अक्सर ऐसा होता है कि जब भी किसी धार्मिक यात्रा या तीर्थ यात्रा के लिए महिलाएं जाती हैं तो पीरियड्स अचानक शुरू हो जाते हैं। अब ऐसे में ये तो संभव नहीं कि तीर्थ यात्रा को अधूरा छोड़ दिया और न ही ये संभव है कि तीर्थ यात्रा पर जाना ही कैंसिल कर दें। ऐसे में क्या करना चाहिए ये सवाल महिलाओं के मन में अवश्य आता होगा। इसी कड़ी में ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स हमें बता रहे हैं कि अगर कभी ऐसी परिस्थिति उत्पन्न हो जाए कि तीर्थ यात्रा के दौरान पीरियड्स आ जाएं तो ऐसे में क्या करें।
तीर्थ यात्रा के दौरान पीरियड्स शुरू हो जाने पर क्या करें?
लोक मान्यताओं के अनुसार, पीरियड्स के दौरान महिलाओं को मंदिर नहीं जाना चाहिए, पूजा नहीं करनी चाहिए और किसी भी धार्मिक कार्य में सम्मिलित नहीं होना चाहिए। हालांकि, धार्मिक ग्रथों में ऐसा कुछ भी उल्लेख नहीं मिलता है। यह सिर्फ जन धारणा ही है।
वहीं, अगर पीरियड्स के दौरान कोई महिला तीर्थ यात्रा पर जा रही होती है या फिर तीर्थ यात्रा के बीच में पीरियड्स शुरू हो जाते हैं तो अक्सर लोग इसे अशुभ मानते हैं जो कि पूरी तरह से गलत है। शास्त्रों में तो मासिक धर्म को सबसे पवित्र प्रक्रिया माना गया है।
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शास्त्रों में यह भी बताया गया है कि अगर किसी महिला को मासिक धर्म उस समय हो जाए जब वह मंदिर में है या फिर किसी तीर्थ यात्रा पर है तो ऐसे में न तो तीर्थ यात्रा को रोकना चाहिए और न ही भगवन के दर्शनों को बीच में छोड़ना चाहिए। इससे दोष लगता है।
असल में शास्त्रों में यह बात कही गई है कि तीर्थ यात्रा अगर संपूर्ण भक्ति भाव और पश्चाताप के साथ की जाए तो इससे किये गए पापों का नाश होता है और पुण्यों में वृद्धि होती है। इसके अलावा, तीर्थ यात्रा करने से व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति भी होती है।
तीर्थ यात्रा एक माध्यम से भगवान को प्राप्त करने का और ऐसे में अगर सिर्फ मासिक धर्म ही नहीं बल्कि कोई भी परिस्थिति क्यों न जाए सामने तीर्थ यात्रा को छोड़ना नहीं चाहिए बल्कि उसे जिस भी अवस्था में आप हैं उसी अवस्था में पूरा करना चाहिए।
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शास्त्रों में वर्णित है कि अगर किसी महिला को मासिक धर्म के तीर्थ यात्रा या भगवान के दर्शनों के दौरान आता है तो ऐसे में स्नान करें, मस्तक पर चंदन लगाएं और भगवान के पूरी श्रद्धा से दर्शन करें। बस इतना ख्याल रखें कि पूजा की सामग्री मंदिर में न दें।
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image credit: herzindagi
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