गंगा, यमुना समेत अन्य पवित्र नदियों का है कई ग्रहों से संबंध, जानें इनके महत्व के बारे में

नदियों का संबंध न केवल धार्मिक मान्यताओं से है, बल्कि ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी ये बहुत मायने रखती हैं। हर एक नदी का संबंध किसी न किसी ग्रह से होता है, जो हमारे जीवन के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित करता है। आइए जानें नदियों के ग्रहों से संबंधों के बारे में।
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भारत में नदियों का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व बहुत ज्यादा है। मुख्य रूप से गंगा, यमुना और अन्य पवित्र नदियों का विशेष धार्मिक महत्व है। भारतीय संस्कृति में नदियां न केवल जल का स्रोत मानी जाती हैं बल्कि जीवन और आस्था का प्रतीक भी मानी जाती हैं। इन नदियों का संबंध सिर्फ पृथ्वी से नहीं, बल्कि अन्य ग्रहों और तत्वों से भी होता है। हिंदू धर्म में नदियों को देवी के रूप में पूजा जाता है और यह विश्वास किया जाता है कि इनका जल शुद्ध और शुभ होता है। जहां एक तरफ गंगा जो भगवान शिव की जटाओं से बहती हैं, वहीं यमुना का भगवान कृष्ण से गहरा नाता है। इन नदियों का संबंध न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि ज्योतिष शास्त्र में भी विशेष स्थान रखता है। सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बृहस्पति आदि ग्रहों का प्रभाव इन पवित्र नदियों पर पड़ता है और इनका जल पीने तथा इन नदियों में स्नान करने से जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं। ज्योतिष में इन नदियों के तत्वों का मिलाजुला प्रभाव मानव जीवन के विभिन्न पहलुओं पर पड़ता है। आइए डॉ. संदीप कोचर, सेलिब्रिटी एस्ट्रोलॉजर और लाइफ कोच से जानते हैं इन पवित्र नदियों का ग्रहों से संबंध और इनके महत्व के बारे में विस्तार से जानते हैं।

गंगा नदी का चंद्रमा से संबंध

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गंगा नदी और चंद्रमा का आपस में गहरा संबंध है। गंगा को 'मुक्तिदायिनी' कहा जाता है, जो जीवन में शांति और आध्यात्मिकता का प्रतीक है। ज्योतिष के अनुसार, चंद्रमा मन, भावनाओं और मानसिक शांति का प्रतिनिधित्व करता है। चंद्रमा की स्थिति यदि कमजोर हो, तो व्यक्ति मानसिक तनाव और अस्थिरता का अनुभव कर सकता है। डॉ. संदीप कोचर के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में चंद्रमा अशुभ स्थान पर हो, तो गंगा स्नान और पूजन के माध्यम से मानसिक संतुलन और शांति प्राप्त की जा सकती है। ज्योतिष मान्यता के अनुसार गंगा नदी का पवित्र जल नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करता है और सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाने में मदद करता है। गंगा स्नान न केवल आपको आध्यात्मिक लाभ देता है, बल्कि मानसिक तनाव को भी कम करता है। यह व्यक्ति को आंतरिक शांति प्रदान करने के साथ-साथ जीवन में संतुलन बनाए रखने में सहायक होता है। गंगा का महत्व इस बात से भी जुड़ा है कि इसका जल हमारे मनोभावों को शुद्ध करता है और सकारात्मकता का अनुभव कराता है। इसलिए, यदि आपकी कुंडली में चंद्रमा कमजोर हो, तो गंगा स्नान और उसकी पूजा एक प्रभावी उपाय साबित हो सकती है।

यमुना नदी का शुक्र ग्रह से संबंध

यमुना नदी का गहरा संबंध शुक्र ग्रह से है, जो प्रेम, सौंदर्य और भौतिक आनंद का प्रतिनिधित्व करता है। यदि आपकी कुंडली में शुक्र ग्रह कमजोर होता है, तो व्यक्ति के जीवन में वैवाहिक विवाद, आर्थिक समस्याएं और भौतिक सुख-सुविधाओं की कमी उत्पन्न हो सकती है। डॉ. कोचर बताते हैं कि यमुना में स्नान करने से शुक्र ग्रह की शक्ति को बढ़ाने में मदद मिलती है। यह दांपत्य जीवन को सुधारने, आपके सौंदर्य में वृद्धि करने और भौतिक समृद्धि की दिशा में सहायता करने में मदद करता है। यमुना का जल शुक्र की ऊर्जा को संतुलित करने में सहायक होता है और कुंडली में शुक्र को मजबूत करने में मदद करता है।

