
हिंदू पंचांग के अनुसार वर्ष भर आने वाले तीज-त्योहार न केवल धार्मिक आस्था से जुड़े होते हैं, बल्कि भारतीय संस्कृति, परंपरा और जीवनशैली का अहम हिस्सा भी हैं। Teej Tyohar 2026 Dates And Shubh Muhurat की सही जानकारी होने से व्रत, पूजा, दान और शुभ कार्यों को उचित समय पर करना आसान हो जाता है। वर्ष 2026 में बसंत पंचमी, महाशिवरात्रि, होली, अक्षय तृतीया, रक्षाबंधन, नवरात्रि, दिवाली, करवा चौथ, छठ पूजा और तुलसी विवाह जैसे अनेक महत्वपूर्ण पर्व और व्रत पड़ रहे हैं, जिनका धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से विशेष महत्व है।
हर त्योहार का एक निश्चित शुभ मुहूर्त होता है, जिसमें पूजा-पाठ, व्रत या मांगलिक कार्य करने से सकारात्मक फल प्राप्त होते हैं। सही तिथि और समय के अभाव में व्रत-पूजा का पूर्ण फल नहीं मिल पाता, इसलिए पंचांग के अनुसार त्योहारों की जानकारी होना बेहद जरूरी है। इस लेख में आपको जनवरी से दिसंबर 2026 तक के सभी प्रमुख तीज-त्योहारों की तिथि, शुभ मुहूर्त और संक्षिप्त महत्व एक ही जगह विस्तार से बताया गया है।
यदि आप व्रत-उपवास रखते हैं, धार्मिक अनुष्ठान करते हैं या अपने परिवार के साथ परंपरागत त्योहार सही विधि से मनाना चाहते हैं, तो यह Festival Calendar 2026 आपके लिए बेहद उपयोगी साबित होगा।
जनवरी 2026 के प्रमुख तीज-त्यौहारों में धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के खास दिन शामिल हैं। इस महीने में व्रत, पूजा और पर्वों के माध्यम से आध्यात्मिक लाभ और खुशहाली की प्राप्ति का समय है। आइए जानें इस महीने कौन-कौन से त्यौहार मनाए जाएंगे और उनके पीछे की विशेष परंपराएँ क्या हैं-
14 जनवरी, बुधवार - षटतिला एकादशी, मकर संक्रांति: षटतिला एकादशी व्रत से पापों से मुक्ति मिलती है। मकर संक्रांति पर सूर्य की विशेष पूजा और तिल के पकवान बनाए जाते हैं।
18 जनवरी, रविवार- माघ अमावस्या: इस दिन पूर्वजों की पुण्य तिथि में श्रद्धांजलि दी जाती है। पितरों के प्रति सम्मान और तर्पण का विशेष महत्व है।
23 जनवरी, शुक्रवार - बसंत पंचमी: सरस्वती पूजा का शुभ दिन। ज्ञान और कला की देवी की आराधना की जाती है।
29 जनवरी, गुरुवार - जया एकादशी: इस एकादशी का व्रत तुलसी और भगवान विष्णु की कृपा के लिए रखा जाता है। मनोवांछित फल मिलने का शुभ समय है।
| तिथि | त्योहार | शुभ मुहूर्त / समय |
| 14 जनवरी बुधवार | षटतिला एकादशी, मकर संक्रांति | 14:49 से 17:45 तक |
| 18 जनवरी रविवार | माघ अमावस्या | 18 जनवरी 00:06 से 19 जनवरी 01:24 तक |
| 23 जनवरी शुक्रवार | बसंत पंचमी | 07:13 से 12:33 तक |
| 29 जनवरी गुरुवार | जया एकादशी | 07:10 से 09:20 तक 30 जनवरी |
फरवरी 2026 के महीने में व्रत और त्योहारों का विशेष महत्व है। इस महीने व्रती मनोकामनाओं की पूर्ति, पापों से मुक्ति और देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त करने के लिए पूजा, व्रत और दान करते हैं। महाशिवरात्रि, अमावस्या और एकादशी जैसे दिन धार्मिक दृष्टि से बेहद शुभ माने जाते हैं, जबकि व्रत और त्योहार पारिवारिक सौहार्द और आध्यात्मिक उन्नति का संदेश देते हैं। इस महीने के त्यौहार विशेष रूप से धार्मिक, सांस्कृतिक और स्वास्थ्य-संबंधी लाभ देने वाले हैं-
