women empowerment की लहर केवल शहर में ही नहीं गांव में भी बह रही है। जिस का ही नतीजा है कि गांव की अधिकतर लड़कियां जॉब करना चाहती हैं। यूपी के ग्रामीण महिलाओं पर एक सर्वे किया गया है जिसके नतीजे काफी चौंकाने वाले रहे हैं। इन नतीजों के अनुसार 67 प्रतिशत आगे और पढ़ना चाहती हैं, और 56 प्रतिशत महिलाएं कामकाजी बनना चाहती हैं जिसमें से सबसे अधिक 45 प्रतिशत टीचर बनना चाहती हैं। ये सर्वे भारत के सबसे बड़े ग्रामीण अखबार गाँव कनेक्शन ने किया है। ये सर्वे यूपी के 25 जिलों और 350 ब्लॉक में 5000 महिलाओं पर किया गया है। आगे स्लाइड्स में देखें कि ग्रामीण महिलाएं क्या चाहती हैं औऱ किस तरह से वो आगे बढ़ रही हैं।
सर्वे में 15 से 45 साल की उम्र की ग्रामीण लड़कियों/महिलाओं से सबसे पहले पूछा गया कि, "अगर मौका मिले तो क्या आगे पढ़ेंगी?" इस सवाल का जवाब काफी हैरान करने वाला था। 67 फीसदी महिलाओं ने जवाब दिया कि उन्हें अगर मौका मिला तो वे आगे पढ़ना चाहेंगी।
ब्यूटी पार्लर का बिजनेस अभी पूरी तरह से फैला नहीं है और गांव इनके लिए अच्छा मार्केट साबित हो सकता है। क्योंकि जब इनसे पूछा गया कि, "क्या आप ब्यूटी पार्लर जाती है?" तो 47 फीसदी महिलाओं ने माना कि वे जिंदगी में कम से कम एक बार ब्यूटी पार्लर गई हैं जिसमें से केवल 5 फीसदी महिलाएं ही रेग्युलर तौर पर ब्यूटी पार्लर जाती हैं।
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जब इनसे पूछा गया कि, "क्या आपको साइकिल चलाना आता है?" तो 50 फीसदी महिलाओं ने कहा कि उन्हें साइकिल चलाना आता है। वहीं 2 फीसदी महिलाएं साइकिल चलाना सीख रही हैं और 4 फीसदी महिलाएं साइकिल चलाना सीखना चाहती हैं।
वहीं जब इनसे पूछा गया कि, "आप भविष्य में क्या बनना चाहेंगी?" तो 56 फीसदी महिलाओं ने जवाब दिया कि वे बाहर जाकर काम करना चाहती हैं। यहां तक कि 42 फीसदी महिलाओं ने कहा कि वे अपनी पर्सनल लाइफ में खुश नहीं हैं।
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केवल दहेज प्रथा से रिलेटेड सवाल का जवाब काफी दुखी करने वाला रहा। जब उनसे पूछा गया कि, "क्या उनकी शादी के लिए दहेज दिया गया?" तो 80 फीसदी ग्रामीण महिलाओं ने कहा कि, हां उनके घरवालों ने शादी के समय दहेज दिया था। जबकि 81 फीसदी कुंवारी लड़कियों ने माना कि उनके घरवाले उनकी शादी के लिए दहेज देंगे।