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HBD Deepika Kumari: संघर्षों से लड़कर दीपिका ने बनाई अपनी पहचान, जानें उनकी पूरी कहानी

दुनिया की पांचवें नंबर की तीरंदाज दीपिका कुमारी का तीरंदाजी का सफर संघर्षों से भरा रहा। आइए जानें उनके जीवन से जुड़े कुछ अनछुए पहलूओं के बारे में।
Editorial
Updated:- 2019-06-13, 16:27 IST

दीपिका कुमारी ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का नाम रोशन किया है, वो सिर्फ भारत की ही नहीं बल्कि दुनिया की दिग्गज तीरंदाजों में शामिल हैं। दीपिका का बचपन से सपना था कि वो तीरंदाज बने और आर्चरी के क्षेत्र में अपना नाम कमाए। दीपिका की जिद ही थी जिसने उसे इस मुकाम तक पहुंचाया। अपने दृढ़संकल्प की वजह से उन्‍होंने देश और दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बनाई। लेकिन उनका यह सफर इतना आसान नहीं था। दीपिका ने सघर्षों से लड़कर यह मुकाम हासिल किया है। आइए जानें उनके जीवन से जुड़े कुछ अनछुए पहलूओं के बारे में।

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निजी जीवन से जुड़ी बातें

दीपिका का जन्म झारखंड के रांची में 13 जून 1994 को एक साधारण परिवार में हुआ। उनके पिता शिवनारायण महतो ऑटो रिक्शा चालक है और मां गीता महतो एक नर्स हैं। आपको बता दें कि दीपिका के परिवार में उनसे पहले कोई खिलाड़ी नहीं रहा। लेकिन दीपिका को जिलास्तरीय टूर्नामेंट में भाग लेना था और उनके पिता ने हिस्सा लेने से साफ इंकार कर दिया था। लेकिन बेटी जिद के सामने पिता ने हार मानी और अपनी बेटी को आगे बढ़ाने देने के लिए राजी हुए। पिता ने दीपिका को दस रुपए देकर इस टूर्नामेंट में भेजा। अपने करियर का पहला टूर्नामेंट खेलने गई दीपिका ने इस टूर्नामेंट में जीत दर्ज की और यही से उनके करियर को एक नई उड़ान मिली।

 

खेल के क्षेत्र से जुड़ी उपलब्धियां

दुनिया की पांचवें नंबर की तीरंदाज दीपिका ने अपने तीरंदाजी का सफर साल 2005 में शुरू किया और पहली बार अर्जुन आर्चरी एकेडमी से जुड़ी। इसके बाद वह टाटा तीरंदाजी एकेडमी से जुड़ी। दीपिका ने अपना सफर जारी रखा और हार नहीं मानी और फिर वह पल भी आया जब दीपिका ने देश का नाम रोशन किया। दीपिका ने 2006 में मैरीदा मेक्सिको में आयोजित वर्ल्ड चैंपियनशिप की कम्पाउंड एकल प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीता। ऐसा करने वाली वह भारत की दूसरी तीरंदाज थीं।

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यहां से शुरू हुए उनके सफर ने उन्हें विश्व के नंबर—1 तीरंदाज का तमगा हासिल करने में मदद की। सबसे पहले साल 2009 में महज 15 साल की उम्र में दीपिका ने अमेरिका में हुई 11वीं यूथ आर्चरी चैंपियनशिप जीतकर अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई थी। वहीं, साल 2010 दीपिका के लिए सफलताओं से भरा रहा। कई स्पर्धाओं में उन्होंने शानदार प्रदर्शन किया। साल 2010 कॉमनवेल्थ गेम्स में महिला सिंगल्स और टीम वर्ग में दीपिका ने दो स्वर्ण पदक जीते थें और भारत का नाम रौशन किया था। दीपिका ने 2012 में अपने पहले वर्ल्‍ड कप में स्‍वर्ण पदक हासिल किया था। हालांकि 2012 लंदन ओलंपिक में दीपिका कोई पदक नहीं जीत पायी थीं। दीपिका को 2012 में अर्जुन अवॉर्ड, 2014 में एफआईसीसी स्पोर्ट्स पर्सन अवॉर्ड और 2016 में पद्मश्री से भी नवाजा गया हैं।

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शादी और परिवार

आपको बता दें कि दीपिका वर्तमान में टाटा स्टील कंपनी के खेल विभाग की प्रबंधक हैं और उन्‍होंने अपने बॉयफ्रेंड और खिलाड़ी अतनु दास से सगाई कर ली है और सूत्रों के अनुसार दोनों इस साल के अंत तक यानि नवंबर-दिसंबर तक शादी के बंधन में बंध जाएंगे।

Photo courtesy- twitter.com(@worldarchery, The National, InStyle, Edubilla, Sportstar - The Hindu)

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