1 फरवरी, रविवार- माघ पूर्णिमा व्रत: इस दिन व्रती अपने मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए पूजा और दान करते हैं।
13 फरवरी, शुक्रवार - विजया एकादशी: यह एकादशी पापों से मुक्ति और भगवान विष्णु की विशेष कृपा का दिन है।
15 फरवरी, रविवार - महाशिवरात्रि: भगवान शिव की आराधना का पर्व, रात्रि जागरण और व्रत रखने का शुभ समय।
17 फरवरी, मंगलवार - फाल्गुन अमावस्या: इस दिन पितरों की तर्पण और श्रद्धांजलि का विशेष महत्व है।
27 फरवरी, शुक्रवार- आमलकी एकादशी: इस एकादशी पर व्रत रखने से स्वास्थ्य, समृद्धि और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
| तिथि | त्यौहार | शुभ मुहूर्त / समय |
| 1 फरवरी रविवार | माघ पूर्णिमा व्रत | 05:55 से 02 फरवरी 03:41 तक |
| 13 फरवरी शुक्रवार | विजया एकादशी | 07:00 से 09:14 तक |
| 15 फरवरी रविवार | महाशिवरात्रि | 07:00 से 16 फरवरी 15:24 तक |
| 17 फरवरी मंगलवार | फाल्गुन अमावस्या | 16 फरवरी 17:36 से 17 फरवरी 17:33 तक |
| 27 फरवरी शुक्रवार | आमलकी एकादशी | 06:47 से 28 फरवरी 09:06 तक |
मार्च 2026 का महीना त्योहारों और व्रतों से भरपूर है। इस महीने होलिका दहन और होली जैसे रंग-बिरंगे उत्सवों के साथ-साथ पापमोचिनी और कामदा एकादशी जैसे धार्मिक व्रत भी आते हैं। चैत्र नवरात्रि और गुड़ी पड़वा जैसे पर्व नए आरंभ और देवी-देवताओं की पूजा का शुभ अवसर देते हैं। राम नवमी भगवान राम के जन्मदिन के रूप में आध्यात्मिक महत्व रखता है। यह महीने का हर त्योहार और व्रत धार्मिक, सांस्कृतिक और पारिवारिक खुशियों का संदेश लेकर आता है-
3 मार्च, मंगलवार - होलिका दहन: बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक, अग्नि के पारंपरिक अनुष्ठान होते हैं।
4 मार्च, बुधवार - होली: रंगों का त्योहार, भाईचारे और खुशियों का दिन।
15 मार्च, रविवार - पापमोचिनी एकादशी: इस व्रत से पापों की क्षमा और मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
19 मार्च, गुरुवार - चैत्र नवरात्रि, गुड़ी पड़वा: नवरात्रि देवी की आराधना का शुभ आरंभ; गुड़ी पड़वा से नया साल उत्सव के साथ मनाया जाता है।
26 मार्च, गुरुवार - राम नवमी: भगवान राम का जन्मदिन, पूजा और व्रत का शुभ दिन।
29 मार्च, रविवार - कामदा एकादशी: इस व्रत से इच्छाओं की पूर्ति और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
| तिथि | त्योहार | त्योहार / व्रतशुभ मुहूर्त / समय |
| 3 मार्च मंगलवार | होलिका दहन | 18:22 से 20:50 तक |
| 4 मार्च बुधवार | होली | पूरे दिन |
| 15 मार्च रविवार | पापमोचिनी एकादशी | 06:30 से 08:54(16 मार्च) तक |
| 19 मार्च गुरुवार | चैत्र नवरात्रि, गुड़ी पड़वा | 06:55 से 10:28 तक |
| 26 मार्च गुरुवार | राम नवमी | 11:13 से 13:40 तक |
| 29 मार्च रविवार | कामदा एकादशी | 06:14 से 08:42 (30 मार्च) तक |
