Uttar Pradesh lakhimpur kheri maa sankata devi temple significance ()

भगवान श्रीकृष्ण ने की थी इस मंदिर की स्थापना, जहां पूरी होती हैं सभी मन्नतें

मंदिर वास्तुकला भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। मंदिरों को ईश्वर का निवास माना जाता है। भक्त यहां आकर ईश्वर के दर्शन करते हैं और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। 
Editorial
Updated:- 2024-09-11, 12:53 IST

हिंदू धर्म में सभी मंदिरों का पौराणिक महत्व है। हिंदू धर्म में मंदिर केवल ईश्वर की पूजा का स्थल ही नहीं, बल्कि आस्था, संस्कृति और समाज का केंद्र भी है। ये भक्तों को ईश्वर से जोड़ने का माध्यम है। वहीं उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी शहर का एक पौराणिक संकटा मंदिर करीब एक हजार साल से अधिक पुराना है। यह मंदिर शहर के बीच स्थित भक्तों की श्रद्धा का केंद्र माना जाता है। शहर के चार शक्ति पीठों में संकटा देवी मंदिर का प्रमुख स्थान है। इस मंदिर में माता लक्ष्मी की प्रतिमा है। इनके नामं पर ही शहर का नाम लक्ष्मीपुर हुआ। जो बाद में लखीमपुर कहलाया। अब ऐसे में इस मंदिर की मान्यता क्या है। इसके बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं। 

माता संकटा मंदिर का इतिहास क्या है? 

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पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मंदिर की स्थापना रुकमणी की इच्छा पर पशुपतिनाथ जाते समय महाभारत युद्ध के बाद भगवान श्रीकृष्ण ने स्थापित की थी। पौराणिक मंदिर होने के कारण उसकी वास्तुकला भी एक हजार साल पुराने मंदिरों जैसी ही हैं। मां संकटा देवी का प्राचीन मंदिर न केवल लखीमपुर खीरी, बल्कि आसपास के जिलों के लाखों लोगों की आस्था का केंद्र माना जाता है। बता दें, रुकमणि और पांडव पशुपतिनाथ दर्शन को जाते समय इसी रास्ते से होकर गुजरे थे। यहां के रमणीक वन क्षेत्र को देख रुकमणि ने यहीं पर कुछ समय बिताने की इच्छा जताई थी। तभी भगवान श्रीकृष्ण उन्हें यहां रहने की अनुमति देकर पांडवों के साथ पशुपतिनाथ दर्शन के लिए नेपाल रवाना हो गए। लौटते समय भगवान कृष्ण ने महालक्ष्मी की पाषाण प्रतिमा बनाकर यहां स्थापित की और पांडवों के साथ भगवान कृष्ण ने भी उनकी विधिवत पूजा अर्चना की थी। 

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माता संकटा मंदिर का महत्व क्या है? 

lakhimpuri kheri temple

माता संकटा मंदिर की मान्यता है कि इनकी उपासना करने से सभी संकट दूर होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। यहां नवदंपत्ति को मां के दर्शन करने के बाद घी घर में प्रवेश कराया जाता है। इतना ही नहीं ऐसा कहते हैं कि इस मंदिर में दर्शन मात्र से ही व्यक्ति की मनोकामनाएं पूरी हो जाती है और सौभाग्य में वृद्धि होती है। 

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Image Credit- HerZindagi

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