By Pooja Sinha02 Apr 2018, 16:16 IST
क्या आपका बच्चा आपकी आवाज सुनने के बावजूद कोई जवाब नहीं देता है? क्या वह दूसरे बच्चों की तुलना में ज्यादा चुप रहता है? क्या वह सबसे अलग खेलता है? अगर आपके बच्चे में भी ये लक्षण हैं तो हो सकता है कि वह ऑटिज्म से ग्रस्त हो। दुनियाभर में विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस 2 अप्रैल को मनाया जाता है। इस दिन उन बच्चों और बड़ों की लाइफ में सुधार के कदम उठाए जाते हैं जो ऑटिज्म से ग्रस्त है और साथ ही उन्हें इस समस्या के साथ सार्थक जीवन बिताने में हेल्प दी जाती है।
आज विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस के मौके पर हम आपको ऑटिज्म क्या है, इसके लक्षण और इलाज के बारे में बताने जा रहे हैं। इस बारे में हमने मुग्धा कालरा मां, ऑटिज्म एक्टिविस्ट से बात की तब उन्होंने हमें ऑटिज्म के बारे में विस्तार से बताया। आइए हमारे साथ-साथ इस वीडियों के माध्यम से आप भी जानें।
मुग्धा कालरा का कहना हैं कि 'ऑटिज्म एक न्यूरोलॉजिकल कंडीशन या दिमागी अवस्था है जिसमें सोशल कम्यूनिकेशन यानी बातचीत करने की क्षमता, भाषा का इस्तेमाल, दूसरे से घुलमिलकर बात करना, सिखना-समझना ये आम बच्चों से अलग होता है। इसे ऑटिस्टिक स्पैक्ट्रम कंडीशन भी कहा जाता है क्योंकि प्रत्येक बच्चे में इसके अलग-अलग लक्षण देखने को मिलते हैं।
Watch more: ये bollywood actresses समाज में बढ़ा रही हैं हेल्थ के प्रति जागरूकता
किसी भी पेरेंट्स के लिए ये मानना कि उनका बच्चा दूसरों से अलग है या उसमें कोई कमी है, बहुत मुश्किल होता है। इस वजह से कई बार पेरेंट्स बच्चे की अनदेखी कर देते हैं। या बच्चे को छिपा देते हैं। लेकिन ऐसा करना बच्चे के लिए अच्छा नहीं है, क्योंकि शुरुआत में अगर बच्चे को थेरेपी मिल जाएं तो उसमें बहुत सुधार हो सकता है।
अंग्रेजी में एक कहावत है शायद आपने भी सुनी होगी 'You cannot teach a fish to climb a tree' यह बात ऑटिज्म में भी लागू होती है कि आप बच्चे को उसकी क्षमता से बहुत अलग चीज नहीं सिखा सकती हैं। और अगर आपने उसे बच्चे को वो वातावरण दिया जिसमें वह अपनी क्षमता से आगे बढ़ सकता है तो आपको जरूर परिणाम मिलेंगे।
जस्लोक अस्पताल और अनुसंधान केंद्र के परामर्शदाता विकास संबंधी बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर प्रियंका परिख के अनुसार, 2 अप्रैल को विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस मनाया जाता है, और पूरा महीना इसके प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए समर्पित होता है।
ऑटिज्म से ग्रस्त बच्चे अक्सर देरी से बोलते हैं और बोलने में कठिनाइयों का समाना करते हैं, इशारों का उपयोग करते हैं और अन्य लोगों की भावनाओं या उनकी अपनी भावनाओं को समझते हैं। इसके लक्षण 12 से 18 महीने की आयु तक उभरने लगते हैं, और अधिकांश लक्षण 2 और 3 वर्ष की उम्र के बीच प्रकट होते हैं। वे अक्सर दोहराए जाने वाला व्यवहार करते है, प्रतिबंधित रुचियां दिखाते हैं और ध्वनि, स्पर्श इत्यादि जैसे विभिन्न संवेदी इनपुट में परेशानी होती हैं।
एएसडी के प्रत्येक मामले यूनिक हैं और दो व्यक्तियों को एक ही तरह का अनुभव नहीं होता है। सीडीसी के अनुसार, दुनिया की आबादी में एक प्रतिशत को एएसडी है लड़कियों की तुलना में लड़कों में ये चार गुणा अधिक आम है। एएसडी के लिए कोई इलाज नहीं है, लेकिन ऐसे ट्रीटमेंट और थेरेपी हैं जो कि स्पेक्ट्रम से ग्रस्त लोगों की हेल्प करती हैं और एएसडी से जुड़े कुछ चुनौतियों को दूर करते हैं। लेकिन माता-पिता इसे चुनने में गलती करते हैं क्योंकि वह थोड़ा इंतजार करते हैं और उम्मीद करते हैं कि बच्चे असामान्य व्यवहार से बाहर निकल जाएगा।
Producer: Rohit Chavan
Editor: Anand Sarpate