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February First Pradosh Vrat 2025: फरवरी के पहले प्रदोष व्रत के दिन लाल धागे के साथ शिवलिंग की लगाएं परिक्रमा, मिलेगा मनचाहा फल

हिंदू धर्म में सभी प्रदोष व्रत को महत्वपूर्ण माना गया है। वहीं पंचांग के हिसाब से फरवरी माह का पहला प्रदोष व्रत सुख-सौभाग्य का कारक माना जा रहा है। अब ऐसे में अगर आप इस दिन भगवान शिव की पूजा कर रहे हैं तो शिवलिंग की परिक्रमा लाल धागे के साथ करने का महत्व क्या है। इसके बारे में इस लेख में विस्तार से जानते हैं।
Editorial
Updated:- 2025-02-04, 23:00 IST

हिंदू मान्यताओं के अनुसार, हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत रखा जाता है। इस दिन विधि विधान से शंकर जी की उपासना की जाती है, इस दौरान महिलाएं वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि के लिए उपवास भी रखती हैं। वहीं, इस साल फरवरी माह में आने वाले प्रदोष व्रत का महत्व कई गुना बढ़ गया है, क्योंकि यह शिव पार्वती के मिलन का महीना है। दरअसल, फरवरी माह में महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा, इसलिए भोलेनाथ की कृपा पाने के लिए भक्तों को कई अवसर प्राप्त हो रहे हैं। अब ऐसे में अगर आप फरवरी के पहले प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा कर रहे हैं तो शिवलिंग की परिक्रमा कच्चे सूत के साथ किस तरह करने से लाभ हो सकता है। इसके बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।

लाल धागे के साथ शिवलिंग की करें अर्ध परिक्रमा

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लाल रंग को शक्ति और ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। जब आप लाल धागे के साथ शिवलिंग की परिक्रमा करते हैं, तो यह आपकी ऊर्जा को जागृत करने और सकारात्मकता को आकर्षित करने में मदद करता है। लाल धागा आपके संकल्प को दर्शाता है। जब आप इसे शिवलिंग पर बांधते हैं, तो यह आपके संकल्प को पूरा करने में मदद करता है। इतना ही नहीं, लाल धागा एक सुरक्षा कवच के रूप में भी काम करता है। यह नकारात्मक ऊर्जा से आपकी रक्षा करता है और आपको बुरी नजर से बचाता है।

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इस विधि से लगाएं शिवलिंग की अर्ध परिक्रमा

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  • सबसे पहले, शिवलिंग को गंगाजल, दूध, दही, शहद और घी से स्नान कराएं।
  • फिर, शिवलिंग को साफ कपड़े से पोंछ लें।
  • इसके बाद, शिवलिंग पर लाल धागा लपेटें।
  • अब, शिवलिंग की आधी परिक्रमा करें। परिक्रमा हमेशा बाईं ओर से शुरू करें और जलाधारी तक जाकर विपरीत दिशा में लौटकर दूसरी ओर से फिर से परिक्रमा पूर्ण करें।

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  • परिक्रमा करते समय "ओम नमः शिवाय" मंत्र का जाप करें।
  • अंत में, भगवान शिव को फूल, बेलपत्र, धूप और दीप अर्पित करें।
  • शिवलिंग की परिक्रमा हमेशा आधी ही करनी चाहिए। पूरी परिक्रमा करने से ऊर्जा का प्रवाह बाधित हो सकता है।
  • अगर आप किसी मनोकामना को सिद्ध करना चाहते हैं तो लाल धागे को शिवलिंग पर लपेटकर अपनी मनोकामना मन में बोलें।

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Image Credit- HerZindagi

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