
भगवान विष्णु के अवतार भगवान जगन्नाथ की भक्ति का प्रतीक है। रथ यात्रा समानता और भाईचारे का संदेश देता है। पुरी शहर और ओडिशा राज्य के लिए महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और धार्मिक उत्सव है। जगन्नाथ जी का रथ यात्रा मोक्ष प्राप्ति का मार्ग है। ऐसी मान्यता है कि जो भक्त रथ यात्रा में शामिल होता है। उसे सभी पापों से छुटकारा मिल सकता है। साथ ही व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं भी पूरी हो सकती है। इतना ही नहीं, ऐसी मान्यता है कि भगवान जगन्नाथ के महाप्रसाद ग्रहण करने से ग्रह दोषों से छुटकारा मिल सकता है।
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