अप्रैल महीने में धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से कई महत्वपूर्ण तीज-त्योहार पड़ते हैं। इस महीने हनुमान जयंती, वरुथिनी एकादशी, वैशाख अमावस्या, अक्षय तृतीया और मोहिनी एकादशी जैसे पर्व आते हैं, जो जीवन में आध्यात्मिक और सामाजिक महत्व रखते हैं। आइए जानें इस महीने कौन-कौन से त्यौहार मनाए जाएंगे -
2 अप्रैल, गुरुवार - हनुमान जयंती: भगवान हनुमान के जन्मोत्सव के दिन पूजा और भजन से मानसिक शक्ति और साहस बढ़ता है।
13 अप्रैल, सोमवार - वरुथिनी एकादशी: इस व्रत से पापों की क्षमा और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।
17 अप्रैल, शुक्रवार - वैशाख अमावस्या: पितरों की तर्पण और श्रद्धांजलि का दिन, पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए विशेष महत्व।
19 अप्रैल, रविवार - अक्षय तृतीया: धन, निवेश और वैवाहिक संबंधों में शुभता लाने वाला पर्व।
27 अप्रैल, सोमवार - मोहिनी एकादशी: इस एकादशी का व्रत स्वास्थ्य और मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए रखा जाता है।
| तिथि | त्योहार | शुभ मुहूर्त/समय |
| 2 अप्रैल गुरुवार | हनुमान जयंती | 1 अप्रैल 07:08 से 2 अप्रैल 07:44 तक |
| 13 अप्रैल सोमवार | वरुथिनी एकादशी | 06:57 से 08:31 तक, 14 अप्रैल को समाप्त |
| 17 अप्रैल शुक्रवार | वैशाख अमावस्या | 16 अप्रैल 20:14 से 17 अप्रैल 17:24 तक |
| 19 अप्रैल रविवार | अक्षय तृतीया | 10:52 से 12:20 तक |
| 27 अप्रैल सोमवार | मोहिनी एकादशी | 05:43 से 08:21 तक, 28 अप्रैल को समाप्त |
मई माह में धार्मिक और पावन व्रतों की परंपरा जारी रहेगी। इस महीने वैशाख पूर्णिमा व्रत, अपरा एकादशी, ज्येष्ठ अमावस्या और पद्मिनी एकादशी मुख्य पर्व हैं। ये व्रत और त्योहार न केवल धार्मिक महत्व रखते हैं, बल्कि स्वास्थ्य, समृद्धि और मनोकामनाओं की पूर्ति का संदेश भी देते हैं।
1 मई, शुक्रवार - वैशाख पूर्णिमा व्रत: इस दिन व्रती पूजा और दान के माध्यम से अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति करते हैं।
13 मई, बुधवार - अपरा एकादशी: इस व्रत से पापों से मुक्ति और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।
16 मई, शनिवार - ज्येष्ठ अमावस्या: पितरों की तर्पण और श्रद्धांजलि का दिन, पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए महत्वपूर्ण।
27 मई, बुधवार - पद्मिनी एकादशी: इस एकादशी व्रत से स्वास्थ्य, समृद्धि और मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
| तिथि | त्यौहार | शुभ मुहूर्त / समय |
| 1 मई शुक्रवार | वैशाख पूर्णिमा व्रत | अप्रैल 30 को 21:15 से प्रारम्भ, मई 1 को 22:55 पर समाप्त |
| 13 मई बुधवार | अपरा एकादशी | 05:31 से 08:13 तक (14 मई को) |
| 16 मई शनिवार | ज्येष्ठ अमावस्या | मई 16 को 05:13 से प्रारम्भ, मई 17 को 01:33 पर समाप्त |
| 27 मई बुधवार | पद्मिनी एकादशी | 05:24 से 08:10 तक (28 मई को) |
