अष्टमी का दिन हिंदू धर्म में देवी पूजन के लिए बेहद पवित्र माना जाता है। हर साल दो बार आने वाली नवरात्रि के दौरान अष्टमी का दिन विशेष रूप से मनाया जाता है। बात जब चैत्र नवरात्रि की अष्टमी और दुर्गा अष्टमी की आती है, तो अक्सर इसे लेकर लोगों के मन में सवाल उठता है कि क्या दोनों एक ही होते हैं या इनमें कोई अंतर है? ये दोनों पर्व भले ही अष्टमी तिथि पर आते हैं और देवी दुर्गा की पूजा की जाती है, लेकिन इनकी प्रकृति, महत्व, और पूजा की विधियों में काफी अंतर होता है। चैत्र नवरात्रि की अष्टमी अधिक आध्यात्मिक और साधनात्मक रूप में मनाई जाती है, जबकि दुर्गा अष्टमी एक लोकपर्व की तरह उत्सव भरे रूप में मनाई जाती है। हालांकि, पूजा-पाठ से लेकर मान्यता तक इन दोनों पर्व में काफी फर्क है। आइए इस लेख में जानते हैं कि चैत्र नवरात्रि की अष्टमी और दुर्गा अष्टमी में क्या अंतर है और क्यों दोनों को अलग-अलग रूप में मनाया जाता है।
समय और मौसम के अनुसार फर्क
चैत्र नवरात्रि अष्टमी वसंत ऋतु में आती है, जो अंग्रेजी कलेंडर के अनुसार, मार्च-अप्रैल के महीने में आती है। यह नववर्ष की शुरुआत का प्रतीक भी माना जाता है।
जबकि दुर्गा अष्टमी शरद ऋतु में आती है, जो कि अंग्रेजी कलेंडर के अनुसार, सितंबर-अक्टूबर के दौरान आती है। यह सबसे व्यापक रूप से मनाई जाने वाली नवरात्रि होती है।
धार्मिक महत्व में भी है अंतर
चैत्र नवरात्रि की अष्टमी के दिन देवी दुर्गा के आठवें रूप महागौरी की पूजा की जाती है। साथ ही रामनवमी से पहले की यह तिथि साधना और उपासना के लिहाज से बहुत पवित्र मानी जाती है।
वहीं, दुर्गा अष्टमी को महाअष्टमी के नाम से भी जाना जाता है और इस दिन अष्ट शक्तियों की विशेष पूजा होती है। यह तिथि शक्तिपूजा, हवन, कन्या पूजन और महिषासुर मर्दिनी के रूप में देवी की विजय का प्रतीक होती है।
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कन्या पूजन में अंतर
दोनों ही अवसरों पर कन्या पूजन किया जाता है, लेकिन दुर्गा अष्टमी या महाष्टमी के मौके पर यह अधिक व्यापक और भव्य रूप से किया जाता है। लोग 9 कन्याओं को भोज कराते हैं और उन्हें देवी का स्वरूप मानकर पूजते हैं।
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व्रत और पूजा विधि में फर्क
दोनों अष्टमियों पर व्रत रखने की परंपरा है, लेकिन दुर्गा अष्टमी के दिन विशेष महाअष्टमी पूजन, हवन और नवदुर्गा की विशेष आरती होती है। चैत्र नवरात्रि की अष्टमी का उत्तर भारत में आध्यात्मिक महत्व अधिक है। यह त्योहार आमतौर पर घरेलू रूप में मनाया जाता है। जबकि दुर्गा अष्टमी बंगाल, असम, ओडिशा जैसे राज्यों में यह बहुत भव्य रूप से दुर्गा पूजा के रूप में मनाई जाती है। इस दौरान पंडाल सजते हैं, ढाक बजती है और मां दुर्गा की विशेष आराधना की जाती है।
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Image credit- Herzindagi
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