19 सितंबर 2025 को अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि है और साथ ही, सितंबर का आखिरी प्रदोष व्रत भी आज रखा जाएगा। एमपी, छिंदवाड़ा के ज्योतिषाचार्य पंडित सौरभ त्रिपाठी ने बताया कि शुक्रवार के दिन पड़ने के कारण यह शुक्र प्रदोष व्रत कहलाएगा जो विशेष रूप से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के लिए बहुत शुभ है। आज के दिन शिव जी की पूजा करने से धन-धान्य और सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है। आज की तिथि श्राद्ध पक्ष में होने के कारण पितरों के तर्पण और पिंडदान के लिए भी महत्वपूर्ण है जिसे त्रयोदशी श्राद्ध भी कहते हैं।
तिथि | नक्षत्र | दिन/वार | योग | करण |
अश्विन कृष्ण त्रयोदशी | अश्लेषा | शुक्रवार | सिद्ध | गर |
प्रहर | समय |
सूर्योदय | सुबह 06:08 बजे |
सूर्यास्त | शाम 06:21 बजे |
चंद्रोदय | सुबह 04:34 बजे |
चंद्रास्त | शाम 05:03 बजे |
मुहूर्त नाम | मुहूर्त समय |
ब्रह्म मुहूर्त | सुबह 04:34 बजे से सुबह 05:21 बजे तक |
अभिजीत मुहूर्त | सुबह 11:50 बजे से दोपहर 12:39 बजे तक |
विजय मुहूर्त | दोपहर 02:17 बजे से दोपहर 03:06 बजे तक |
गोधूलि मुहूर्त | शाम 06:21 बजे से शाम 06:45 बजे तक |
निशिता मुहूर्त | रात 11:51 बजे से रात 12:38 बजे तक |
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मुहूर्त नाम | मुहूर्त समय |
राहु काल | सुबह 10:43 बजे से दोपहर 12:15 बजे तक |
गुलिक काल | सुबह 07:42 बजे से सुबह 09:13 बजे तक |
यमगंड | दोपहर 03:16 बजे से शाम 04:47 बजे तक |
दुर्मुहूर्त | सुबह 08:34 बजे से 09:23 बजे तक |
19 सितंबर 2025 को पड़ने वाला प्रदोष व्रत, इस महीने का आखिरी प्रदोष व्रत है और इसे शुक्र प्रदोष व्रत कहते हैं। इसका धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व बहुत अधिक है क्योंकि यह भगवान शिव और माता पार्वती के साथ-साथ शुक्र ग्रह की कृपा भी दिलाता है। इस दिन व्रत रखने और प्रदोष काल में शिव-पार्वती की पूजा करने से वैवाहिक जीवन में सुख और समृद्धि आती है।
अविवाहित लोगों को मनचाहा जीवनसाथी मिलता है और आर्थिक परेशानियां भी दूर होती हैं। इस दिन किए गए उपायों से शुक्र ग्रह मजबूत होता है, जिससे जीवन में सुख-सौभाग्य, धन और ऐश्वर्य की वृद्धि होती है। यह व्रत न केवल शिवजी को प्रसन्न करता है, बल्कि शुक्र के शुभ प्रभाव से जीवन को भी खुशहाल बनाता है।
19 सितंबर 2025 को शुक्रवार होने के कारण यह दिन देवी लक्ष्मी और संतोषी माता की पूजा के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। शुक्रवार का व्रत रखने से व्यक्ति के जीवन में धन, सुख और समृद्धि आती है। इस व्रत को करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और घर में धन-धान्य की कमी नहीं होती।
जो लोग इस व्रत को विधि-विधान से करते हैं, उनके परिवार में सुख-शांति बनी रहती है और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। यह व्रत शुक्र ग्रह को भी मजबूत करता है जिससे प्रेम, वैवाहिक सुख और भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है।
19 सितंबर 2025 को शुक्र प्रदोष व्रत और शुक्रवार का शुभ संयोग बन रहा है, जिससे भगवान शिव और माता लक्ष्मी दोनों की कृपा एक साथ प्राप्त की जा सकती है। इस दिन कुछ सरल उपाय करने से जीवन में सुख, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
इस दिन सुबह स्नान के बाद भगवान शिव का अभिषेक करें। शिवलिंग पर जल के साथ दूध, दही, शहद, घी और शक्कर का पंचामृत चढ़ाएं। बेलपत्र, धतूरा, भांग और अक्षत अर्पित करें। प्रदोष काल में शिव चालीसा या शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करें। 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का जाप करते रहें। इस दिन शाम को शिवलिंग पर सफेद फूल और इत्र चढ़ाने से शुक्र ग्रह भी मजबूत होता है, जिससे भौतिक सुख-सुविधाएं मिलती हैं।
शुक्रवार का दिन होने के कारण मां लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन घर की साफ-सफाई करें और शाम को मुख्य द्वार पर घी का दीपक जलाएं। मां लक्ष्मी की प्रतिमा के सामने कमल का फूल, लाल वस्त्र और बताशे अर्पित करें। श्री सूक्त या कनकधारा स्तोत्र का पाठ करें। इस दिन सफेद वस्तुओं, जैसे चावल, दूध या चीनी का दान करना बहुत शुभ माना जाता है। यह उपाय करने से घर में धन-धान्य की कमी नहीं होती और सुख-समृद्धि का वास होता है।
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