जून के महीने में व्रत और त्योहार धार्मिक महत्व और आध्यात्मिक ऊर्जा से भरपूर होते हैं। इस महीने प्रमुख रूप से परम एकादशी, निर्जला एकादशी और ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत जैसे पवित्र व्रत शामिल हैं। ये व्रत न केवल पापों की क्षमा और भगवान की कृपा प्राप्त करने का अवसर देते हैं, बल्कि जीवन में स्वास्थ्य, समृद्धि और मनोकामनाओं की पूर्ति का मार्ग भी खोलते हैं। प्रत्येक व्रत और त्योहार अपने समय पर विशेष पूजा, दान और साधना के माध्यम से आध्यात्मिक लाभ प्रदान करता है।
11 जून, गुरुवार - परम एकादशी: इस व्रत से पापों की क्षमा और भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
25 जून, गुरुवार - निर्जला एकादशी: यह एकादशी कठिन व्रतों में से एक है, स्वास्थ्य और समृद्धि लाने वाला शुभ दिन।
29 जून, सोमवार - ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत: पूर्णिमा के दिन व्रती पूजा और दान के माध्यम से अपनी इच्छाओं की पूर्ति करते हैं।
| तिथि | त्यौहार | शुभ मुहूर्त / समय |
| 11 जून गुरुवार | परम एकादशी | 05:22 से 08:09 तक 12 जून को |
| 25 जून गुरुवार | निर्जला एकादशी | 05:24 से 08:12 तक 26 जून को |
| 29 जून सोमवार | ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत | 03:09 से पूर्णिमा आरम्भ, 30 जून को 05:29 पर पूर्णिमा समाप्त |
जुलाई 2026 का महीना धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से बेहद खास रहने वाला है। इस माह योगिनी एकादशी, आषाढ़ अमावस्या, देवशयनी एकादशी और गुरु पूर्णिमा जैसे महत्वपूर्ण व्रत-त्योहार पड़ रहे हैं। इन पर्वों पर पूजा, व्रत और दान-पुण्य करने से भगवान विष्णु की कृपा, पितरों का आशीर्वाद और गुरुजनों का मार्गदर्शन प्राप्त होता है, जिससे जीवन में सुख-समृद्धि और मानसिक शांति बनी रहती है।
10 जुलाई, शुक्रवार - योगिनी एकादशी: इस एकादशी का व्रत रखने से रोगों से मुक्ति और जीवन में सुख-समृद्धि का योग बनता है। भगवान विष्णु की विशेष पूजा का महत्व है।
14 जुलाई, मंगलवार - आषाढ़ अमावस्या: इस दिन पितरों के तर्पण और दान-पुण्य से पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। अमावस्या पर स्नान और पूजा का विशेष महत्व माना गया है।
25 जुलाई, शनिवार - देवशयनी एकादशी: इस दिन से भगवान विष्णु योगनिद्रा में जाते हैं और चातुर्मास का आरंभ होता है। व्रत करने से आध्यात्मिक उन्नति और शांति मिलती है।
29 जुलाई, बुधवार - गुरु पूर्णिमा: यह दिन गुरु के सम्मान और ज्ञान प्राप्ति के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। गुरु पूजन से जीवन में सही मार्गदर्शन और सफलता मिलती है।
| तिथि | त्योहार | शुभ मुहूर्त / तिथि विवरण |
| 10 जुलाई 2026 शुक्रवार | योगिनी एकादशी | 11 जुलाई को 13:49 से 16:35 तक |
| 14 जुलाई 2026 मंगलवार | आषाढ़ अमावस्या | अमावस्या आरम्भ: 13 जुलाई को 18:52 से |
| 25 जुलाई 2026 शनिवार | देवशयनी एकादशी | 26 जुलाई को 05:38 से 08:22 तक |
| 29 जुलाई 2026 बुधवार | गुरु पूर्णिमा | पूर्णिमा आरम्भ: 28 जुलाई को 18:21 से |

