धनतेरस जिसे 'धन त्रयोदशी' भी कहा जाता है, दीपावली पर्व की शुरुआत का प्रतीक है। यह दिन न केवल धन के देवता कुबेर देव को समर्पित है बल्कि इस दिन आरोग्य के देवता भगवान धनवंतरि की पूजा का भी विधान है। मान्यता है कि इस शुभ दिन पर इन दोनों देवताओं की विधि-विधान से पूजा करने से घर में सुख, समृद्धि, धन और उत्तम स्वास्थ्य का वास होता है। धनतेरस के दिन पूजा हमेशा प्रदोष काल में करनी चाहिए क्योंकि यह इस दिन पूजा का श्रेष्ठ समय माना जाता है। ऐसे में वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं कुबेर देव और भगवान धनवंतरि की पूजा की सरल और संपूर्ण विधि एवं सामग्री के बारे में विस्तार से।
धनतेरस की पूजा के लिए आप सामग्री के तौर पर कुबेर देव औ भगवान धनवंतरि की प्रतिमा, नए बर्तन, घर में रखें या नए खरीदे गए सोने-चांदी के गहनें, चांदी के सिक्के, रोली या कुमकुम, अक्षत, शुद्ध जल, मिट्टी के 13 दीये औ 1 बड़ा चौमुखी दीया, घी या तेल, रुई की बाती और माचिस, भोग के लिए मिठाई या फल, धनिया के बीज, फूल और माला, दूर्वा घास, कलावा, धूप, अगरबत्ती और कपूर आदि शामिल कर सकते हैं।
कुबेर देव को यक्षों का राजा और धन का रक्षक माना जाता है। उनकी पूजा मुख्य रूप से धन की स्थिरता और समृद्धि के लिए की जाती है। सबसे पहले, पूजा चौकी पर भगवान कुबेर की प्रतिमा या चित्र को उत्तर दिशा की ओर मुख करके स्थापित करें क्योंकि यह उनकी दिशा मानी जाती है।
साथ में मां लक्ष्मी को भी रखें। कुबेर देव को सफेद चंदन, पीले चावल, पीले फूल और विशेष रूप से सिक्के या कौड़ियां अर्पित करें। इसके बाद, कुबेर देव को धूप-दीप दिखाएं और मिठाई, फल या गुड़-धनिया का नैवेद्य अर्पित करें। अगर आपके पास कुबेर यंत्र है तो उसे भी चौकी पर रखकर पूजा करें।
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धनतेरस के दिन अपनी तिजोरी या धन रखने के स्थान को साफ करके उसकी पूजा करें। तिजोरी के पास दीपक जलाना शुभ होता है। धन की वृद्धि और स्थिरता के लिए कुबेर देव के 'ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय नमः' मंत्र का जाप करते हुए प्रार्थना करें कि घर की बरकत बनी रहे।
भगवान धनवंतरि समुद्र मंथन के दौरान अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे इसलिए उन्हें आरोग्य और चिकित्सा का देवता माना जाता है। इनकी पूजा उत्तम स्वास्थ्य और रोगों से मुक्ति के लिए की जाती है। सबसे पहले, पूजा चौकी पर भगवान धनवंतरि की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
भगवान धनवंतरि को भगवान विष्णु का ही रूप माना जाता है और इनके हाथ में अमृत कलश होता है। भगवान धनवंतरि को पीला चंदन, पीले वस्त्र, और विशेष रूप से तुलसी के पत्ते अर्पित करें। आरोग्य के लिए उनसे प्रार्थना करें। इस दिन पीतल का बर्तन खरीदना शुभ होता है।
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भगवान धनवंतरि को घी और दूध से बनी मिठाई, मिश्री या माखन का भोग लगाएं। रोगों से मुक्ति और परिवार के उत्तम स्वास्थ्य के लिए 'ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वंतराये' मंत्र का जाप करें। अंत में आरती करें और सभी के मध्य प्रसाद बितरण करें।
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