
शनि देव हिन्दू धर्म में न्याय और कर्म के देवता हैं। वे सूर्यदेव के पुत्र हैं। शनिदेव को नवग्रहों में सबसे शक्तिशाली ग्रह माना जाता है। वहीं शनिवार का दिन शनिदेव को समर्पित है। इस दिन शनिदेव की पूजा-अर्चना करने से व्यक्ति को साढ़ेसाती और ढैय्या से छुटकारा मिल सकता है। वहीं शनिदेव की पूजा करने के बाद पीपल के पेड़ की पूजा करने का विशेष महत्व है। अब ऐसे में आखिर शनिदेव की पूजा के बाद पीपल की पूजा क्यों करनी जरूरी मानी जाती है। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।

ज्योतिष के अनुसार पीपल का संबंध शनिदेव से माना जाता है। पीपल की जड़ में शनिवार को जल चढ़ाने और दीपक जलाने से कई प्रकार के कष्टों से छुटकारा मिल सकता है। ऐसी मान्यता है कि जिस व्यक्ति पर शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या का प्रभाव है, उसे पीपल के पेड़ की पूजा और परिक्रमा करना शुभ माना जाता है। वहीं पीपल का पेड़ लगाने से शनिदेव की कृपा बनी रहती है। वहीं पीपल के पेड़ को 'नवग्रहों का वृक्ष' माना जाता है। इसका मतलब है कि पीपल के पेड़ में सभी नौ ग्रहों का प्रभाव होता है। शनिदेव की पूजा के बाद पीपल के पेड़ की पूजा करने से शनि ग्रह सहित सभी ग्रहों का शुभ प्रभाव प्राप्त होता है। पीपल के पेड़ को 'वायु तत्व' का प्रतीक माना जाता है। शनिदेव को 'वायु तत्व' का स्वामी भी माना जाता है। इसलिए, शनिदेव की पूजा के बाद पीपल के पेड़ की पूजा करने से वायु तत्व का संतुलन बना रहता है और शनि ग्रह से संबंधित दोषों से मुक्ति मिल सकती है। पीपल का पेड़ शनिदेव का प्रिय वृक्ष माना जाता है। कहा जाता है कि शनिदेव अक्सर पीपल के पेड़ के नीचे विश्राम करते हैं। इसलिए, शनिदेव की पूजा के बाद पीपल के पेड़ की पूजा करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा प्राप्त होती है।
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पौराणिक कथा के अनुसार एक बार अगस्त्य ऋषि दक्षिण दिशा में अपने शिष्यों के साथ गोमती नदी के तट पर गए और एक साल तक यज्ञ करते रहें। उस समय स्वर्ग पर राक्षसों का राज था। कैटभ नाम के राक्षस ने पीपलग का रूप लेकर यज्ञ में ब्राह्मणों को परेशान करना शुरू कर दिया। ब्राह्मणों को मारकर खा जाता था। जैसे ही कोई ब्राह्मण पीपल के पेड़ की टहनियां या पत्ते तोड़ने जाता है, तो राक्षस उनको खा जाता था।
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लगातार अपनी संख्या कम होते देख ऋषि मुनि मदद के लिए शनिदेव के पास गए। इसके बाद शनिदेव ब्राह्मण का रूप लेकर पीपल के पास गए। वहीं पेड़ बना राक्षस शनिदेव को साधारण ब्राह्मण समझकर खा गया। इसके बाद भगवान शनि उसका पेट चीरकर बाहर निकले और उस दैत्य का अंत कर दिया। राक्षस का अंत होने से ऋषि प्रसन्न हुए और शनिदेव का धन्यवाद किया। शनिदेव ने भी खुश होकर कहा कि जो भी व्यक्ति शनिवार के दिन पीपल के पेड़ का स्पर्श करेगा या उसकी पूजा करेगा। उसके सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाएंगी। वहीं जो व्यक्ति विधिवत रूप से पीपल के पेड़ की पूजा, ध्यान, हवन और पूजा करेगा। उसे मेरी पीड़ा कभी नहीं झेलनी पड़ेगी।
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Image Credit- herZindagi
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