बच्चे तो भगवान की देन होते हैं, छोटी कन्याएं देवी का रूप होती हैं, भगवान अपने रूप में कन्याओं को धरती पर भेजते हैं ... ऐसी ही ना जाने कितनी बातें हम भारत में सुनते हैं। पर असल में क्या इन बातों पर अमल होता है? ऐसा तो बिल्कुल नहीं है। आए दिन ऐसी कई खबरें हमारे सामने आ जाती हैं जिनको सुनने के बाद ऐसा लगता है कि हमारा समाज, समाज कहलाने के लायक ही नहीं है। हाल ही में भी एक ऐसा ही किस्सा सामने आया है जहां एक पिता ने अपनी 7 साल की बेटी को मार दिया।
गुजरात के खेड़ा जिले की ये घटना है जहां एक व्यक्ति ने अपनी बच्ची को ऐसे ही नहर में धक्का दे दिया। उसने ऐसा रात के वक्त किया और अपनी पत्नी को भी धमका दिया कि बच्ची के बारे में किसी को ना बताए। अगले दिन बच्ची का शव उसी नहर में मिला।
गुजरात के चेलावत गांव में रहने वाला विजय सोलंकी और उसकी पत्नी अंजनाबेन सोलंकी ने घटना के कुछ दिन बाद सच्चाई बताई। यह घटना 10 जुलाई की है। गुरु पूर्णिमा की रात को विजय अपनी पत्नी और दो बेटियों (उम्र 3 साल और 7 साल) को लेकर दीपेश्वरी माता मंदिर में जाने का कहकर निकला था। वहां जाकर कोई बहाना बनाकर वो वापस आ गया।
रास्ते में रोती हुई बेटी को चुप करवाने के बहाने उसने नहर के पास अपनी गाड़ी रोकी और बेटी से कहा कि आओ तुम्हें मछली दिखाता हूं। रात में ही वो बेटी को नहर के किनारे ले गया और वहां से उसे धक्का दे दिया। इससे पहले कि अंजनाबेन कुछ कर पातीं, विजय ने उन्हें धमकाना शुरू कर दिया। विजय ने कहा कि अगर उन्होंने कुछ कहा, तो उन्हें तलाक दे देगा।
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पुलिस को दोनों ने पहले कहा कि बच्ची अपने आप गिर गई। बाद में अंजनाबेन ने अपने परिवार वालों को ये बात बताई और उनके भाइयों ने कहा कि वो साथ हैं, अंजनाबेन पुलिस के पास जाएं।
जब पुलिस को इसके बारे में पता चला, तो उन्होंने विजय को गिरफ्त में लिया।
रिपोर्ट के अनुसार, विजय ने अपनी बेटी को मारने की बात स्वीकार कर ली है। विजय ने कहा, 'बेटा नहीं था इसलिए मार दिया... बेटे के लिए जगह बनानी थी...'।
अंजनाबेन का कहना है कि विजय दूसरी बेटी के जन्म के बाद से ही उन्हें परेशान कर रहा था। कई बार वो घर छोड़कर गईं, कई बार उन्हें घर से निकाल दिया गया। बार-बार विजय ये कहकर उन्हें वापस ले आता था कि उसका गुस्सा ठंडा हो गया है।
विजय और अंजनाबेन की घटना समाज के कितने मुद्दों पर सवाल उठाती है..
NCRB (नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो) ने 2023 में एक रिपोर्ट जारी की थी जिसमें बताया था कि भारत में 2019 से 2021 के बीच तीन साल में ही 13.13 लाख महिलाएं और बच्चियां लापता हो गई थीं। जरा सोचिए महिलाओं के खिलाफ अपराधों की संख्या कितनी बड़ी है।
वो बच्ची जिसके पिता ने ही उसे नहर में धक्का दे दिया क्योंकि वो लड़का चाहता था, इतनी बड़ी बात हम कैसे साधारण मान सकते हैं? वो देश जहां लड़कियों की पूजा देवी की तरह की जाती है, उनके साथ नवरात्रि के बाद क्या होता है? मेरे हिसाब से यहां गलती सिर्फ पिता की नहीं, मां की भी है जो अपने लिए ही नहीं अपनी बच्ची के लिए भी आवाज नहीं उठा पाई। ऐसे समाज को आप क्या कहेंगे जिसने उस महिला को इतनी हिम्मत भी नहीं दी कि वो अपने साथ होते अन्याय के खिलाफ आवाज उठा ले।
सवाल कई हो सकते हैं, लेकिन हमारी जिंदगी में ये बस एक और खबर है, बस एक और न्यूज, एक और आंकड़ा, एक और नाम। वो बच्ची 7 साल की उम्र में तड़प-तड़प कर मर गई। उस बच्ची के पास और कुछ भी नहीं बचा था। वो बस अपने पिता के साथ खेलना चाहती थी। पिता जो अपनी बेटियों को परियों की तरह रखते हैं, वहां एक पिता ऐसा दानव होगा किसी ने सोचा भी नहीं था। आए दिन ऐसी कोई ना कोई खबर हमारी आंखों के सामने आ जाती है जहां लगता है कि इंसानियत शर्मसार हो रही है।
आप खुद ही बताएं, हम जिन संस्कारों और सभ्यता की बात करते हैं, क्या वहां ये सब आम होना चाहिए? हम अपराध को आम मानने लगे हैं, ये सही नहीं हो सकता।
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