अगस्त 2026 का महीना भारतीय परंपराओं और लोक आस्थाओं से जुड़े कई प्रमुख तीज-त्योहार लेकर आ रहा है। इस माह हरियाली तीज, नाग पंचमी, रक्षा बंधन और कजरी तीज जैसे महत्वपूर्ण पर्व मनाए जाएंगे, जिनका विशेष महत्व पारिवारिक सुख, वैवाहिक जीवन और भाई-बहन के रिश्ते से जुड़ा है। इन त्योहारों पर पूजा, व्रत और पारंपरिक रीति-रिवाजों का पालन करने से जीवन में प्रेम, समृद्धि और खुशहाली बनी रहती है।
15 अगस्त, शनिवार - हरियाली तीज: यह पर्व सुहागिन महिलाओं द्वारा वैवाहिक सुख और पति की लंबी उम्र के लिए मनाया जाता है। हरियाली तीज हरियाली, प्रेम और श्रृंगार का प्रतीक है।
17 अगस्त, सोमवार - नाग पंचमी: इस दिन नाग देवता की पूजा की जाती है और सर्प दोष से मुक्ति की कामना की जाती है। यह पर्व सुरक्षा और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
28 अगस्त, शुक्रवार - रक्षा बंधन: भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का पर्व, जिसमें बहनें भाइयों की लंबी उम्र की कामना करती हैं। यह त्योहार प्रेम, सुरक्षा और विश्वास का प्रतीक है।
31 अगस्त, सोमवार - कजरी तीज: यह पर्व विवाहित महिलाओं द्वारा पति की दीर्घायु और सुखी दांपत्य जीवन के लिए मनाया जाता है। कजरी तीज लोक परंपराओं और सांस्कृतिक आस्था से जुड़ा पर्व है।
| तिथि | त्योहार | शुभ मुहूर्त / तिथि समय |
| 15 अगस्त 2026 शनिवार | हरियाली तीज | तृतीया तिथि 14 अगस्त 2026 को 18:48 से आरम्भ, 15 अगस्त 2026 को 17:30 पर समाप्त |
| 17 अगस्त 2026 सोमवार | नाग पंचमी | 05:50 से 08:28 तक |
| 28 अगस्त 2026 शुक्रवार | रक्षा बंधन | 05:56 से 09:50 तक |
| 31 अगस्त 2026 सोमवार | कजरी तीज | तृतीया तिथि 30 अगस्त 2026 को 09:39 से आरम्भ, 31 अगस्त 2026 को 08:53 पर समाप्त |
सितंबर 2026 का महीना भक्ति, व्रत और पारंपरिक आस्थाओं से जुड़े प्रमुख तीज-त्योहारों से भरा रहेगा। इस माह जन्माष्टमी, गणेश चतुर्थी, हरतालिका तीज और अनंत चतुर्दशी जैसे महत्वपूर्ण पर्व मनाए जाएंगे, जिनका संबंध भगवान की उपासना, दांपत्य सुख और जीवन में विघ्नों के नाश से है। इन त्योहारों पर श्रद्धा के साथ पूजा-पाठ और व्रत करने से सुख, शांति और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
4 सितंबर 2026, शुक्रवार - जन्माष्टमी: भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव पर व्रत, भजन और मध्यरात्रि पूजा का विशेष महत्व होता है। यह दिन भक्ति, प्रेम और धर्म का संदेश देता है।
14 सितंबर 2026, सोमवार- गणेश चतुर्थी, हरतालिका तीज: गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा से विघ्नों का नाश होता है। हरतालिका तीज पर महिलाएं सुखी वैवाहिक जीवन और सौभाग्य के लिए व्रत रखती हैं।
25 सितंबर 2026, शुक्रवार - अनंत चतुर्दशी: इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और अनंत सूत्र बांधने की परंपरा है। व्रत रखने से जीवन में स्थिरता और समृद्धि आती है।
| तारीख | त्योहार | शुभ मुहूर्त |
| 4 सितंबर 2026 शुक्रवार | जन्माष्टमी | 23:57 से 24:42 तक |
