26 सितंबर 2025 के दिन शुक्रवार है। पंचांग अनुसार, आज का दिन नवरात्रि का चौथा दिन है यानी कि आज अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि है जो सुबह 9:32 बजे तक रहेगी, जिसके बाद पंचमी तिथि शुरू हो जाएगी। इसके अलावा, एमपी, छिंदवाड़ा के ज्योतिषाचार्य पंडित सौरभ त्रिपाठी ने हमें बताया कि नक्षत्रों के मामले में, विशाखा नक्षत्र रात 10:09 बजे तक रहेगा जिसके बाद अनुराधा नक्षत्र का आगमन होगा। इस दिन राहुकाल का समय सुबह 10:42 बजे से दोपहर 12:12 बजे तक रहेगा जिसे कोई भी शुभ कार्य शुरू करने के लिए अशुभ माना जाता है।
तिथि | नक्षत्र | दिन/वार | योग | करण |
अश्विन शुक्ल चतुर्थी/पंचमी | विशाखा | शुक्रवार | विष्कंभ | बव |
प्रहर | समय |
सूर्योदय | सुबह 6:11 बजे |
सूर्यास्त | शाम 06:13 बजे |
चंद्रोदय | सुबह 10:03 बजे |
चंद्रास्त | रात 08:33 बजे |
मुहूर्त नाम | मुहूर्त समय |
ब्रह्म मुहूर्त | सुबह 04:36 बजे से 05:24 बजे तक |
अभिजीत मुहूर्त | सुबह 11:48 बजे से दोपहर 12:36 बजे तक |
अमृत काल | दोपहर 12:15 बजे से 02:03 बजे तक |
विजय मुहूर्त | दोपहर 02:12 बजे से 03:00 बजे तक |
गोधुली मुहूर्त | शाम 06:13 बजे से 06:37 बजे तक |
मुहूर्त नाम | मुहूर्त समय |
राहु काल | सुबह 10:42 बजे से दोपहर 12:12 बजे तक |
गुलिक काल | सुबह 07:42 बजे से सुबह 09:12 बजे तक |
यमगंड | दोपहर 03:13 बजे से शाम 04:43 बजे तक |
दुर्मुहूर्त | सुबह 08:35 बजे से सुबह 09:23 बजे तक और दोपहर 12:36 बजे से दोपहर 01:24 बजे तक |
भद्रा | सुबह 06:11 बजे से सुबह 09:32 बजे तक |
26 सितंबर के दिन जहां एक ओर नवरात्रि की चतुर्थी और पंचमी तिथि है तो वहीं, दूसरी ओर आज के दिन उपांग ललिता व्रत भी है। दोनों पर्वों का अपना एक महत्व है।
नवरात्रि की चतुर्थी तिथि को मां कूष्मांडा की पूजा का बहुत खास महत्व है। उन्हें ब्रह्मांड की रचना करने वाली देवी माना जाता है, जिन्होंने अपनी हल्की सी मुस्कान से ही पूरे संसार की रचना की। इस दिन इनकी पूजा करने से भक्तों को सभी तरह के रोग और कष्टों से मुक्ति मिलती है। मां कूष्मांडा अपने भक्तों को लंबी उम्र, अच्छा स्वास्थ्य और जीवन में भरपूर शक्ति का आशीर्वाद देती हैं। उनकी पूजा से मन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और जीवन की हर मुश्किल का सामना करने का साहस मिलता है, इसलिए इस दिन इनकी पूजा करना बहुत ही फलदायी माना जाता है।
नवरात्रि की पांचवीं तिथि को मां स्कंदमाता की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन भक्त अपनी माता का आशीर्वाद पाने के लिए देवी स्कंदमाता की आराधना करते हैं। देवी अपनी गोद में भगवान कार्तिकेय को लिए हुए हैं, इसलिए उनकी पूजा से भक्तों को संतान सुख और मातृत्व का आशीर्वाद मिलता है। माना जाता है कि मां की पूजा से ज्ञान और बुद्धि में वृद्धि होती है और व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ता है। उनकी आराधना से जीवन के सभी दुख और बाधाएं दूर होती हैं और भक्तों को सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
उपांग ललिता व्रत का बहुत अधिक धार्मिक महत्व है, खासकर उन लोगों के लिए जो सुख, सौभाग्य और समृद्धि पाना चाहते हैं। यह व्रत देवी ललिता को समर्पित है, जिन्हें देवी शक्ति का ही एक रूप माना जाता है। इस व्रत को रखने से व्यक्ति को हर क्षेत्र में सफलता मिलती है, और जीवन की सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं। माना जाता है कि जो भक्त सच्ची श्रद्धा से यह व्रत रखते हैं, देवी ललिता उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं और उनके जीवन में खुशियों और ऐश्वर्य का आगमन होता है। यह व्रत विशेष रूप से महिलाओं के लिए बहुत फलदायी माना जाता है, क्योंकि यह उन्हें सौभाग्य और पति की लंबी उम्र का आशीर्वाद देता है।
26 सितंबर के दिन मां कूष्मांडा की पूजा करने के लिए आप कुछ खास उपाय कर सकते हैं। सुबह के समय जब चतुर्थी तिथि रहेगी, आप देवी को लाल गुड़हल का फूल और लाल रंग की चुनरी अर्पित करें। उनकी पूजा में मालपुआ का भोग लगाना बहुत शुभ माना जाता है। इसके साथ ही, आप देवी के मंत्र 'ॐ देवी कूष्मांडा नमः' का जाप कर सकते हैं। माना जाता है कि ऐसा करने से आपके सभी रोग और कष्ट दूर हो जाते हैं और आपको अच्छी सेहत का वरदान मिलता है।
जब पंचमी तिथि शुरू हो, तब आप मां स्कंदमाता की पूजा करें। इस दिन देवी को पीले रंग के फूल, जैसे गेंदा और केले जरूर अर्पित करें क्योंकि केला उन्हें बहुत प्रिय है। आप प्रसाद के रूप में केसर वाली खीर या कोई भी पीली मिठाई चढ़ा सकते हैं। मां स्कंदमाता की कृपा पाने के लिए आप उनके मंत्र 'या देवी सर्वभूतेषु मां स्कंदमाता रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥' का जाप कर सकते हैं। यह उपाय आपके जीवन में ज्ञान, सुख और संतान सुख लाता है।
वहीं, उपांग ललिता व्रत के लिए, इस दिन आप देवी ललिता की पूजा करें। इस व्रत का सबसे बड़ा उपाय है कि आप पूरे दिन उपवास रखें। पूजा के दौरान, देवी को लाल फूल, कुमकुम और लाल रंग के वस्त्र अर्पित करें। शाम के समय खीर या मीठे चावल का भोग लगाकर प्रसाद ग्रहण करें। यह व्रत खास तौर पर सौभाग्य, समृद्धि और परिवार की सुख-शांति के लिए किया जाता है। इन उपायों को सच्चे मन से करने पर देवी ललिता आपकी हर मनोकामना पूरी करती हैं।
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Image credit: herzindagi, gemini
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