चैत्र नवरात्रि का सातवां दिन मां दुर्गा के सातवें स्वरूप मां कालरात्रि को समर्पित है। मां कालरात्रि को दुष्टों का विनाश करने वाली देवी माना जाता है। इस दिन भक्त मां कालरात्रि की पूजा करते हैं और उनसे अपने जीवन से सभी बुराइयों को दूर करने की कामना करते हैं। मां कालरात्रि का स्वरूप बहुत ही भयंकर है। उनका रंग काला है, उनके बाल बिखरे हुए हैं और उनकी चार भुजाएं हैं। उनके एक हाथ में तलवार है, दूसरे हाथ में लौह अस्त्र है, तीसरा हाथ अभय मुद्रा में है और चौथा हाथ वरद मुद्रा में है। मां कालरात्रि गधे पर सवार हैं। ऐसी मान्यता है कि मां कालरात्रि की पूजा करने से भक्तों के जीवन से सभी बुराइयां दूर हो जाती हैं।
भक्तों को शत्रुओं से मुक्ति मिलती है। भक्तों को भय और डर से मुक्ति मिलती है। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से व्रत कथा के बारे में जानते हैं।
मां कालरात्रि का रंग गहरा काला है। उनके बाल खुले हुए हैं और उनकी आंखें ब्रह्मांड के समान गोल हैं। उनके चार हाथ हैं, जिनमें से एक में तलवार है, एक में लौह अस्त्र है, एक वरमुद्रा में है और एक अभयमुद्रा में है। उनका वाहन गर्दभ (गधा) है।
पौराणिक कथा के अनुसार, रक्तबीज नामक एक राक्षस था। उसे वरदान प्राप्त था कि जब उसके रक्त की बूंद धरती पर गिरेगी, तो उस बूंद से एक और राक्षस उत्पन्न हो जाएगा। इस वरदान के कारण वह बहुत शक्तिशाली हो गया था और उसने देवताओं और मनुष्यों को आतंकित कर दिया था।
देवताओं ने भगवान शिव से सहायता मांगी। भगवान शिव ने उन्हें बताया कि केवल मां पार्वती ही रक्तबीज का वध कर सकती हैं। देवताओं की प्रार्थना पर, मां पार्वती ने मां कालरात्रि का रूप धारण किया। मां कालरात्रि ने रक्तबीज का वध करने के लिए युद्ध किया। जब रक्तबीज का रक्त धरती पर गिरा, तो मां कालरात्रि ने उस रक्त को अपने मुंह में भर लिया। इस प्रकार, उन्होंने रक्तबीज के सभी रूपों को समाप्त कर दिया और देवताओं और मनुष्यों को उसके आतंक से मुक्त कराया।
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मां कालरात्रि को गुड़ बहुत प्रिय है। इसलिए, नवरात्रि के सातवें दिन, भक्त देवी को गुड़ और इससे बनी चीजों का भोग लगाते हैं। मां कालरात्रि को गुड़ से बनी मिठाइयां जैसे गुड़ की चिक्की, गुड़ का हलवा, या गुड़ से बनी खीर का भोग लगाया जा सकता है। मालपुआ भी मां कालरात्रि का प्रिय भोग है। इसके अलावा मां कालरात्रि को शहद का भोग जरूर लगाएं। फलों में, मां कालरात्रि को केला, नारियल, और अनार का भोग लगाया जा सकता है।
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Image Credit- HerZindagi
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