गुप्त नवरात्रि के आठवे दिन मां बगलामुखी की पूजा की जाती है। दस महाविद्या की देवी मां बगलामुखी की पूजा अराधना करने के बाद उनकी आरती की जाती है। आरती के बाद माता को प्रसन्न करने के लिए मां की स्तुति करें। इस लेख में हमने मां बगलामुखी की स्तुति जरूर करें। इस लेख में हमने बगलामुखी की आरती और स्तुति दी है, इसे पूजा के बाद पढ़ें और मां को प्रणाम करें।
माँ बगलामुखी की आरती
जय बगलामुखी माता, मैया जय बगलामुखी माता।
अति प्रसिद्धि तुम्हारी, सब विधि मंगलदाता॥
धूप, दीप, फल, मेवा, माँ स्वीकारो प्यारी।
कण कण में माता रूप तुम्हारा, सब विधि मंगलकारी॥
रूप चतुर्भुजी तिहारा, पीलां वस्त्र सुहाए।
पीला चंदन गले माला, कंचन रूप बनाए॥
स्वर्ण सिंह पर आरूढ़ हो, स्वर्ण आभूषण पहने।
गरल सुधा मुख कर में धारण, श्री महाकाल को गहने॥
रक्त दन्त की गोधूम पिच्छल, कटि में कटार बाँधे।
मुण्डमाल से शोभित माता, संग योगिनी साधे॥
शत्रुहन्ता महिमा तिहारी, त्रिलोकी में बानी।
नाम तुम्हारो सुनते ही भवसागर सब तारे॥
जय बगलामुखी माता, मैया जय बगलामुखी माता।
अति प्रसिद्धि तुम्हारी, सब विधि मंगलदाता॥
माँ बगलामुखी की आरती के साथ-साथ भक्तजन उनके मंत्र और स्तोत्र का पाठ भी करते हैं। उनकी पूजा में पीले फूल, पीले वस्त्रऔर हल्दी का विशेष महत्व होता है। माँ बगलामुखी की कृपा से भक्तों को उनके जीवन में आने वाली सभी बाधाओं से मुक्ति और सफलता प्राप्त होती है।
मां बगलामुखी की स्तुति
ॐ जय बगलामुखि देवी,
तू है सदा संकट नाशिनी।
जय जय मातंगी,
सर्वदुष्टानां वाचं मुखं स्तंभय।
ॐ ह्लीं बगलामुखि,
सर्वगुणसम्पन्ना,
भक्तों की संकट दूर करने वाली।
जय बगलामुखि,
मातेश्वरी, हम सबकी रक्षा कर।
सर्वदोष विनाशिनी,
शत्रुओं का संहार करने वाली।
शांति, शक्ति और विजय का
आशीर्वाद हमें प्रदान कर।
ॐ श्री बगलामुखि नमः।
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Image Credit:baglamukhipuja
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