
छठ पूजा के दौरान भगवान सूर्य को अर्घ्य देना सबसे महत्वपूर्ण और पवित्र अनुष्ठान माना जाता है। यह चार दिवसीय महापर्व के तीसरे और चौथे दिन किया जाता है। व्रती लगातार करीब 36 घंटे का निर्जला व्रत रखते हैं और नदी या तालाब के जल में खड़े होकर डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य देकर उनसे अपनी संतान, परिवार की सुख-समृद्धि और उत्तम स्वास्थ्य का आशीर्वाद मांगते हैं। यह अर्घ्य शुद्धता, समर्पण और प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने का सबसे बड़ा प्रतीक है। ऐसे में वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं कि छठ पूजा के दौरान इस साल क्या है सुबह और शाम सूर्य को अर्घ्य देने का शुभ मुहूर्त और विधि?
साल 2025 में छठ पूजा का संध्या अर्घ्य 27 अक्टूबर, सोमवार के दिन दिया जाएगा। पंचांग के अनुसार, सूर्यास्त का समय और संध्या अर्घ्य का शुभ मुहूर्त शाम 05 बजकर 40 मिनट से शुरू हो रहा है जो शाम 05 बजकर 47 मिनट तक रहेगा।

व्रती सूर्य देव के डूबने से पहले ही अपने परिवार के साथ नदी या तालाब के किनारे पहुंच जाते हैं। वे पानी में खड़े होते हैं। एक बांस की टोकरी (सूप या दउरा) में सभी प्रसाद जैसे ठेकुआ, चावल के लड्डू, विभिन्न प्रकार के फल और अन्य पूजा सामग्री सजाई जाती है।
व्रती सूप को अपने हाथ में या परिवार के किसी सदस्य के साथ पकड़कर दूध और जल से सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं। अर्घ्य देते समय सूर्य देव के मंत्रों का जाप किया जाता है। डूबते सूर्य को अर्घ्य देना जीवन के अंतिम पड़ाव का सम्मान करने और यह बताने का प्रतीक है कि हर अंत के बाद एक नई शुरुआत निश्चित होती है।
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साल 2025 में छठ पूजा का उषा अर्घ्य 28 अक्टूबर, मंगलवार के दिन दिया जाएगा। पंचांग के अनुसार, सूर्योदय का समय और उषा अर्घ्य का शुभ मुहूर्त सुबह लगभग 06 बजकर 30 मिनट से शुरू होगा जो सुबह 06 बजकर 37 मिनट तक रहेगा।

व्रती और श्रद्धालु रात भर या तड़के सुबह ही घाट पर पहुंच जाते हैं और सूर्योदय का इंतजार करते हुए जल में खड़े रहते हैं। सूर्य की पहली किरणें दिखते ही, व्रती पिछले दिन की तरह ही सूप में रखे प्रसाद के साथ, दूध और जल से उगते हुए सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं।
अर्घ्य देने के बाद, व्रती छठी मैया से सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मांगते हैं और घाट पर ही प्रसाद वितरण करते हैं। इसके बाद, व्रती प्रसाद ग्रहण करके अपना 36 घंटे का कठिन व्रत पारण करते हैं, जिसके साथ ही महापर्व का समापन हो जाता है। उगते सूर्य को अर्घ्य देना नई शुरुआत, आशा, जीवन शक्ति और प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने का प्रतीक है।
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