आपकी कुंडली में किसी भी ग्रह की युति आपके जीवन में सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह के प्रभाव डाल सकती है। ऐसे ही कुछ ग्रहों का संयोग या किसी भी स्थान पर ग्रहों की स्थिति आपके जीवन में मिले-जुले संकेत देती है। ऐसा कहा जाता है कि यदि आपके जीवन में किसी ग्रह का संयोग नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है तो जीवन में कई समस्याएं आने लगती हैं, वहीं इनके सकारात्मक प्रभाव आपके जीवन को खुशहाल बना सकते हैं।
इन्हीं ग्रहों में से शनि भी हैं जिनका किसी भी ग्रह के साथ संयोग जीवन में आने वाले उतार-चढ़ावों का कारण बन सकता है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य और शनि ग्रह का योग होता है तो उसमें समस्याएं आ सकती हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य और शनि का योग आपकी कुंडली में बहुत महत्वपूर्ण और प्रभावशाली माना जाता है। जब किसी जातक की कुंडली में सूर्य और शनि एक ही भाव में स्थित होते हैं, तो इसे सूर्य-शनि योग कहा जाता है।
चूंकि सूर्य और शनि दोनों में पिता और पुत्र का रिश्ता है, लेकिन दोनों में शत्रुता भी है। इसी वजह से इन दोनों का योग समस्याओं का कारण बन सकता है। आइए ज्योतिर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी से जानें कि अगर आपकी कुंडली में सूर्य और शनि एक साथ हैं तो आपके जीवन में इसके क्या प्रभाव हो सकते हैं और इससे आने वाली समस्याओं के लिए आप क्या उपाय आजमा सकते हैं।
कुंडली में सूर्य और शनि योग के प्रभाव
किसी व्यक्ति की कुंडली में जब सूर्य और शनि एक ही भाव में होते हैं, तो उनके बीच का संबंध व्यक्ति के जीवन को कई तरह से प्रभावित कर सकता है।
इससे आपके जीवन में बिना वजह तनाव आ सकते हैं और कई समस्याएं आने के योग बनते हैं। यह योग आपके जीवन में अहंकार और अनुशासन के बीच टकराव को दिखाता है, जिससे व्यक्ति गुस्सैल स्वभाव का हो सकता है। इसकी वजह से आत्मसम्मान में कमी आ सकती है और इस योग के कारण पिता और पुत्र के बीच मतभेद होने की संभावनाएं बनी रहती हैं। इन दोनों ग्रहों की योग पारिवारिक तनाव बढ़ा सकता है, जिससे आपके रिश्तों में दरार आ सकती है।
यही नहीं यदि सूर्य और शनि आपकी कुंडली में एक साथ विराजमान होते हैं तो इसके दुष्प्रभाव की वजह से पिता और पुत्र के बीच संबंधों में कड़वाहट आ सकती है।
कुंडली में सूर्य और शनि का योग है तो क्या करें
सूर्य और शनि योग के दुष्प्रभावों को कम करने के लिए ज्योतिष में कई प्रभावी उपाय बताए गए हैं। अगर आप इन उपायों का नियम से पालन करें तो किसी भी समस्या से बाहर निकलने में मदद मिल सकती है। यही नहीं इन उपायों से आपके जीवन में सकारात्मक बदलाव भी आ सकते हैं।
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कुंडली में सूर्य और शनि का संयोग है तो सूर्य को अर्घ्य दें
अगर आपकी कुंडली में सूर्य और शनि ग्रह दोनों एक ही स्थान पर हैं तो प्रतिदिन सूर्य को अर्घ्य दें। नियमित रूप से तांबे के लोटे में जल, गुड़ और लाल फूल डालकर सूर्य देव को अर्पित करें। अगर आप नियमित रूप से ऐसा नहीं कर सकते हैं तो रविवार के दिन ये उपाय जरूर आजमाएं। इससे किसी भी दुष्प्रभाव को दूर करने में मदद मिलती है।
शनिवार के दिन शनि देव की पूजा करें
अगर आपकी कुंडली में सूर्य और शनि का योग है तो आपको प्रत्येक शनिवार को शनि मंदिर के दर्शन के लिए जाना चाहिए और शनिदेव की शिला के सामने सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए। अगर आप 11 शनिवार तक ये उपाय आजमाएंगे तो आपके जीवन में समृद्धि बनी रहेगी और आप किसी भी दुष्प्रभाव से बच सकते हैं।
रविवार के दिन आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें
सूर्य और शनि के दुष्प्रभाव से बचने के लिए यदि आप रविवार के दिन आदित्य ह्रदय स्त्रोत का पाठ करेंगे तो आपको किसी भी तरह की समस्याओं से बाहर आने में मदद मिल सकती है।
इसके पाठ से आपके जीवन में भी आत्मविश्वास बढ़ता है और स्वास्थ्य समस्याएं दूर होती हैं। यदि आपके जीवन इन ग्रहों के ज्यादा नकारात्मक प्रभाव हो रहे हैं तो आपको रविवार का व्रत रखने की और सूर्य को नियमित जल चढ़ाने की सलाह दी जाती है। यही नहीं शनि के नकारात्मक प्रभावों को कम करने के लिए आपको शनिवार का व्रत रखने की सलाह भी दी जाती है।
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शनिवार के दिन करें काली चीजों का दान
अगर आपकी कुंडली में शनि और सूर्य का योग है तो आपको शनिवार के दिन काली चीजों का दान करने की सलाह दी जाती है। शनिवार के दिन आप जरूरतमंदों को काले कपड़े, काले अनाज या जूते-चप्पल का दान करें, इससे आपके जीवन में होने वाले किसी भी दुष्प्रभाव को कम किया जा सकता है। इस दिन सरसों के तेल का दान भी आपके लिए फलदायी हो सकता है।
सोमवार के दिन रुद्राभिषेक करें
कई बार कुंडली में ग्रहों की स्थिति ठीक न होने की वजह से आपके जीवन में समस्याएं आने लगती हैं, ऐसे ही यदि आपकी कुंडली में शनि और सूर्य का एक साथ होना समस्याओं का कारण बन रहा है तो आप सोमवार के दिन रुद्राभिषेक का आयोजन करें। यदि आप घर में रुद्राभिषेक का आयोजन नहीं कर सकते हैं तो मंदिर में पंडित से रुद्राभिषेक करें। इसके साथ ही भगवान शिव की पूजा करना भी सूर्य और शनि दोनों के दुष्प्रभावों को कम करने में सहायक हो सकता है। शिवलिंग की पूजा करते समय आप जल, दूध और बेलपत्र चढ़ाएं।
अगर आपकी कुंडली में भी सूर्य और शनि का योग है तो आप इनमें से कोई भी उपाय आजमा सकते हैं। इससे आपके जीवन में समृद्धि बनी रहती है। आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह और भी आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से। अपने विचार हमें कमेंट बॉक्स में जरूर भेजें।
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