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कान में मंगलसूत्र पहनती हैं कश्‍मीरी महिलाएं, जानें क्‍या है वजह

कोई हाथ में तो कोई उंगली में पहनता है मंगलसूत्र, मगर कश्‍मीरी महिलाएं क्‍यों इसे कान में पहनती हैं? यह जानने के लिए पढ़ें ये आर्टिकल। 
Editorial
Updated:- 2022-10-25, 16:09 IST

भारत के अलग-अलग राज्‍य में शादी से जुड़े अलग-अलग रिवाज हैं। इन रिवाजों में अधिकतर महिलाओं के लिए ही बनाए गए हैं। शादी से जुड़ा एक रिवाज यह है कि विवाहित महिला को अपने पति के नाम का मंगलसूत्र गले में पहनना होता है।

इसके कई धार्मिक महत्‍व भी हैं मगर अब ये फैशन भी बन चुका है। आमतौर पर आपने महिलाओं को गले में मंगलसूत्र पहने हुए देखा होगा। मगर आप बाजार में आपको हाथ में ब्रेस्‍लेट और अंगूठी नुमा मंगलसूत्र भी मिल जाएंगे। मगर इन सबसे अलग कश्‍मीरी महिलाएं मंगलसूत्र को कान में पहनती हैं।

आपको बता दें कि लोग इन्‍हें लॉन्‍ग इयररिंग भी समझते हैं, मगर केवल विवाहित कशमीरी महिलाएं ही इसे पहनती हैं और इसे डेजहूर (Dejhoor) बोला जाता है।

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kashmiri ladies mangalsutra

क्‍या होता है डेजहूर?

कश्‍मीरी पंडित परिवार की विवाहित महिलाओं को डेजहूर पहने देखा जा सकता है। इसे अथ भी बोला जाता है और यह महीन सी गोल्‍ड की चेन होती है और इसमें एक लौकेट भी लटक रहा होता है। दरअसल शादी के दौरान कश्‍मीरी महिलाओं को अथूर पहनाया जाता है, जो लाल रंग का धागा होता है। इसे शादी के बाद बदल दिया जाता है और इसकी जगह सोने की चेन पहनाई जाती है।

क्‍या हैं डेजहूर से जुड़े ट्रेडिशन

डेजहूर में लगा लौकेट हमेशा षटकोण के आकार का होता है। इसमें शिव और पार्वती बने होते हैं, जो शुभ विवाह का प्रतीक होते हैं। आमतौर पर कशमीरी महिलाएं कान के अंदर छेद कराकर डेजहूर पहनती हैं, मगर अब बहुत सारी महिलाएं इसे इयररिंग्‍स की तरह ही कैरी कर लेती हैं। ऐसा कहा जाता है कि इसे कभी भी विवाहित महिलाएं कान से नहीं उतारती हैं। यहां तक कि यदि पति की मृत्‍यु भी हो जाए, तब उन्‍हें ये पहनना होता है।

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अब डेजहूर में बहुत सारे डिजाइंस आ चुके हैं। केवल सिंपल चेन ही नहीं, अबर डिजाइनर लटकन भी इसमें नजर आने लगी हैं। आपको बाजार में डेजहूर की एक से बढ़कर एक फैंसी डिजाइंस मिल जाएंगी। आप इन्‍हें इयररिंग्‍स के साथ और अलग दोनों तरह से कैरी कर सकते हैं।

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why kashmiri ladies wear mangalsutra in ears

हमेशा लड़की ससुराल की तरफ से ही उसे अथूर दिया जाता है और फिर पति के द्वारा उसे पहनाया जाता है। बाद में यह दुल्‍हन की पसंद है कि वह अथूर को कब सोने की चेन में पड़वाएं। हालांकि, शादी के एक साल तक महिलाएं अथहूर ही कैरी करती हैं और फिर वे डेजहूर पहनती हैं।

अगर महिला चाहे तो किसी शुभ अवसर पर डेजहूर को बदल भी सकती हैं दूसरा डेजहूर पहन सकती हैं। हालांकि, अब बहुत सी कश्‍मीरी महिलाएं गलें में काले मोती वाला मंगलसूत्र पहनना अधिक पसंद करती हैं, मगर कुछ महिलाए आज भी इस ट्रेडिशन को फॉलो करती हैं।

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