35 Year Old Woman From Azamgarh Dies During Tantrik Fertility Ritual: बहू हमारे वंश को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी अब तेरी है...बेटा खानदान को आगे बढ़ाना है, तो कुछ सोचो। बच्चा कब प्लान कर रही हो। पोता-पोती की शक्ल कब दिखाओगी...ऐसी ना जाने कितनी ही बातें आज भी महिलाएं सुनने के लिए मजबूर हैं। बच्चा पैदा करने का दबाब आज के इस मॉर्डन जमाने में भी उतना ही है, जितना आज से 30-40 साल पहले था। कई बार महिलाएं इस दबाब में आकर हर हद तक पार करने को तैयार हो जाती हैं। इसका जीता-जागता उदाहरण बनीं आजमगढ़ की रहने वाली एक 35 वर्षीय महिला।
इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के कंधरापुर थाना क्षेत्र की अनुराधा नाम की महिला बच्चा ना होने के कारण काफी परेशान थी। बीते रविवार को महिला एक तांत्रिक के पास गई, जहां तंत्र के नाम पर उसे टॉयलेट का गंदा पानी पिलाया जाता है और इसके बाद उसकी मौत हो जाती है। इस घटना ने एक बड़ा सवाल खड़ा किया है। आखिर कब तक बच्चा पैदा करने के दबाब में समाज महिलाओं को इस तरह कुर्बान करेगा? क्या बच्चा पैदा ना होने पर डॉक्टर की सलाह लेना सही नहीं था?
शादी के बाद बच्चा ना होने पर लिया तंत्र का सहारा
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, महिला की शादी को 10 साल हो गए थे और उसकी कोई संतान नहीं थी। महिला गर्भधारण की आस में अपनी मां के साथ चंदू नाम के एक स्थानीय तांत्रिक के पास जाती है। तांत्रिक ने दावा किया कि महिला पर बुरी आत्मा का साया है, जो उसे मां नहीं बनने दे रही। मृत महिला के परिवार का दावा है कि तंत्र के नाम पर अनुराधा के बाल खींच गए। यहां तक की उसका मुंह और गला भी दबाया गया। इसके बाद उसे नाले और शौचालय का गंदा पानी भी पिलाया गया।
अस्पताल में शव छोड़कर भागा तांत्रिक
इसके बाद महिला की हालत इतनी बिगड़ी की उसे अस्पताल ले जाना पड़ा, जहां उसने दम तोड़ दिया। महिला की मौत होते ही तांत्रिक और उसके साथी वहां से शव को अकेला छोड़कर भाग निकले। रिपोर्ट्स का दावा है कि तांत्रिक ने बच्चा पैदा करवाने का जिम्मा लेकर एक लाख रुपए भी वसूले थे।
क्या बच्चा पैदा करना इतना जरूरी है?
आज जहां महिलाएं खुद को आजाद कहती हैं और इंडिपेंडेंट वुमन बनकर मर्दों के कंधे से कंधा मिला रही हैं, वहां उसके लिए आज भी बच्चा पैदा करने का सोसाइटी प्रेशर क्यों है? क्या बिना बच्चे के एक परिवार पूरा नहीं हो सकता? आखिर किसने लोगों के, खासकर ग्रामीण इलाकों की महिलाओं के मन में ये सोच डाली कि बच्चा पैदा करना एक जिम्मेदारी है और हर महिला को ये निभानी ही है? क्या कोई महिला बिना बच्चा पैदा किए इस समाज में बराबरी का हक नहीं रखती? आखिर क्यों इस सदी में भी अनुराधा जैसी महिलाओं को बच्चा पैदा करने के लिए इस हद तक जाना पड़ रहा है?
आज के दौर में बच्चे के लिए जादू-टोना पर विश्वास करना कितना सही?
भारत में साक्षरता दर लगातार बढ़ रही है। इसके बाद भी आज के इस युग में लोग कैसे बच्चा ना होने पर डॉक्टर के पास ना जाकर इन ढोंगी तांत्रिकों पर विश्वास कर सकते हैं? क्या भला कोई तांत्रिक किसी महिला के शरीर में होने वाली कमी को ठीक कर सकता है? आखिर ऐसे लोगों को समाज में जगह कैसे मिलती है? प्रसाशन ऐसे लोगों पर कब कड़ी कार्रवाई करेगा, जो लोगों की भावनाओं के साथ खेलते हैं।
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Image Credit: freepik
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