wear gomed gemstone to get rid of negative effects of kaal sarp dosha

कुंडली में है कालसर्प दोष तो जरूर पहनें यह एक रत्न, अशुभ प्रभाव हो सकते हैं दूर

क्या आपकी कुंडली में कालसर्प दोष है और आप इसके प्रभावों से चिंतित हैं? ज्योतिषशास्त्र में कालसर्प दोष को एक महत्वपूर्ण और अक्सर चुनौतीपूर्ण योग माना जाता है, जो व्यक्ति के जीवन में कई बाधाएं और देरी ला सकता है। इसलिए इस अशुभ प्रभावों को कम करने के लिए गोमेद रत्न को पहनने के बारे में बताया गया है। आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं। 
Editorial
Updated:- 2025-07-08, 16:03 IST

ज्योतिष शास्त्र में कालसर्प दोष तब बनता है जब कुंडली में सभी ग्रह राहु और केतु के बीच आ जाते हैं। राहु और केतु को छाया ग्रह माना जाता है, और जब इनके बीच सभी प्रमुख ग्रह आ जाते हैं, तो यह दोष उत्पन्न होता है। इसके परिणामस्वरूप व्यक्ति को संघर्ष, स्वास्थ्य समस्याएं, आर्थिक परेशानियां और रिश्तों में तनाव जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। अब ऐसे में अगर किसी जातक की कुंडली में कालसर्प दोष है तो किस रत्न को धारण करने से उत्तम परिणाम मिल सकते हैं। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।

कालसर्प दोष से छुटकारा पाने के लिए पहनें गोमेद रत्न

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ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब किसी व्यक्ति की कुंडली में सभी ग्रह राहु और केतु के बीच आ जाते हैं, तो कालसर्प दोष का निर्माण होता है। राहु और केतु छाया ग्रह हैं और इनका प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर गहरा होता है। गोमेद रत्न को राहु ग्रह का प्रतिनिधित्व करने वाला माना जाता है। इसलिए, कालसर्प दोष के नकारात्मक प्रभावों को कम करने में यह रत्न विशेष रूप से सहायक हो सकता है। गोमेद राहु के अशुभ प्रभावों को शांत करने में मदद करता है, जिससे कालसर्प दोष से उत्पन्न होने वाली परेशानियां कम हो सकती हैं। आपको बता दें, यह रत्न व्यक्ति में आत्मविश्वास और साहस बढ़ाता है, जिससे वे चुनौतियों का सामना करने में सक्षम होते हैं।

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गोमेद रत्न का पहनने के नियम

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यह रत्न विशेष रूप से उन लोगों के लिए शुभ माना जाता है जिनकी कुंडली में राहु की स्थिति कमजोर हो या राहु अशुभ फल दे रहा हो। वृषभ, मिथुन, कन्या, तुला और कुंभ लग्न वाले जातकों के लिए यह विशेष रूप से लाभकारी हो सकता है। गोमेद को शनिवार के दिन धारण करना शुभ होता है, क्योंकि राहु को शनि का प्रिय ग्रह माना जाता है। रत्न को धारण करने से पहले उसे गंगाजल और कच्चे दूध के मिश्रण में डुबोकर शुद्ध करना चाहिए। इसके बाद, राहु के मंत्र "ऊं रां राहवे नमः" का 108 बार जाप करते हुए इसे धारण करें। गोमेद रत्न पहनने के दौरान तामसिक भोजन करने से बचना चाहिए।

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Image Credit- HerZindagi

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