| 14 सितंबर 2026 सोमवार | गणेश चतुर्थी, हरतालिका तीज | 06:05 से 08:33 तक |
| 25 सितंबर 2026 शुक्रवार | अनंत चतुर्दशी | 06:10 से 23:08 तक |
अक्टूबर 2026 का महीना आस्था, शक्ति और विजय के पर्वों से विशेष रूप से जुड़ा रहेगा। शरद नवरात्रि से लेकर दशहरा और करवा चौथ तक, यह समय देवी उपासना, व्रत-पूजन और पारिवारिक परंपराओं का प्रतीक है। इन त्योहारों के माध्यम से न केवल धार्मिक श्रद्धा प्रकट होती है, बल्कि जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, सुख-समृद्धि और दांपत्य जीवन की खुशहाली का भी संदेश मिलता है।
11 अक्टूबर, रविवार - शरद नवरात्रि: मां दुर्गा की नौ शक्तियों की उपासना का पावन पर्व। व्रत, पूजा और साधना से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
19 अक्टूबर, सोमवार - दुर्गा महा अष्टमी एवं महा नवमी पूजा: नवरात्रि के विशेष दिन, कन्या पूजन और मां दुर्गा की विशेष आराधना की जाती है। शक्ति, साहस और विजय का प्रतीक पर्व है।
20 अक्टूबर, मंगलवार - दशहरा:असत्य पर सत्य और बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व। इस दिन शस्त्र पूजा और नए कार्य की शुरुआत शुभ मानी जाती है।
29 अक्टूबर, गुरुवार - करवा चौथ: सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। चंद्र दर्शन और करवा पूजन का विशेष महत्व होता है।
| तिथि | त्योहार | शुभ मुहूर्त / समय |
| 11 अक्टूबर 2026 रविवार | शरद नवरात्रि | (घटस्थापना)06:19 से 10:11 तक |
| 19 अक्टूबर 2026 सोमवार | दुर्गा महा अष्टमी एवं महा नवमी पूजा | अष्टमी आरम्भ: 18 अक्टूबर 2026 को 08:29 से |
| 20 अक्टूबर 2026 मंगलवार | दशहरा | 13:59 से 14:45 तक |
| 29 अक्टूबर 2026 गुरुवार | करवा चौथ | पूजा मुहूर्त: 17:38 से 18:45 तक |

नवंबर 2026 का महीना दीपावली जैसे बड़े पर्वों के साथ धार्मिक आस्था और पारिवारिक खुशियों से भरपूर रहेगा। धनतेरस से लेकर कार्तिक पूर्णिमा तक यह समय धन, आरोग्य, भाई-बहन के प्रेम और सूर्य उपासना का विशेष महत्व रखता है। इन तीज-त्योहारों के माध्यम से जहां एक ओर समृद्धि और शुभता का आशीर्वाद मिलता है, वहीं दूसरी ओर पारिवारिक रिश्तों में प्रेम, विश्वास और सौहार्द भी मजबूत होता है।
6 नवंबर, शुक्रवार - धनतेरस: इस दिन धन्वंतरि और कुबेर देव की पूजा की जाती है। सोना, चांदी और बर्तन खरीदना अत्यंत शुभ माना जाता है।
8 नवंबर, रविवार - दिवाली व नरक चतुर्दशी: दिवाली पर मां लक्ष्मी की पूजा से धन-समृद्धि आती है। नरक चतुर्दशी बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है।
10 नवंबर, मंगलवार - गोवर्धन पूजा: इस दिन भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाया था। अन्नकूट का भोग लगाकर सुख-समृद्धि की कामना की जाती है।
11 नवंबर, बुधवार - भाई दूज: बहनें भाई की लंबी उम्र की कामना करती हैं। भाई बहन को उपहार देकर प्रेम और सुरक्षा का वचन देता है।
15 नवंबर, रविवार - छठ पूजा: सूर्य देव की उपासना का महापर्व, विशेषकर संतान सुख के लिए किया जाता है। व्रत, स्नान और अर्घ्य का विशेष महत्व है।
