बनारसी साड़ी वाराणसी या बनारस शहर में बनने वाली साड़ी हैं, इसलिए इसे बनारसी साड़ी कहते है। बनारसी साड़ी भारत की बेहतरीन साड़ियों में से एक हैं। और आपको शायद ही कोई महिला मिलेगी जो इस साड़ी को पसंद न करती हो। बनारसी साड़ी को समृद्ध और क्लासिक कैटेगरी में रखा जाता है। इसलिए इसे ब्राइडल आउटफिट में शामिल किया जाता है। बनारसी लहंगा भी अब इसमें शामिल हो गया है। शादीशुदा हर महिला के पास एक जोड़ी बनारसी सिल्क साड़ी जरूर होती है। वहीं, कांजीवरम साड़ियां दक्षिण भारत से संबंधित हैं लेकिन इन साडि़यों को भी पूरे भारत में पसंद किया जाता है। आइए जानें बनारसी और कांजीवरम साड़ी के बारे में कुछ बातें।
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बनारसी साड़ियों की उत्पत्ति कब और कहां से हुई
मुगल काल के दौरान बनारसी साड़ी अस्तित्व में आई जब मुस्लिम कारीगरों और शिल्पकारों ने बनारस को अपनी संस्कृति के साथ अच्छी तरह मिश्रित करने वाली जगह के रूप में चुना और वहां पर रेशम बनारसी साड़ियों की बुनाई शुरू की। उनकी विशेषता मुगल-प्रेरित डिजाइन हैं जैसे कि जटिल इंटरफ्लीनिंग फ्लोरल और फोलेट मोटिफ्स, कलगा और बेल, ऊपर की ओर पत्तियों वाला डिजाइन जिसे झालर कहते है। अपने डिजाइन और पैटर्न की गहनता के आधार पर एक साड़ी को बनाने में 15 दिन से एक महीने तक और कभी-कभी तो छह महीने तक का समय लगता है।
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बनारसी और कांजीवरम साड़ी में क्या फर्क है
बनारसी और कांजीवरम दोनों ही भारत की सबसे बेहतरीन सिल्क साड़ियों में से हैं, जो विश्व स्तर पर भी लोकप्रिय हैं। जबकि उनमें से बहुत से पहली नजर में समान लग सकते हैं। इन साड़ियों के बीच मूल अंतर उनकी उत्पत्ति और उनका डिजाइन है, जो आमतौर पर सांस्कृतिक रूप से प्रेरित होता है। जहां कांजीवरम साड़ियां दक्षिण भारत से संबंधित हैं। कांजीवरम ताल्लुक तमिलनाडु में कांचीपुरम से है। वहीं, बनारसी साड़ी उत्तर प्रदेश के वाराणसी या बनारस से है। बनारसी और कांजीवरम साड़ी में एक और खास फर्क ये होता है कि कांजीवरम साड़ी में बुनाई के लिए सुनहरे धागे का इस्तेमाल किया जाता है। जबकि बनारसी साड़ियों में जरी का इस्तेमाल किया जाता है वो सुनहरे और सिल्वर दोनों रंगों की होती है। बनारसी और कांजीवरम साड़ी दोनों अलग-अलग तरह के डिजाइन और रंगों में मिलती है। आप अच्छी कांजीवरम साड़ी जिसकी मार्केट वैल्यू 6087 रुपए है उसे आप मात्र 1522 रुपए में यहां से खरीद सकती हैं।
बनारसी या कांजीवरम साड़ी असली है या नहीं इसे कैसे परखें
- असली बनारसी साड़ी पर बने डिजाइन पारंपरिक होते हैं और असली बनारसी साड़ी के पल्लू में हमेशा छह से आठ इंच लंबा प्लेन सिल्क फैब्रिक होता है। अगर आपकी बनारसी साड़ी पर मुगल पैटर्न से प्रेरित अमरू, अंबी और दोमक जैसे पैटर्न हैं तो इसका मतलब है आपके पास असली बनारसी साड़ी है।
- बनारसी या कांजीवरम साड़ी का फैब्रिक अगर असली होगा तो वो दिखने में चमकदार होगा। कांजीवरम साड़ी को जांचने के लिए उसकी जरी को खुरच कर देखें, अगर उसके नीचे लाल सिल्क निकले तो इसका मतलब है कि आपकी कांजीवरम साड़ी असली है। आप अच्छी बनारसी साड़ी जिसकी मार्केट वैल्यू 4499 रुपए है उसे आप मात्र 1599 रुपए में यहां से खरीद सकती हैं।
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- अलग-अलग रंग के धागों का मेल बनारसी या कांजीवरम सिल्क की साड़ी को एक अलग चमक देता है। रोशनी का कोण बदलने पर असली सिल्क का रंग भी बदलता हुआ नजर आता है।
- अपनी सिल्क की साड़ी को एक अंगूठी के बीच से निकालने की कोशिश करें। अगर आप इसमें सफल हो जाती हैं तो इसका मतलब है कि आपके पास असली सिल्क की साड़ी है। असली सिल्क साड़ी की पहचान ही यह होती है कि वह बहुत ही ज्यादा हल्की होती है।
Photo courtesy- (Peachmode, MapleFashions.com, Quora, WeaverStory, Tilfi)
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