
25 दिसंबर 2025, गुरुवार का दिन धार्मिक और ज्योति दृष्टि से विशेष महत्व रखता है आज के दिन पौष मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि है पंचमी तिथि पूर्ण तिथि की श्रेणी में आती है जो की आज दोपहर 1:44 तक रहेगी। ज्योतिष शास्त्र में पंचमी तिथि स्थिरता का प्रतीक माना जाती है जब भी पंचमी तिथि गुरुवार के दिन आती है तो यह है सिद्धि प्रदान करने वाली होती है इसीलिए इस दिन सिद्धि नामक योग भी बनता है।
गुरुवार के दिन की प्रथम होरा गुरु की होती है इसलिए इसका नाम गुरुवार होता है गुरुवार का दिन देव गुरु बृहस्पति को समर्पित होता है। ज्योतिष शास्त्र में देवगुरु बृहस्पति धर्म, ज्ञान, संतान, विवाह और भाग्य के कारक माने जाते हैं। पंचमी तिथि सफलता का प्रतीक है। अगर कोई व्यक्ति का कोई काम काफी दिन से अगर पेंडिंग चल रहा है तो आज उनके लिए यह दिन काफी अच्छा है।
इसके साथ ही आज चंद्रमा कुंभ राशि में है और धनिष्ठा नक्षत्र है। धनिष्ठा नक्षत्र परिश्रम का कारक है और गुरुवार का दिन प्रतिष्ठा से जुड़ा हुआ इसलिए इस दिन काफी समय से जो लोग परिश्रम कर रहे हैं उन्हें आज उसका फल मिलेगा। ऐसे में आइये जानते हैं एमपी, छिंदवाड़ा के ज्योतिषाचार्य पंडित सौरभ त्रिपाठी से आज का पंचांग।
| तिथि | नक्षत्र | दिन/वार | योग | करण |
| पौष शुक्ल पंचमी (दोपहर 01:4 तक) | धनिष्ठा | गुरुवार | वज्र | बालव |

| प्रहर | समय |
| सूर्योदय | सुबह 06 बजकर 48 मिनट |
| सूर्यास्त | शाम 05 बजकर 31 मिनट |
| चंद्रोदय | सुबह 10 बजकर 31 मिनट |
| चंद्रास्त | शाम 10 बजकर 17 मिनटपर |
| मुहूर्त नाम | मुहूर्त समय |
| ब्रह्म मुहूर्त | सुबह 05 बजकर 22 मिनट से 06 बजकर 17 मिनट तक |
| अभिजीत मुहूर्त | सुबह 11 बजकर 48 मिनट से 12 बजकर 31 मिनट तक |
| गोधुली मुहूर्त | शाम 05 बजकर 28 मिनटसे 05 बजकर 56 मिनट तक |
| विजय मुहूर्त | दोपहर 12 बजकर 01 मिनटसे 12 बजकर 42 मिनट तक |
| मुहूर्त नाम | मुहूर्त समय |
| राहु काल | दोपहर 01:30 से 02:50 बजे तक |
| यमगंड | सुबह 06:48 से 08:08 बजे तक |
| गुलिक काल | दोपहर 09:29 से 10:49 बजे तक |
आज पंचमी तिथि है जो की पूर्णा तिथि की श्रेणी में आती है पंचमी तिथि विद्या की तिथि भी मानी जाती है लेकिन यह अतिथि शुक्ल पक्ष में शुभ नहीं मानी जाती इसीलिए इस दिन किसी भी कार्य की योजना बनाने में जल्दबाजी नहीं करना चाहिए इस दिन धैर्यता पूर्वक किसी भी कार्य का निर्णय करना चाहिए।
गुरुवार के दिन पंचमी तिथि के संयोग से सिद्धि योग बनता है यह काफी अच्छा फल प्रदान करता है सिद्धि का अर्थ होता है किसी भी कार्य में हमें सिद्धि प्राप्त होना। अगर कोई काफी दिन से किसी कार्य के लिए प्रयासरत है तो ऐसे में इस दिन उन्हें उसे कार्य में सिद्धि अवश्य मिलती है।
धनिष्ठा नक्षत्र को परिश्रम का प्रतीक माना जाता है क्योंकि धनिष्ठा नक्षत्र में किया गया परिश्रम कभी भी व्यर्थ नहीं जाता यह बात अलग है कि इसका परिणाम धीरे-धीरे मिलता है। यह नक्षत्र हमें शिक्षा देता है कि परिश्रम का फल कभी भी व्यर्थ नहीं जाता।
साथ में कुंभ राशि जिसके स्वामी शनि हैं और शनि देव न्याय की देवता है तो आज का दिन न्याय संबंधी कार्य और भविष्य की योजनाओं के लिए या फिर किसी लंबे समय तक चलने वाले कार्य की रूपरेखा बनाने के लिए आज का दिन काफी अच्छा है। आज के दिन लिया गया किसी भी चीज का निर्णय विशेष फलदाई होता है।
साथ में आज गुरुवार का दिन जो की देव गुरु बृहस्पति का दिन है जो कि हमें यह हमें जीवन में मार्गदर्शन देता है जिससे कि हमारे कार्य करने की क्षमता मजबूत होती है और हमें कार्य में सिद्धि अवश्य मिलती है। क्योंकि धनिष्ठा नक्षत्र परिश्रम कुंभ राशि का स्वामी शनि न्याय और देवगुरु बृहस्पति का मार्गदर्शन यह संयोग हमारे लिए लाभकारी होगा।
आज शाम के समय पीपल के वृक्ष के नीचे तिल के तेल या फिर सरसों के तेल का दीपक अवश्य जलाएं। आज दोपहर के समय पीपल के वृक्ष में कच्ची लस्सी अवश्य चढ़ाएं। आज के दिन काम कर रहे मजदूरों को भोजन कराना चाहिए।
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