Shradh for ancestors

Pitru Paksha 2024 Rules: किसका श्राद्ध कब कर सकते हैं आप? यहां जानिए नियम

Pitru Paksha 2024 Shradh Rules: पितृ पक्ष में श्राद्ध को लेकर अक्सर लोगों के मन में ये सवाल उठते हैं कि आखिर पितरों के लिए तर्पण किस दिन करना उचित होगा। आइए ज्योतिष से इस बारे में विस्तार से जानते हैं। 
Editorial
Updated:- 2024-09-18, 09:12 IST

Pitru Paksha 2024 Shradh Niyam: हिंदू धर्म में पितरों के इस त्योहार पितृपक्ष का बेहद महत्व है। पंचांग के अनुसार, यह हर साल भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि से शुरू होता है और अमावस्या तक चलता है। इस दौरान पितरों को स्मरण करके उनकी पूजा की जाती है। इस साल पितृ पक्ष 18 सितंबर से लेकर 2 अक्टूबर तक चलेगा। कहते हैं इस समय पितरों को तृप्ति और उनकी आत्माओं की शांति के लिए पिंडदान करना शुभ माना जाता है।

ऐसी मान्यता है कि पितृपक्ष के दौरान तर्पण और श्राद्ध कर्म करने से जातक को पितृदोष से छुटकारा मिलता है। ऐसे में, लोगों के मन में अक्सर यह सवाल उठता है कि आखिर पितृपक्ष के इन 15 दिनों में किन पूर्वज का श्राद्ध कर्म कब करना चाहिए, इसके लिए सही तिथि कौन सी होती है और इसके लिए क्या नियन हैं। चलिए इसके बारे में गया के ब्रह्मण अनिल उपाध्याय जी से विस्तार से जानते हैं।

किसका श्राद्ध कब करना चाहिए?

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  • जिन लोगों परिवार के सदस्यों की मृत्यु जिस तिथि पर हुई है, पितृपक्ष में पड़ने वाली उसी तिथि पर उनका श्राद्ध करना चाहिए।
  • जिस महिला की मृत्यु पति के रहते हो गई हो उन नारियों का श्राद्ध नवमी तिथि के दिन करना अच्छा माना जाता है।
  • ऐसी स्त्री जिनकी मृत्यु की तिथि नहीं पता, तो ऐसे में उनका श्राद्ध मातृ नवमी को ही करने का विधान है।
  • आत्महत्या, दुर्घटना आदि से मृत्यु होने पर मृत पितरों का श्राद्ध चतुर्दशी को किया जाता है।

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  • पिता के लिए अष्टमी और माता के लिए नवमी की तिथि श्राद्ध करने के लिए उपयुक्त मानी जाती है।
  • अगर किसी कारणवश आपको अपने परिजनों की मृत्यु की तिथि  याद नहीं है, तो इस स्थिति में सर्वपितृ अमावस्या के दिन श्राद्ध करना उचित माना जाता है।

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पितृपक्ष के दौरान श्राद्ध कर्म करने से लाभ

Pitru paksha  shradh dates

पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, हिंदू धर्म में पितृपक्ष पूर्वजों की पूजा करने का एक महत्वपूर्ण अवधि है। इस दौरान हम पूर्वजों को श्रद्धांजलि अर्पित कर उनका आशीर्वाद लेते हैं। कहते हैं कि पितृपक्ष की अवधि में पितरों की पूजा करन से पितृदोष से मुक्ति मिलती है। पुराणों के मुताबिक, माना जाता है कि श्राद्ध पक्ष के दौरान पितरण मृत्युलोक में अपने वंशजों को देखने आते हैं और तर्पण ग्रहण करके पुनः लौट जाते हैं। इसलिए, इस दौरान पितरों की तृप्ति के लिए तर्पण, पिंडदान, ब्राह्मण भोजन और अन्य तरह के दान करना बेहद जरूरी होता है।

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Image credit- Herzindagi, Bihar tourism

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