
8 नवंबर 2025 का दिन शनिवार है जो मुख्य रूप से शनिदेव को समर्पित होता है। पंचांग की मुख्य विशेषता यह है कि यह मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि का दिन है क्योंकि सुबह 7 बजकर 33 मिनट तक तृतीया तिथि रहेगी जिसके बाद चतुर्थी तिथि शुरू हो जाएगी और इस चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी के रूप में भी मनाया जाता है। इसलिए, इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने का विशेष महत्व होगा खासकर चंद्रोदय के समय जो रात 7 बजकर 57 मिनट के आसपास होगा। इसके अलावा, दिन का अधिकांश समय मृगशिरा नक्षत्र और शिव योग के संयोग में रहेगा जिससे यह दिन भगवान शिव और गणेश की कृपा पाने के लिए अत्यंत शुभ रहेगा, लेकिन चूंकि यह शनिवार है, इसलिए राहुकाल और यमगंड जैसे अशुभ समय का ध्यान रखना जरूरी है। ऐसे में आइये जानते हैं एमपी, छिंदवाड़ा के ज्योतिषाचार्य पंडित सौरभ त्रिपाठी से आज का पंचांग।
| तिथि | नक्षत्र | दिन/वार | योग | करण |
| मार्गशीर्ष कृष्ण तृतीया (सुबह 07 बजकर 32 मिनट तक)/चतुर्थी | मृगशिरा | शनिवार | शिव | विष्टि |

| प्रहर | समय |
| सूर्योदय | सुबह 06 बजकर 38 मिनट |
| सूर्यास्त | शाम 05 बजकर 31 मिनट |
| चंद्रोदय | शाम 07 बजकर 46 मिनट |
| चंद्रास्त | सुबह 09 बजकर 46 मिनट (अगले दिन) |
| मुहूर्त नाम | मुहूर्त समय |
| ब्रह्म मुहूर्त | सुबह 04:53 AM से 05:46 AM तक |
| अभिजीत मुहूर्त | दोपहर 11:43 AM से 12:26 PM तक |
| विजय मुहूर्त | दोपहर 01:53 PM से 02:37 PM तक |
| गोधूलि मुहूर्त | शाम 05:31 PM से 05:57 PM तक |
| मुहूर्त नाम | मुहूर्त समय |
| राहु काल | सुबह 09 बजकर 23 मिनट से 10 बजकर 44 मिनट तक |
| गुलिक काल | सुबह 06:42 AM से 08:02 AM तक |
| यमगंड | दोपहर 01:25 PM से 02:48 PM तक |
| भद्रा | 7 नवंबर की रात से शुरू होकर 8 नवंबर को सुबह 07 बजकर 32 मिनट तक |

8 नवंबर 2025 को हिन्दू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि है, और इस दिन का सबसे प्रमुख व्रत और त्यौहार गणाधिप संकष्टी चतुर्थी है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है ताकि जीवन के सभी कष्ट और बाधाएं दूर हों और शाम को चंद्रोदय होने पर चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का पारण किया जाता है जिससे भक्तों को सुख, सौभाग्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
8 नवंबर 2025 को शनिवार है और इस दिन गणाधिप संकष्टी चतुर्थी का भी संयोग बन रहा है, इसलिए इस दिन का सबसे उत्तम उपाय यह है कि आप सुबह स्नान के बाद सबसे पहले शनि देव की पूजा करें और उन्हें प्रसन्न करने के लिए सरसों के तेल का दीपक पीपल के पेड़ के नीचे जलाएं। साथ ही, गरीब या ज़रूरतमंद लोगों को काले तिल, काले वस्त्र या सरसों के तेल का दान करें जिससे शनि दोष शांत होते हैं। इसके अलावा, शाम को चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा करें, उन्हें दूर्वा अर्पित करें और चंद्रमा निकलने पर चंद्र दर्शन करके अर्घ्य दें इससे आपके सारे कष्ट दूर होंगे और जीवन में सुख-समृद्धि आएगी।
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