मंगला गौरी व्रत एक बहुत ही शुभ और महत्वपूर्ण व्रत है जिसे सावन माह के प्रत्येक मंगलवार को रखा जाता है। यह व्रत माता पार्वती को समर्पित है। इस व्रत का पालन करने से विवाहित महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है, पति को दीर्घायु मिलती है और वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है। अविवाहित कन्याएं भी यह व्रत रखती हैं ताकि उन्हें मनचाहा और उत्तम वर प्राप्त हो सके।
मंगलवार को पड़ने के कारण इस व्रत के शुभ प्रभाव से मंगल दोष भी दूर हो जाता है। साल 2025 में जहां एक ओर सावन मास 11 जुलाई से शुरू हो रहा है तो वहीं, मंगला गौरी व्रत का आरंभ 15 जुलाई, मंगलवार से होगा। ऐसे में ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने हमें बताया कि इस दिन कुछ उपाय करना भी कारगर सिद्ध हो सकता है जिससे वैवाहिक जीवन के क्लेश से लेकर शादी में देरी तक की परेशानियां दूर हो सकती हैं।
मंगला गौरी व्रत में देवी पार्वती को सोलह श्रृंगार की सामग्री अर्पित करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इसमें लाल चूड़ियां, बिंदी, सिंदूर, मेहंदी, आलता, मांग टीका, पायल, काजल, गजरा, चुनरी, लाल साड़ी आदि शामिल होती हैं। मान्यता है कि विवाहित महिलाएं ऐसा करके अपने सौभाग्य को बढ़ाती हैं और अविवाहित कन्याओं को उत्तम वर की प्राप्ति होती है। यह उपाय मां पार्वती को प्रसन्न कर अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद दिलाता है। पूजा के बाद इन सामग्रियों में से कुछ स्वयं धारण करें या किसी सुहागिन स्त्री को भेंट करें।
मंगला गौरी व्रत के दिन केवल देवी पार्वती की ही नहीं, बल्कि भगवान शिव की पूजा भी महत्वपूर्ण है। इस दिन शिवजी को बेलपत्र, धतूरा, भांग, सफेद चंदन, अक्षत और जल अर्पित करें। ऐसा करने से वैवाहिक जीवन में आपसी समझ, प्रेम, तालमेल और विश्वास बना रहता है और पति-पत्नी के बीच संबंध मजबूत होते हैं। शिव-पार्वती की संयुक्त पूजा से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और मंगल दोष का प्रभाव भी कम होता है।
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जिन कन्याओं या महिलाओं की कुंडली में मंगल दोष होता है उनके लिए मंगला गौरी व्रत विशेष फलदायी होता है। इस दिन मां मंगला गौरी और भगवान शिव के साथ-साथ भगवान हनुमान जी की भी पूजा करें। मंगलवार के दिन मंगल ग्रह के बीज मंत्र 'ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः' या 'ॐ अं अंगारकाय नमः' का जाप करने से मंगल दोष का अशुभ प्रभाव कम होता है। साथ ही, इस दिन लाल मसूर की दाल, लाल वस्त्र, गुड़ या गेहूं का दान करना भी शुभ माना जाता है। यह उपाय विवाह में आने वाली बाधाओं को दूर करने में भी सहायक है।
मंगला गौरी व्रत की पूजा में देवी पार्वती को 16 गांठ वाली मौली यानी कि कलावा या 16 की संख्या में जनेऊ अर्पित करना शुभ माना जाता है। यह संख्या देवी को प्रिय है और व्रत की पूर्णता का प्रतीक है। कुछ स्थानों पर 16 प्रकार के फूलों, फलों, पत्तों, मिठाइयों और 16 सुपारी भी अर्पित करने की परंपरा है। यह उपाय आपकी मनोकामनाओं को पूर्ण करने और पूजा को अधिक प्रभावशाली बनाने में मदद करता है।
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व्रत के दिन पूजा के बाद मंगला गौरी व्रत कथा का पाठ या श्रवण अवश्य करें। कथा सुनने या पढ़ने से व्रत का पूरा फल प्राप्त होता है और व्रत रखने का उद्देश्य स्पष्ट होता है। यह कथा देवी पार्वती की महिमा और इस व्रत के महत्व को बताती है। कथा सुनने के बाद मां मंगला गौरी की आरती करें और उनसे अपने सुखी वैवाहिक जीवन, पति की लंबी उम्र या मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करें।
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