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Indira Ekadashi Vrat Katha 2025: क्यों रखा जाता है इंदिरा एकादशी का व्रत? जानें रोचक कथा

इस साल इंदिरा एकादशी 17 सितंबर, बुधवार को है। अगर आप भी यह व्रत रख रहे हैं, तो इससे जुड़ी कथा पढ़कर इसका महत्व समझें और साथ ही, भगवान विष्णु का आशीर्वाद भी प्राप्त करें।
Editorial
Updated:- 2025-09-15, 15:52 IST

इंदिरा एकादशी का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है क्योंकि यह पितृपक्ष के दौरान आती है। इस एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा करने से न केवल व्यक्ति के अपने पापों का नाश होता है, बल्कि उसके पितरों को भी मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन व्रत और श्राद्ध कर्म करने से पितृ दोष से भी मुक्ति मिलती है और घर में सुख-समृद्धि आती है। इस साल इंदिरा एकादशी 17 सितंबर, बुधवार को मनाई जाएगी। ऐसे में वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं इंदिरा एकादशी की व्रत कथा के बारे में।

इंदिरा एकादशी की व्रत कथा 

पौराणिक कथा के अनुसार, काशी नामक नगर में एक ब्राह्मण रहता था। उसका नाम धर्मदत्त था। धर्मदत्त एक नेक और धार्मिक व्यक्ति था, लेकिन उसका परिवार आर्थिक कठिनाइयों से गुजर रहा था। उसके माता-पिता और पत्नी की मृत्यु हो चुकी थी और उसकी कोई संतान भी नहीं थी।

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धर्मदत्त को कई बार यह आभास हुआ था कि उसके पितृ भी उसके प्रति चिंतित हैं जिसकी वजह से उन्हें मुक्ति या मोक्ष नहीं मिल पा रहा है। इसी वजह से वह भी अपने पितरों के प्रति हर समय परेशान रहता था। उनकी आत्मा की शांति के लिए भगवान से मंदिर जाकर प्रार्थना करता था।

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एक बार धर्म दत्त को मंदिर में एक ऋषि मिले जिनसे उसने अपनी अभी परेशानियों के बारे में बताया और इन सभी बाहर निकलने का मार्ग पूछा। तब ऋषि ने धर्मदत्त को अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी का व्रत रखने के लिए कहा। धर्म दत्त ने पूर्ण श्रद्धा और भक्ति से व्रत का पालन किया।

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धर्मदत्त ने ऋषि के कहे अनुसार 5 वर्षों तक लगातार एकादशी का व्रत रखा। इस व्रत से धर्मदत्त की इंद्रियां जाग उठीं और उसे ब्रह्म ज्ञान प्राप्त हुआ। साथ ही, भगवान विष्णु ने उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर उसे दर्शन दिए और धीरे-धीरे धर्मदत्त की आर्थिक स्थिति पहले से सुधरने लगी।

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व्रत के प्रभाव से धर्मदत्त के पितृ भी उसकी पूजा से प्रसन्न हुए और भगवान विष्णु की कृपा से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हुई। चूंकि इस एकादशी के व्रत के प्रभाव से धर्मदत्त की इंद्रियां जागृत हो गई थीं और उसे ब्रह्म ज्ञान मिला, इसी कारण से अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी का नाम इंदिरा एकादशी पड़ा।

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आप भी इस लेख में दी गई जानकारी के माध्यम से इंदिरा एकादशी की व्रत कथा के बारे में जान सकते हैं। अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।

image credit: herzindagi 

FAQ
इंदिरा एकादशी के दिन क्या दान करना चाहिए?
इंदिरा एकादशी के दिन अन्न और वस्त्रों का दान करना शुभ माना जाता है। 
इंदिरा एकादशी के दिन कौन सा दीपक जलाएं?
इंदिरा एकादशी के दिन घी या काले तिल का दीपक जलाएं।  
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