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जानें सिल्क साड़ी से जुड़ी जरूरी बातें

सिल्क साड़ी पहनने के बाद लुक पूरी तरह से बदल जाता है। इसलिए महिलाएं अपने वॉर्डरोब में सिल्क साड़ी का कलेक्शन रखना पसंद करती हैं। 
Editorial
Updated:- 2023-05-04, 20:05 IST

ऐसा कहा जाता है कि महिलाएं साड़ी में बेहद खूबसूरत लगती हैं। इसलिए साड़ी में इतनी ज्यादा वैरायटी है। हर साड़ी के कपड़े और डिजाइन की खासियत अलग होती है।

सिल्क साड़ी की बात ही कुछ और होती है। इसलिए आज भी महिलाएं इस साड़ी को पहनना पसंद करती हैं। सिल्क साड़ी में भी कई वैरायटी आती हैं। रेशम काफी महंगा भी होता है। यही कारण है कि सिल्क साड़ी के दाम भी ज्यादा होते हैं। रेशम के कीड़े से रेशा बनाया जाता है, जिससे बाद में साड़ी बनाई जाती है। रेशम की खासियत यह होती है कि इसकी बनावट की कोई सीमा नहीं होती है। आज इस आर्टिकल में हम आपको सिल्क साड़ी से जुड़ी कुछ खास बातें बताएंगे, जिनके बारे में शायद आप नहीं जानती होंगी।

कहां हुआ सिल्क का उत्पादन

where silk originated first

अगर आपको ऐसा लगता है कि भारत में सिल्क का उत्पादन हुआ था, तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। माना जाता है कि सबसे पहले चीन में सिल्क का उत्पादन हुआ था। पहले के समय में केवल रॉयल लोग ही यह पहनते थे,लेकिन बाद में इलाइट क्लास की महिलाएं भी सिल्क साड़ी पहनने लगीं। सिल्क रोड़ से रेशम पूरे एशिया से पश्चिमी दुनिया में भेजा जाता था।

भारत में सिल्क

भारत में पहले के समय में राजघरानों के लोग ही रेशम का उपयोग करते थे। रेशम के रेशों से ब्रोकेड बनाए जाते थे। रेशम की बुनाई के लिए वह तकनीक अपनाई जाती थी, जिसका इस्तेमाल तुर्की और अफगानिस्तान में किया जाता था।

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किंखवाब

यह सिल्क ब्रोकेड कपड़ों में सबसे महंगा है। यह बात मुगल सम्राट अकबर के समय की है, जब गुजरात के बुनकरों ने स्वदेशी तकनीक के जरिए किंखवाब तैयार किया था।

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बनारसी सिल्क

all about banarasi silk

जैसा कि इसके नाम से पता चलता है इस साड़ी को बनाने का काम बनारस में होता है। बनारसी सिल्क भी भारत में बेहद फेमस है। बनारसी सिल्क साड़ी को बनाने में कम से कम 45 दिन लगते हैं। बनारसी साड़ी के भी कई टाइप हैं। इनमें कटान, ऑर्गेंजा और जॉर्जेट शामिल है। इन सभी साड़ी में इस्तेमाल होने वाले धागे, कढ़ाई और कपड़ा तीनों अलग-अलग होते हैं। बनारसी साड़ी भारी होती है। इसलिए केवल किसी खास मौकों पर ही बनारसी साड़ी पहनी जाती है।

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