jyeshtha month 2025 kab hai

Jyeshtha Month Kab Se Shuru 2025: जेठ का महीना कब से हो रहा है शुरू? जानें नियम और महत्व

ज्येष्ठ माह का जितना धार्मिक महत्व है उतना ही ज्योतिष शास्त्र में भी विशेष स्थान मौजूद है। ऐसे में आइये जानते हैं कि कब से शुरू हो रहा है जेठ का महीना और इस माह में क्या करना चाहिए एवं क्या नहीं करना चाहिए।
Updated:- 2025-05-08, 16:20 IST

वैशाख पूर्णिमा के समापन के बाद हिन्दू वर्ष के तीसरे माह यानी कि ज्येष्ठ माह का आरंभ हो जाएगा। ज्येष्ठ माहको जेठ का महीना भी कहा जाता है। जेठ माह में मुख्य रूप से शनिदेव और भगवान विष्णु के त्रिविक्रम स्वरूप की पूजा का विधान है। ज्येष्ठ माह का जितना धार्मिक महत्व है उतना ही ज्योतिष शास्त्र में भी विशेष स्थान मौजूद है। ऐसे में ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं कि कब से शुरू हो रहा है जेठ का महीना और इस माह में क्या करना चाहिए एवं क्या नहीं करना चाहिए।

ज्येष्ठ माह 2025 कब से शुरू है?

पंचाग के अनुसार, वैशाख पूर्णिमा 12 मई को पड़ रही है। वहीं, ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि का आरंभ 12 मई, सोमवार के दिन रात 10 बजकर 25 मिनट पर हो रहा है और समापन 13 मई, मंगलवार के दिन को देर रात 12 बजकर 35 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, ज्येष्ठ माह का शुभारंभ 13 मई से होगा। सबसे शुभ संयोग यह है कि 13 मई से ही बड़े मंगल की शुरुआत हो रही है।

jyeshtha month 2025 mein kya kare kya nahi

ज्योतिष गणना के अनुसार, 13 मई के दिन वरीयान योग और विशाखा नक्षत्र में ज्येष्ठ माह शुरू होने वाला है। जहां एक ओर वरीयान योग ब्रह्म मुहूर्त से लेकर सुबह 5 बजकर 53 मिनट तक रहेगा तो वहीं, दूसरी ओर विशाखा नक्षत्र ब्रह्म मुहूर्त में अपना स्थान लेकर सुबह 9 बजकर 9 मिनट तक विद्यमान रहेगा। ऐसे में दोनों योगों में आप हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए दान आदि कर सकते हैं या व्रत का संकल्प ले सकते हैं।

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ज्येष्ठ माह 2025 में क्या करें क्या न करें?

ज्येष्ठ माह में सूर्य की प्रचंड गर्मी होती है, और ज्योतिष में सूर्य को ऊर्जा और जीवन शक्ति का प्रतीक माना गया है। इस महीने में प्रतिदिन सूर्योदय के समय सूर्य देव को जल अर्पित करना और उनकी पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इससे मान-सम्मान, आरोग्य और तेज में वृद्धि होती है। आप 'ऊँ घृणिः सूर्याय नमः' जैसे सूर्य मंत्रों का जाप भी कर सकते हैं।

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ज्येष्ठ माह में पड़ने वाले मंगलवार को 'बड़े मंगल' के रूप में विशेष रूप से मनाया जाता है। यह दिन भगवान हनुमान को समर्पित है। इस दिन हनुमान जी की पूजा-अर्चना करना, उन्हें सिंदूर और चमेली का तेल चढ़ाना, हनुमान चालीसा का पाठ करना और बूंदी के लड्डू का भोग लगाना बहुत फलदायी होता है। मान्यता है कि ऐसा करने से सभी प्रकार के कष्ट और संकट दूर होते हैं।

ज्येष्ठ माह में गर्मी बहुत अधिक होती है, इसलिए प्यासे लोगों और जानवरों को पानी पिलाना एक महान पुण्य का कार्य माना जाता है। राहगीरों के लिए पानी की व्यवस्था करना, प्याऊ लगाना या जरूरतमंदों को पानी की बोतलें दान करना शुभ होता है। इससे देवताओं की कृपा प्राप्त होती है। अपनी क्षमतानुसार गरीबों और जरूरतमंदों को अन्न और वस्त्र का दान करना भी इस महीने में बहुत महत्वपूर्ण माना गया है।

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भगवान विष्णु को तुलसी अत्यंत प्रिय हैं, और ज्येष्ठ माह में तुलसी के पौधे की पूजा करना और उसे जल देना शुभ माना जाता है। यदि संभव हो तो ज्येष्ठ माह में गंगा नदी में स्नान करना बहुत पवित्र माना जाता है। इस महीने में गंगा दशहरा का पर्व भी आता है, जो गंगा स्नान के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। ज्येष्ठ माह में शनि देव की पूजा करना भी लाभकारी माना जाता है, खासकर जिन लोगों की कुंडली में शनि से संबंधित कोई दोष हो।

jyeshtha month 2025 mein kya na kare

ज्येष्ठ माह में परिवार के बड़े बेटे या बेटी का विवाह करना शुभ नहीं माना जाता है। इसके पीछे कई कारण बताए जाते हैं। एक मान्यता यह है कि ज्येष्ठ, यानी बड़ा होने के कारण, इस महीने में विवाह करने से दंपत्ति के जीवन में कुछ परेशानियां आ सकती हैं या संबंधों में मधुरता की कमी हो सकती है या फिर बड़े बेटे या बेटी के जीवन में कोई संकट आ सकता है। हालांकि यह शास्त्रोक्त नहीं बल्कि लोक धारणा है।

ज्येष्ठ माह में विशेष रूप से क्रोध और अहंकार से बचने की सलाह दी जाती है। माना जाता है कि इस महीने में नकारात्मक भावनाएं अधिक प्रबल हो सकती हैं, इसलिए शांत और संयमित रहना महत्वपूर्ण है। ज्येष्ठ माह में किसी भी तरह के विवाद में पड़ने से या फिर किसी भी तरह का बुरा आचरण करने से शनि और सूर्य उस व्यक्ति की कुंडली में कमजोर पड़ जाते हैं और व्यक्ति के जीवन में संकट आने शुरू हो जाते हैं।

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image credit: herzindagi 

FAQ
ज्येष्ठ माह में किस की पूजा की जाती है?
ज्येष्ठ माह में भगवान विष्णु के त्रिविक्रम रूप की पूजा का विधान है। इसके अलावा, इस माह में हनुमान जी, सूर्य देव और शनिदेव की पूजा भी की जाती है। 
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