सनातन धर्म में प्रदोष व्रत को पवित्र और महत्वपूर्ण माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन विशेष रूप से भगवान शिव की उपासना करने का विधान है। ऐसा कहा जाता है कि जो व्यक्ति प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा करता है, उसकी सभी समस्याएं दूर हो सकती है और मनोवांछित फलों की भी प्राप्ति हो सकती है। बता दें, इस साल 19 जून को बुध प्रदोष व्रत रखा जाएगा। बुधवार के दिन होने के कारण इसे बुध प्रदोष व्रत कहा जाता है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती के साथ-साथ भगवान गणेश की विधिवत रूप से पूजा करने से लाभ हो सकता है। वहीं बुध प्रदोष व्रत के दिन कुछ मंत्रों का जाप करने से सुख-शांति और समृद्धि की प्राप्ति हो सकती है। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
बुध प्रदोष व्रत के दिन महामंत्र का जाप
यह महामंत्र भगवान शिव का सबसे सरल और प्रसिद्ध मंत्र है। बुध प्रदोष व्रत के दिन इसका 108 बार जाप करने से मन शांत होता है, पापों का नाश होता है और भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। प्रदोष व्रत के दिन 'ॐ नमः शिवाय' का जाप कम से कम 108 बार अवश्य करें। इससे भगवान शिव की कृपा व्यक्ति पर बनी रहती है। साथ ही साधकों को ऐश्वर्य की प्राप्ति हो सकती है।
बुध प्रदोष व्रत के दिन करें महामृत्युंजय मंत्र का जाप
बुध प्रदोष व्रत के दिन महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना अत्यंत शुभ और फलदायी माना जाता है। महामृत्युंजय मंत्र भगवान शिव का एक पावन मंत्र है जिसे अमरत्व का मंत्र भी कहा जाता है। इस मंत्र का जाप करने से अकाल मृत्यु का भय दूर होता है, स्वास्थ्य में सुधार होता है और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।महामृत्युंजय मंत्र 'ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ।।
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भगवान शिव के गायत्री मंत्र का जाप
बुध प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव के गायत्री मंत्र का जाप करें। शिव गायत्री मंत्र मोक्ष प्राप्ति का द्वार माना जाता है। नियमित जाप करने से आत्मा शुद्ध होती है और मोक्ष का मार्ग मिलता है। भगवान शिव ज्ञान और विद्या के देवता हैं। उनके मंत्र का जाप करने से बुद्धि तेज होती है और ज्ञान और विद्या की प्राप्ति होती है। यह मंत्र स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है और रोगों को दूर करता है। शिव गायत्री मंत्र ग्रहों के दोषों को भी दूर करता है।
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥
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