
सनातन धर्म में पवनपुत्र हनुमान का जन्मोत्सव चैत्र माह की पूर्णिमा तिथि के दिन मनाई जाती है। वहीं इस साल यह पूर्णिमा तिथि 12 अप्रैल को पड़ रही है। इस दिन ऐसी मान्यता है कि बजरंगबली की पूजा-अर्चना करने से व्यक्ति को मंगलदोष से छुटकारा मिल सकता है और सभी कष्टों से छुटकारा मिल सकता है। हनुमान जन्मोत्सव का व्रत मनोकामनाएं पूर्ति के लिए भी बेहद सौभाग्यशाली माना जाता है। आपको बता दें, हनुमान जन्मोत्सव के दिन बजरंगबली की पंचमुखी स्वरूप की पूजा का विशेष महत्व है। साथ ही इस दिन इन्हें किन चीजों का भोग लगाना चाहिए और आरती क्या है। इसके बारे में इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
अगर आप हनुमान जन्मोत्सव के दिन पंचमुखी बजरंगबली की पूजा कर रहे हैं तो पूरे विधि-विधान के साथ करें। इससे उत्तम परिणाम मिल सकते है।

पंचमुखी हनुमान की पूजा-अर्चना करने का विशेष महत्व है। घर में पंचमुखी हनुमान की प्रतिमा या यंत्र स्थापित करने से नकारात्मक ऊर्जा दूर रहती है। हनुमान जी शक्ति और साहस के प्रतीक हैं, और उनकी पूजा करने से भक्तों को सकारात्मक ऊर्जा और इच्छाशक्ति मिलती है। अगर किसी जातक के जीवन में कोई परेशानी आ रही है तो पंचमुखी हनुमान जी की पूजा करने से लाभ हो सकता है। पंचमुखी हनुमान की पूजा करियर, शिक्षा और व्यवसाय में सफलता मिलती है। साथ ही हनुमान जी का हयग्रीव मुख ज्ञान, बुद्धि और एकाग्रता प्रदान करता है, जो छात्रों और पेशेवरों के लिए लाभकारी है। उनका हनुमान मुख शारीरिक और मानसिक शक्ति प्रदान करता है, जिससे चुनौतियों का सामना करने में मदद मिलती है। नरसिंह मुख भय और चिंता को दूर करता है, जिससे भक्त निर्भीक बनते हैं। वराह मुख धन और समृद्धि लाता है, जिससे आर्थिक समस्याओं से मुक्ति मिलती है।
पंचमुखी हनुमान जी को इन चीजों का भोग लगाने से उत्तम फलों की प्राप्ति हो सकती है।
पंचमुखी हनुमान जी को मोतीचूर के लड्डू, बेसन के लड्डू, बूंदी के लड्डू का भोग विशेष रूप से लगाएं।
पंचमुखी हनुमान जी को गुड़ और चना का भोग लगाएं।
पंचमुखी हनुमान जी को केसरिया भात का भोग विशेष रूप से लगानी चाहिए।
पंचमुखी हनुमान जी को इमरती का भोग लगाने से उनकी कृपा बनी रहती है।
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जय जय जय बजरंगबली, पंचमुखी हनुमाना,
संकट हरन कृपानिधान, जय हनुमान वीरा।।
प्रथम मुख वानर विराजे, दूजे नरसिंह रूप धरे,
तीजे मुख गरुड़ सुहावे, चौथे हयग्रीव रूप धरे।
पंचम मुख प्रभु स्वयं विराजे, भक्तन के रखवारे,
दुष्ट दलन हे महावीर, शरणागत भय तारे।।
जय जय जय बजरंगबली, पंचमुखी हनुमाना,
संकट हरन कृपानिधान, जय हनुमान वीरा।।
पांच मुखों के तेज निराले, अद्भुत रूप अनूपा,
तीनों लोकों में गाजे, हनुमत बल का कूपा।
भूत प्रेत निकट न आवे, रोग शोक सब भागे,
जो सुमिरै हनुमत नाम, कष्ट क्लेश सब त्यागे।।
जय जय जय बजरंगबली, पंचमुखी हनुमाना,
संकट हरन कृपानिधान, जय हनुमान वीरा।।
आरती कीजै पंचमुखी की, श्रद्धा भाव से ध्यावो,
मनवांछित फल पाओगे, हनुमत कृपा से पाओ।
जयति जयति जय हनुमान, सकल गुण खानि,
कृपा करो हे देव, दास जानि अपनी।।
जय जय जय बजरंगबली, पंचमुखी हनुमाना,
संकट हरन कृपानिधान, जय हनुमान वीरा।।
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