मोटापा... ये शब्द ही काफी है किसी लड़की के दिल और दिमाग में डर पैदा करने के लिए। अगर कोई लड़की अपने शेप से थोड़ा भी ज्यादा हो जाए तो उसे दहशत होने लगती है। जी हां, मैं इस बात को इतने कॉन्फिडेंस से इसलिए कह रही हूं क्योंकि मेरे आस पास ऐसे कई लोग हैं जिन्हें इस बात से समस्या होती है। मैं खुद भी अपनी बॉडी को एक्सेप्ट करने के लिए कई पड़ाव पार करके आई हूं। 'अरे थोड़ा गदरा गई हो, तुम तो मोटी हो गई, मुटिया गई हो तुम, अरे मेरी मुटल्लो' जैसे कई शब्द लड़कियों को रोजाना में सुनने पड़ते हैं। गुजरे जमाने का वो विज्ञापन याद है जिसमें एक ब्यूटी प्रोडक्ट को प्रमोट किया जा रहा था? 'ज्यादा खाओगी मोटी हो जाओगी' विज्ञापन इतना फेमस हुआ था, लेकिन उसके बाद एक्ट्रेस का 'आई डोंट केयर' ज्यादा सुना नहीं गया था।
मेरा कहने का मतलब सिर्फ इतना सा है कि हम कितनी भी कोशिश कर लें ये फैट शेमिंग का ट्रेंड हमारे मन से जाता ही नहीं है। अब आप खुद से ही पूछ लीजिए कि आखिर एक फोटो खिंचवाते समय आपने कितनी बार अपना एंगल बदला होगा या फोटो खींचने वाले से ये कहा होगा कि 'नहीं ऐसे नहीं लेना... मैं इस एंगल से मोटी आती हूं।' ये तो थी एक फोटो की बात, लेकिन अगर आपके ऊपर बहुत सारे कैमरा फोकस कर रहे हों तो? मैं बात कर रही हूं एक्ट्रेसेस की।
मोटापा औरफैट शेमिंगएक्ट्रेसेस के लिए एक बड़ी समस्या बन जाती है। एक्ट्रेसेस के लिए 'शेल्फ लाइफ' जैसे शब्द का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन क्या कभी आपने सोचने की कोशिश की है कि फैट शेमिंग का ये ट्रेंड कितना खतरनाक है?
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ऐसे एक-दो नहीं बल्कि कई उदाहरण हैं जहां किसी एक्ट्रेस को उसके बॉडी शेप की वजह से परेशान होना पड़ा हो।
मोटी शब्द कितना ऑफेंसिव हो सकता है ये आप उस लड़की से पूछिए जिसे उसके वजन के कारण परेशान होना पड़ा हो। लोग ये समझने की कोशिश ही नहीं करते कि किसी का शरीर भी बदल सकता है। दुनिया भर में बॉडी शेप को लेकर कितनी बातें होती हैं, लेकिन असल मायने में बॉडी शेप को शायद समझा ही नहीं जाता है। कर्वी शरीर को आकर्षक माना जाता है, लेकिन कैमरे के लेंस से तो पतली और छरहरी काया ही देखी जाती है।
ऊपर जिन एक्ट्रेसेस के बारे में बताया गया है उनमें से किसका टैलेंट कम था? मेरे हिसाब से तो सब एक से बढ़कर एक टैलेंटेड एक्ट्रेस हैं, लेकिन उन्हें सिर्फ उनके वजन के कारण परेशान होना पड़ा है।
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फिल्म 'डबल XL' में हुमा कुरैशी और सोनाक्षी सिन्हा अपने मोटापे की कहानी बताते हुए दिखते हैं। लड़कियों का मोटा होना आखिर उनकी जिंदगी पर कितना असर कर सकता है ये हमें पता होता है। फिल्म 'दम लगाकर हाइशा' में पत्नी के मोटा होने पर उसका पति उसके साथ कैसा व्यवहार करता है ये भी हमने देखा। उदाहरण तो बहुत हैं, लेकिन सौ बात की एक बात तो यही है कि ये फिल्में समाज की सच्चाई को मजाकिया ढंग से दिखाने की कोशिश कर रही हैं।
क्या मोटापा एक बीमारी है? इसका जवाब है नहीं, क्या मोटा होना कोई गलत काम करने जैसा है? इसका जवाब है नहीं, क्या मोटापा शर्मिंदगी का कारण बनना चाहिए? इसका भी जवाब है नहीं। मोटापा शर्मिंदा होने का कारण नहीं बनना चाहिए।
एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में इस तरह की घटनाएं बहुत आम हैं, लेकिन इसकी जरूरत है नहीं। बतौर समाज हमें पहले खुद आईना देखने की जरूरत है और उसके बाद किसी और को उसके बॉडी टाइप पर शर्मिंदा करने के बारे में सोचना चाहिए। शरीर का हेल्दी होना जरूरी है भले ही कोई भी बॉडी टाइप क्यों ना हो।
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