वैदिक पंचांग के अनुसार हर साल ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा तिथि के दिन गायत्री जयंती मनाई जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन मां गायत्री की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और जीवन में खुशियों का आगमन होता है। अब ऐसे में इस साल गायत्री जयंती कब मनाई जाएगी। शुभ मुहूर्त क्या है। इसके बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
गायत्री जयंती कब है? (Gayatri Jayanti 2024 Date)
गायत्री जयंती 17 जून को मनाई जाएगी। इस दिन सूर्यदेव ने मां गायत्री को ब्रह्मा जी को सौंपा था। तभी से उन्हें ब्रह्माणी भी कहा जाता है। देवी गायत्री को ज्ञान का भंडार कहा जाता है। इसलिए इन्हें ज्ञान-गंगा भी कहते हैं।
गायत्री जयंती के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है? (Gayatri Jayanti 2024 Shubh Muhurat)
पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 17 जून को सुबह 04 बजकर 43 मिनट से आरंभ होगा और इसका समापन 18 जून सुबह 06 बजकर 24 मिनट पर होगा। इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 08 बजकर 53 मिनट से लेकर सुबह 10 बजकर 37 मिनट तक है।
गायत्री जयंती का क्या है महत्व? (Gayatri Jayanti 2024 Significance)
गायत्री जयंती, जिसे वेदमाता जयंती और ज्ञान दिवस के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को मनाया जाता है। गायत्री जयंती को ज्ञान और शिक्षा का पर्व माना जाता है। इस दिन लोग देवी गायत्री, जो वेदों की माता और ज्ञान की देवी हैं, उनकी पूजा करते हैं। यह दिन आध्यात्मिक जागरण का भी प्रतीक है। लोग गायत्री मंत्र का जाप करते हैं और ध्यान लगाते हैं, जिससे उन्हें आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त होती है। ऐसा माना जाता है कि गायत्री जयंती के दिन गायत्री मंत्र का जाप करने से पापों का नाश होता है और मन शुद्ध होता है। इस दिन देवी गायत्री की पूजा करने से सुख-समृद्धि, आरोग्य और दीर्घायु की प्राप्ति होती है। गायत्री जयंती के दिन दान-पुण्य करना भी बहुत पुण्यकारी माना जाता है।
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गायत्री जयंती क्यों मनाई जाती है? (why we celebrate Gayatri Jayanti)
गायत्री संहिता में लिखा है कि ‘भासते सततं लोके गायत्री त्रिगुणात्मिका॥’यानी मां सरस्वती, लक्ष्मी और मां काली का प्रतिनिधित्व करती हैं। मां गायत्री से आयु, प्राण, प्रजा, पशु, कीर्ति, धन एवं ब्रह्मवर्चस के सात प्रतिफल अथर्ववेद में बताए गए हैं। इनकी पूजा करने से व्यक्ति को सभी प्रकार के सुख की प्राप्ति होती है और सौभाग्य की भी प्राप्ति होती है। इसके साथ ही लंबी आयु का भी वरदान मिलता है।
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