सुबह का समय बहुत ही शक्तिशाली माना जाता है। इस समय में हमेशा ऐसे काम करने की सलाह दी जाती है जिनसे आपको सकारात्मक ऊर्जा मिले। अगर आप दिन की शुरुआत ही अच्छे कामों से करते हैं तो पूरा दिन अच्छा बीतता है।
हर वो काम जिससे आपको ऊर्जा मिल वो आपके लिए सुबह करना ही अच्छा माना जाता है। इसी सकारात्मकता को बनाए रखने और मन में नई आशा और उत्साह जगाने के लिए हमारे शास्त्रों में एक बात कही गई है कि आपको उठते ही अपनी हथेली में बनी रेखाओं के दर्शन जरूर करने चाहिए क्योंकि इसे आपके भाग्य से जोड़कर देखा जाता है।
ऐसा माना जाता है कि आंख खुलते ही अगर सबसे पहले आपकी हथेलियों के दर्शन हो जाएं तो यह व्यक्ति के दुर्भाग्य को भी सौभाग्य में बदला जा सकता है। आइए नारद संचार के ज्योतिष अनिल जैन जी से जानें इससे जुड़ी मान्यताओं और इसके फायदों के बारे में कुछ बातें।
शास्त्रों में कहा गया है कि 'कराग्रे वसते लक्ष्मी, करमध्ये सरस्वती, करमूले तु गोविन्दः प्रभाते करदर्शनम' अर्थात मेरे हाथों के अग्र भाग में धन की देवी माता लक्ष्मी का वास है, मध्य में बुद्धि की देवी मां सरस्वती का वास है और गोविन्द अर्थात भगवान विष्णु मूल में निवास करते हैं, इसलिए इन सभी के एक साथ प्रातः काल दर्शन करने की सलाह दी जाती है।
चूंकि देवी लक्ष्मी को धन की देवी माना जाता है और मां सरस्वती को ज्ञान की देवी इसलिए यदि आप प्रातः अपनी हथेली के दर्शन करते हैं तो आपके जीवन में सभी देवताओं का आशीष बना रहता है।
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यदि आप प्रातः काल हथेलियों के दर्शन करते हैं तो हाथों में पालनहार भगवान विष्णु का वास होने की वजह से उनकी भी कृपा दृष्टि बनी रहती है। ऐसा माना जाता है कि जब आप हथेलियों के दर्शन करते हैं तो आप एक तरह से ईश्वर के दर्शन कर लेते हैं। भगवान विष्णु जगत के पालनहार हैं, इसलिए जो व्यक्ति सुबह हथेली में विष्णु जी का ध्यान करते है उसे इन तीनों की कृपा प्राप्त होती है।
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ऐसा माना जाता है कि दोनों हाथों की हथेलियों में तीर्थ स्थान होता है। शास्त्रों में बताया गया है कि हमारे हाथों की चार अंगुलियों के अग्रभाग में 'देवतीर्थ' होते हैं। तर्जनी के मूल भाग में 'पितृ अर्थ', कनिष्ठिका के मूल भाग में 'प्रजापति अर्थ' और अंगूठे के मूल भाग में 'ब्रह्मतीर्थ' का निवास होता है और यदि आप प्रातः काल हथेलियों के दर्शन करते हैं तो आपको सभी तीर्थों के दर्शन के बराबर फल मिलता है।
दाहिने हाथ के मध्य में 'अग्नि तीर्थ' और बाएं हाथ के मध्य में 'सोमतीर्थ' तथा सभी अंगुलियों के पोर और जोड़ों में 'ऋषि तीर्थ' होते हैं। इस प्रकार जब हम प्रात:काल उठकर अपनी हथेलियों के दर्शन करते हैं तो हमें भगवान के साथ-साथ ये तीर्थ भी देखने को मिलते हैं।
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अगर आप व्यावहारिक नजरिए से देखते हैं तो हम अपना हर एक काम हथेली से ही करते हैं। यदि आप सुबह हथेली के दर्शन करते हैं तो इसका मतलब ये हुआ कि आप अपने कर्मों पर विश्वास करते हैं।
अपने कार्यों में सुधार कर आप अपना भविष्य उज्जवल बना सकते हैं। इसके अलावा हाथों में तीर्थ और भगवान का वास होने का अर्थ है कि यदि आप सुबह अपनी हथेली के दर्शन करेंगे तो आप दिनभर में कोई भी गलत काम नहीं करेंगे।
हथेली के दर्शन करने का मलतब को जीवन में कभी भी कोई गलत काम नहीं करना चाहिए। हमेशा अपने हाथों से भगवान को प्रणाम करें और उन्हें अच्छे कामों के लिए इस्तेमाल करें।
अगर आप प्रातः काल अपनी हथेली के दर्शन करके दिन की शुरुआत करेंगे तो आपका पूरा दिन अच्छा रह सकता है और आपको सभी दोषों से मुक्ति मिल सकती है।
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