सरस्वती नदी का बुध ग्रह से संबंध

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सरस्वती नदी, जिसे विलुप्त नदी के रूप में पूजा जाता है, भारतीय संस्कृति और धर्म में ज्ञान और वाणी की देवी मानी जाती हैं। इस पवित्र नदी का संबंध ज्योतिष में बुध ग्रह से होता है। बुध ग्रह शिक्षा, तर्कशक्ति और संवाद को नियंत्रित करता है। यदि कुंडली में बुध ग्रह कमजोर हो, तो व्यक्ति को अध्ययन, संवाद, और तार्किक समझ में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। सरस्वती देवी की पूजा, उनकी आराधना और ध्यान बुध ग्रह के दोषों को दूर करने में सहायक होते हैं। यह न केवल बुद्ध ग्रह को मजबूत बनाते हैं, बल्कि व्यक्ति के विचारों को स्पष्टता और वाणी को मधुरता प्रदान करते हैं। इससे संवाद कौशल में सुधार होता है और ज्ञान प्राप्ति के मार्ग प्रशस्त होते हैं। मान्यता है कि सरस्वती देवी की कृपा से व्यक्ति को शिक्षा, संगीत और कला में उत्कृष्टता प्राप्त होती है।

शिप्रा नदी का मंगल ग्रह से संबंध

शिप्रा नदी उज्जैन क्षेत्र से बहती है और इसका गहरा संबंध मंगल ग्रह से होता है। मंगल ग्रह ऊर्जा, साहस और आत्मविश्वास का प्रतीक माना जाता है। यदि मंगल ग्रह की स्थिति अशुभ हो, तो यह व्यक्ति के जीवन में क्रोध, संघर्ष, और नकारात्मकता का संचार कर सकता है। ज्योतिष में मान्यता है कि शिप्रा नदी में स्नान करने से मंगल ग्रह से उत्पन्न दोषों को शांत किया जा सकता है। यह क्रिया व्यक्ति के भीतर साहस, ऊर्जा, और सकारात्मकता को बढ़ावा देती है। मंगल की शुभता से जीवन में स्थिरता और आत्मविश्वास का संचार होता है।

गोदावरी नदी का बृहस्पति से संबंध

गोदावरी नदी का संबंध गुरु ग्रह यानी कि बृहस्पति ग्रह से होता है, जो धर्म, ज्ञान, और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। यदि आपके जीवन में गुरु की स्थिति कमजोर है, तो व्यक्ति धार्मिकता एवं आध्यात्मिकता में कमी का अनुभव कर सकता है। गोदावरी में स्नान और उसकी पूजा करने से बृहस्पति के दोष को शांत करने में मदद मिलती है। यह व्यक्ति को धर्म, ज्ञान, और समृद्धि प्राप्त करने में सहायता प्रदान करता है। गुरु की सशक्तता जीवन में सकारात्मकता और आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार करती है।

नदियों का सांस्कृतिक और ज्योतिषीय महत्व

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भारत में नदियों का महत्व केवल धार्मिक अनुष्ठानों तक ही सीमित नहीं है बल्कि वे हमारे ग्रहों के प्रभाव को संतुलित करने और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाने का एक महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं। भारतीय संस्कृति में इन नदियों को देवी के रूप में पूजा जाता है, क्योंकि ये जीवनदायिनी होती हैं और हमारे अस्तित्व का आधार बनती हैं। इन नदियों की शक्ति केवल आध्यात्मिक नहीं है, बल्कि ज्योतिषीय दृष्टिकोण से यह हमारे जीवन के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित करती है। नदियों की पूजा और स्नान न केवल शरीर को शुद्ध करता है, बल्कि यह आत्मा और मन को भी शांति और स्थिरता प्रदान करता है।

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Images: freepik.com

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