Jitiya Vrat Paran Vidhi 2024: जीतिया व्रत के अगले दिन किस विधि से करें व्रत का पारण, यहां जानें नियम

सनातन धर्म में सभी व्रत और त्योहारों का विशेष महत्व है। वहीं आश्विन माह की अष्टमी तिथि के दिन जीतिया व्रत रखने की परंपरा है। अब ऐसे में इस व्रत का पारण किस विधि से करने से लाभ हो सकता है। इसके बारे में विस्तार से जानते हैं। 
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सनातन धर्म में जीवित्पुत्रिका व्रत को सौभाग्यशाली माना जाता है। इस दिन सभी माताएं अपनी संतान की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं और भगवान जीमूतवाहन की पूजा-अर्चना विधिवत रूप से करती हैं। आपको बता दें, जितिया व्रत अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है। इस साल 25 सितंबर को जीवित्पुत्रिका व्रत रखने की मान्यता है।

अब ऐसे में जीतिया व्रत का पारण किस विधि से करने से लाभ हो सकता है। साथ ही व्रत पारण का महत्व क्या है। इसके बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।

जीवित्पुत्रिका व्रत का पारण किस विधि से करें?

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जीवित्पुत्रिका व्रत का पारण भी छठ की तरह ही किया जाता है। इस व्रत का पारण तीसरे दिन सूर्यदेव को अर्घ्य देने के बाद किया जाता है। जितिया व्रत के पारण में चावल, मरुवा की रोटी, तोरई, रागी और नोनी का साग खाने की परंपरा है। इन सभी चीजों के साथ ही व्रत का पारण विशेष रूप से किया जाता है।
पारण से पहले शरीर को शुद्ध किया जाता है। स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण किए जाते हैं।
पारण से पहले भगवान शिव और पार्वती की पूजा की जाती है।
भगवान शिव को जल अर्पित किया जाता है।
जीतिया व्रत का पारण करने के दौरान कुछ विशेष मंत्रों का जाप करना बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है।

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जीवित्पुत्रिका व्रत का पारण करने का महत्व क्या है?

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जीवित्पुत्रिका व्रत के पारण के साथ ही व्रत का पूरा चक्र पूरा होता है। व्रत के दौरान किए गए सभी उपवास, पूजा और मंत्र जाप का फल मिलता है। मां द्वारा रखा गया यह व्रत माँ और पुत्र के बीच के अटूट बंधन को दर्शाता है। पारण के समय मां अपने पुत्र को आशीर्वाद देती है और पुत्र अपनी मां का आशीर्वाद ग्रहण करता है।

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पारण के बाद मां को पुत्र का दीर्घायु, स्वस्थ जीवन और उज्ज्वल भविष्य प्राप्त होता है। पारण के समय देवी-देवता प्रसन्न होते हैं और व्रत करने वाली महिला को आशीर्वाद देते हैं। यह व्रत मां और संतान के अटूट प्रेम को दर्शाता है। जो बेहद ही अनमोल मानी जाती है। यह व्रत सुख-संपत्ति और सौभाग्य का प्रतिक भी माना जाता है।

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Image Credit- HerZindagi

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