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कब है मिथुन संक्रांति? जानिए सूर्य उपासना का महत्व और शुभ मुहूर्त

ज्योतिष शास्त्र में सभी ग्रहों और नक्षत्रों को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। वहीं हर महीने में ग्रहों के गोचर भी होते हैं। अब ऐसे में जून महीने में मिथुन संक्रांति कब मनाई जाएगी। इसके बारे में इस लेख में विस्तार से जानते हैं। 
Editorial
Updated:- 2025-06-11, 09:23 IST

ज्योतिष शास्त्र में मिथुन संक्रांति का विशेष महत्व है। यह वह दिन होता है जब ग्रहों के राजा सूर्य, वृषभ राशि से निकलकर मिथुन राशि में प्रवेश करते हैं। सूर्य आत्मा, आत्मविश्वास, मान-सम्मान, ऊर्जा, नेतृत्व और स्वास्थ्य का कारक ग्रह है। जब सूर्य वृषभ राशि से निकलकर मिथुन राशि में प्रवेश करता है, तो यह जीवन में नई ऊर्जा और परिवर्तन लाता है। आपको बता दें, मिथुन राशि का स्वामी बुध है, जो बुद्धि, तर्क, संचार और नेटवर्किंग का प्रतीक है। सूर्य का मिथुन राशि में प्रवेश इन क्षेत्रों में व्यक्ति खूब तरक्की करता है। अब ऐसे में मिथुन संक्रांति कब है। इस दिन सूर्यदेव की उपासना के लिए मुहूर्त क्या है और पूजा का महत्व क्या है। इसके बारे में इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।

कब है मिथुन संक्रांति?

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सूर्य देव इस दिन वृषभ राशि से निकलकर मिथुन राशि में प्रवेश करेंगे। जिससे इसे मिथुन संक्रांति के नाम से जाना जाता है। मिथुन संक्रांति 15 जून रविवार के दिन रखा जाएगा।

मिथुन संक्रांति के दिन सूर्यदेव की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त

सूर्य देव की पूजा के लिए, ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और सूर्य देव का ध्यान करें। एक तांबे के लोटे में रोली, अक्षत और लाल फूल डालकर सूर्यदेव को अर्घ्य दें। "ॐ घृणि सूर्याय नमः" मंत्र का जाप करें और सूर्य चालीसा व आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करें।
मिथुन संक्रांति पुण्य काल - सुबह 06:53 बजे से दोपहर 02:19 बजे तक
मिथुन संक्रांति महा पुण्य काल - सुबह 06:53 बजे से सुबह 09:12 बजे तक

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मिथुन संक्रांति के लिए सूर्यदेव की पूजा का महत्व

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सूर्य देव को आरोग्य का दाता भी माना जाता है। मिथुन संक्रांति पर उनकी पूजा करने से रोगों से मुक्ति मिलती है और व्यक्ति स्वस्थ रहता है। शास्त्रों के अनुसार, मिथुन संक्रांति पर किया गया स्नान, दान और जप सहस्त्रगुणा फल प्रदान करता है। इसे 'पुण्यकाल' कहा जाता है, जिसमें व्यक्ति अपने पापों से मुक्ति प्राप्त कर सकता है। साथ ही अगर किसी जातक को बार-बार रोगदोष संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है तो इस दिन सूर्यदेव की पूजा विधिवत रूप से करें। इससे उत्तम परिणाम मिल सकते हैं।

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Image Credit- HerZindagi

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