जन्माष्टमी भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव का पावन पर्व है। इस दिन भक्त उपवास रखते हैं और आधी रात में यानी कि 12 बजे श्री कृष्ण के बाल स्वरूप लड्डू गोपाल के जन्म के बाद उनकी पूजा-अर्चना करते हैं। ऐसा माना जाता है कि जन्माष्टमी का व्रत रखने से लड्डू गोपाल की असीम कृपा मिलती है और जीवन के दुखों से छुटकारा मिल जाता है। हालांकि शास्त्रों में यह बताया गया है कि जन्माष्टमी का व्रत रखते समय किन नियमों का पालन करना चाहिए ताकि व्रत का पूर्ण फल प्राप्त हो। ऐसे में ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं कि आखिर जन्माष्टमी के दिन कौन सी गलतियां करने से बचना चाहिए।
जन्माष्टमी के दिन न करें ये गलतियां
जन्माष्टमी के दिन भूलकर भी तुलसी के पत्ते न तोड़ें। भगवान श्री कृष्ण को तुलसी बहुत प्रिय है इसलिए पूजा के लिए तुलसी के पत्ते एक दिन पहले ही तोड़कर रख लें।
जन्माष्टमी के दिन लहसुन, प्याज और मांस-मदिरा का सेवन बिल्कुल न करें। यह दिन पूरी तरह से सात्विक भोजन और पूजा-पाठ के लिए समर्पित है।
अगर आप व्रत रख रहे हैं तो अन्न का सेवन बिल्कुल न करें। आप फल, दूध, दही और साबूदाने से बनी चीजें खा सकते हैं।
इस दिन किसी का भी अपमान न करें, खासकर घर के बुजुर्गों और जरूरतमंदों का। ऐसा करने से भगवान कृष्ण नाराज हो सकते हैं।
अगर आप घर में लड्डू गोपाल की पूजा करते हैं तो उन्हें अकेला न छोड़ें। उन्हें ठीक उसी तरह रखें जैसे घर के बच्चे को रखा जाता है। उनकी पूजा, श्रृंगार और भोजन का ध्यान रखें।
इस पावन दिन पर मन को शांत रखें और किसी से भी झगड़ा या बहस न करें। क्रोध और अपशब्दों का प्रयोग पूजा-पाठ के फल को नष्ट कर देता है।
जन्माष्टमी के व्रत और पूजा के नियम
जन्माष्टमी के व्रत और पूजा की तैयारी एक दिन पहले से ही शुरू कर दें। पूजा के लिए लड्डू गोपाल की पोशाक, श्रृंगार का सामान और भोग की सामग्री पहले ही तैयार कर लें।
जन्माष्टमी के दिन सुबह उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें। इसके बाद मन में व्रत का संकल्प लें कि आप पूरी श्रद्धा से व्रत रखेंगे। व्रत न रख पाएं तो भी पूर्ण श्रद्धा से नाम जाप करें।
पूजा करने से पहले पूरे घर और मंदिर की अच्छी तरह से सफाई करें। जहां लड्डू गोपाल को स्थापित करना है उस जगह को गंगाजल से शुद्ध करें।
रात में कृष्ण जन्म के समय लड्डू गोपाल को दूध, दही, शहद, घी और गंगाजल से स्नान कराएं जिसे 'पंचामृत स्नान' कहते हैं।
स्नान के बाद लड्डू गोपाल को साफ कपड़े पहनाएं और उनका श्रृंगार करें। उन्हें मोरपंख, बांसुरी और मुकुट जरूर पहनाएं।
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लड्डू गोपाल को झूले में बिठाकर झुलाएं। माना जाता है कि ऐसा करने से बाल कृष्ण बहुत प्रसन्न होते हैं।
लड्डू गोपाल को माखन-मिश्री, खीर, पंजीरी और पंचामृत का भोग लगाएं। ध्यान रहे कि तुलसी का पत्ता भोग में जरूर रखें।
रात 12 बजे कृष्ण जन्म के बाद ही पूजा करें और व्रत खोलें। व्रत खोलने से पहले लड्डू गोपाल को भोग लगाएं और फिर स्वयं प्रसाद ग्रहण करें।
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image credit: herzindagi
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