
देव दीपावली का पर्व जिसे त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहते हैं, दीपों के माध्यम से अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है। यह वह पवित्र अवसर है जब देवता स्वयं स्वर्ग से धरती पर उतरकर गंगा में स्नान करते हैं और दीप जलाकर उत्सव मनाते हैं। इस दिन दीप प्रज्वलित करना केवल एक परंपरा नहीं बल्कि भगवान शिव और देवी-देवताओं को प्रसन्न करने का एक अनुष्ठान है जिससे घर में सुख-समृद्धि का वास होता है और सभी प्रकार की नकारात्मकता दूर होती है। देव दिवाली के दिन दीपदान का बहुत महत्व माना जाता है। वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने हमें बताया कि देव दिवाली के दिन जो भी कोई घर या गंगा घाट के किनारे दीपक जलाता है उसके जीवन में कभी भी धन-धान्य, आध्यात्मिकता, ज्ञान, सुख-सौभाग्य आदि का अभाव नहीं रहता है। ऐसे में आइये जानते हैं कि देव दिवाली के दिन घर और गंगा घाट पर कितने दीये जलाने चाहिए, क्या हैं दीये जलाए के नियम और उनसे जुड़े लाभ?
देव दिवाली के दिन घर में विषम संख्या में दीये जलाना बहुत शुभ माना जाता है, जैसे 5, 7, 11, 21, 51 या अपनी सामर्थ्य के अनुसार। यूं तो देव दिवाली के दिन 108 दीये घर में जलाना बहुत शुभ माना जाता है, मगर आप अपनी क्षमता अनुसार 5 दीये भी जला सकती हैं क्योंकि अंततः जरूरी ये है कि आप कितने भाव के साथ भगवान शिव का ध्यान करते हुए दीपक प्रज्वलित करते हैं।

देव दिवाली के दिन घर के मुख्य द्वार पर दीप जलाना शुभ होता है जिससे सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है। देव दिवाली के दिन घर के मंदिर में घी का दीपक जलाएं जो अखंड ज्योति का प्रतीक है। इसके अलावा, इस दिन तुलसी के पौधे के पास दीपक जलाने से माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की विशेष कृपा मिलती है। देव दिवाली के दिन तुलसी स्तोत्र का पाठ भी करना शुभ होता है।
वहीं, देव दिवाली के दिन घर के ईशान कोण में दीप जलाने से वास्तु दोष दूर होते हैं और शुभता आती है। देव दिवाली के दिन रसोईघर में दीप जलाना अन्नपूर्णा देवी का आशीर्वाद लाता है जिससे घर में कभी अन्न की कमी नहीं होती। अगर आपके घर में पानी का कोई स्रोत है, जैसे पानी से भरा मटका या पानी की टंकी तो यहां भी दीपक अवश्य जलाएं। इससे घर में पसरी बीमारी दूर हो जाती है।
गंगा घाट या किसी भी पवित्र नदी के तट पर देव दीपावली का उत्सव सबसे भव्य रूप से मनाया जाता है क्योंकि माना जाता है कि सभी देवता इस दिन गंगा में स्नान करने आते हैं। गंगा घाट पर या किसी भी पवित्र नदी के किनारे देव दिवाली के दिन कम से कम 11 या संकल्प के साथ किसी विशेष कार्य की पूर्ति के लिए 365 दीये जलाने चाहिए। इससे मां गंगा प्रसन्न होती है और आपकी मनोकामना भी पूरी हो जाती है।
मान्यता है कि इसी दिन भगवान शिव ने बुराई का नाश किया था और देवताओं ने खुशी मनाते हुए स्वर्ग में दीप जलाए थे। जब काशी और अन्य पवित्र शहरों में गंगा घाटों पर लाखों दीये जलाए जाते हैं तो यह माना जाता है कि हम उन्हीं देवताओं का स्वागत कर रहे होते हैं जो स्वर्ग से उतरकर धरती पर आते हैं। यह दृश्य स्वर्ग का प्रतिबिंब माना जाता है जहां दीपों की रोशनी गंगा के जल में मिलकर अद्भुत आभा पैदा करती है।
घाट पर दीये जलाना दीपदान कहलाता है जो एक महान पुण्य कर्म है। यह न केवल आपके घर में सुख-समृद्धि लाता है बल्कि यह आपके सभी पापों को नष्ट करने वाला भी माना जाता है। गंगा के पवित्र जल में दीयों को प्रवाहित करने से यह संदेश जाता है कि हम अपने जीवन के अंधकार को दूर कर रहे हैं और प्रकाश तथा ज्ञान को अपना रहे हैं। इस तरह, गंगा घाट पर दीप जलाकर भक्तजन भगवान शिव का आभार व्यक्त करते हैं।
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देव दिवाली के दिन दीये हमेशा प्रदोष काल में जलाएं। यह वह शुभ मुहूर्त है जब शिव जी ने त्रिपुरासुर का वध किया था और देवता पृथ्वी पर आए थे। दीपदान से पहले स्वयं स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। दीये जलाने के लिए गाय का घी सबसे उत्तम माना जाता है क्योंकि इससे देवताओं को शीघ्र प्रसन्नता मिलती है। अगर घी संभव न हो तो तिल के तेल का उपयोग भी किया जा सकता है।

दीये जलाते समय भगवान शिव, भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का स्मरण करें। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए उनके मंदिर में 8 या 12 मुखी दीपक जलाना बहुत शुभ माना जाता है। यह दिन भगवान शिव की विजय का पर्व है, इसलिए दीपदान करने से वे भक्तों के सभी कष्टों और पापों का नाश करते हैं। दीपदान से माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं जिससे घर में धन, वैभव और समृद्धि का वास होता है।
इस दिन दीप जलाने से स्वास्थ्य अच्छा रहता है और व्यक्ति की आयु लंबी होती है। दीये की रोशनी नकारात्मकता और घर के सभी दोषों को दूर करती है, जिससे जीवन में शांति और सकारात्मकता आती है। कार्तिक पूर्णिमा पर दीपदान को शास्त्रों में मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करने वाला एक महान पुण्य कर्म बताया गया है। देव दिवाली चूंकि कार्तिक पूर्णिमा के दिन आती है, ऐसे में इस दिन दीप दान करने से धन, वैभव, संतोष की प्राप्ति होती है।
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