20 नवंबर, शुक्रवार - देवउत्थान एकादशी: इस दिन भगवान विष्णु चार माह की योग निद्रा से जागते हैं। विवाह और मांगलिक कार्यों की शुरुआत शुभ मानी जाती है।
24 नवंबर, मंगलवार - कार्तिक पूर्णिमा व्रत: इस दिन गंगा स्नान और दान-पुण्य का विशेष फल मिलता है। दीपदान से जीवन में सुख और शांति आती है।
| तारीख | त्योहार | शुभ मुहूर्त / समय |
| 6 नवंबर 2026 शुक्रवार | धनतेरस | 18:03 से 19:59 तक |
| 8 नवंबर 2026 रविवार | दिवाली, नरक चतुर्दशी | लक्ष्मी पूजा मुहूर्त: 17:55 से 19:51 तक |
| 10 नवंबर 2026 मंगलवार | गोवर्धन पूजा | पूजा मुहूर्त: 06:39 से 08:49 तक |
| 11 नवंबर 2026 बुधवार | भाई दूज | 13:09 से 15:19 तक |
| 15 नवंबर 2026 रविवार | छठ पूजा | संध्या अर्घ्य (15 नवंबर): सूर्यास्त 17:27 |
| 20 नवंबर 2026 शुक्रवार | देवउत्थान एकादशी | देवउत्थान एकादशी 13:10 से 15:17 तक (21 नवंबर को) |
| 24 नवंबर 2026 मंगलवार | कार्तिक पूर्णिमा | कार्तिक पूर्णिमा व्रतपूर्णिमा आरम्भ: 23 नवंबर 23:44 |
दिसंबर 2026 का महीना धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पुण्यदायी और आध्यात्मिक ऊर्जा से भरपूर रहेगा। उत्पन्ना एकादशी से लेकर मार्गशीर्ष पूर्णिमा तक आने वाले व्रत और पर्व भगवान विष्णु की आराधना, पितृ तर्पण और दान-पुण्य का विशेष महत्व रखते हैं। इन तीज-त्योहारों के माध्यम से जहां पापों से मुक्ति और मोक्ष की कामना की जाती है, वहीं जीवन में शांति, सुख-समृद्धि और सकारात्मकता का संचार भी होता है।
4 दिसंबर, शुक्रवार - उत्पन्ना एकादशी: इस एकादशी का व्रत भगवान विष्णु की विशेष कृपा पाने के लिए किया जाता है। मान्यता है कि इससे पापों का नाश होता है और जीवन में सुख-शांति आती है।
8 दिसंबर, मंगलवार - मार्गशीर्ष अमावस्या: इस दिन पितरों की शांति के लिए तर्पण और दान का विशेष महत्व होता है। पूर्वजों की कृपा से परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
20 दिसंबर, रविवार - मोक्षदा एकादशी: मोक्षदा एकादशी का व्रत मोक्ष प्राप्ति और संतान सुख के लिए रखा जाता है। गीता जयंती भी इसी तिथि के आसपास मनाई जाती है।
23 दिसंबर, बुधवार - मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत: मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर स्नान, दान और पूजा का विशेष पुण्य फल मिलता है। यह दिन मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति का प्रतीक माना जाता है।
| तिथि | त्योहार | व्रत शुभ मुहूर्त |
| 4 दिसंबर 2026 शुक्रवार | उत्पन्ना एकादशी | 06:59 से 09:03 तक (5 दिसंबर को) |
| 8 दिसंबर 2026 मंगलवार | मार्गशीर्ष अमावस्या | अमावस्या आरम्भ: 8 दिसंबर 2026 को 04:14 से |
| 20 दिसंबर 2026 रविवार | मोक्षदा एकादशी | 07:09 से 09:13 तक (21 दिसंबर को) |
| 23 दिसंबर 2026 बुधवार | मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत | पूर्णिमा आरम्भ: 23 दिसंबर 2026 को 10:49 से |
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