(Significance of Sargi) हिंदू धर्म में सभी त्योहारों का विशेष महत्व बताया गया है। यह निर्जला रखने के कारण सभी व्रतो में सबसे कठिन जितिया व्रत माना जाता है। इस व्रत के दौरान दातुन और स्नान करना भी वर्जित माना जाता है। यह व्रत अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है। बता दें, इसका नहाय-खाय 13 सितंबर, शनिवार के दिन, सप्तमी तिथि पर होगा। इसका आरंभ दिनांक 14 सितंबर, दिन रविवार के दिन, सुबह 5 बजकर 4 मिनट पर होगा। वहीं, इसका समापन 15 सितंबर, सोमवार के दिन, रात 3 बजकर 6 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, जितिया व्रत 14 सितंबर को रखा जाएगा। यह व्रत महिलाएं अपनी संतान की लंबी उम्र, वंश वृद्धि और सुख-समृद्धि के लिए करती हैं। जितिया में सरगी का क्या महत्व है।
इसके बारे में जानना बेहद जरूरी है। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं कि जितिया में सरगी का महत्व क्या है।
इस बार दिनांक 14 सितंबर को ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4 बजकर 33 मिनट से शुरू होगा और सुबह 5 बजकर 19 मिनट पर इसका समापन कर पारण कर सकते हैं।
जितिया व्रत का नहाय-खाय एक दिन पहले करते है। ऐसे में पंचांग के अनुसार, यह 13 सितंबर, शनिवार के दिन, सप्तमी तिथि पर होगा। साथ ही, 14 सितंबर को सूर्योदय से पहले ब्रह्म मुहूर्त में जितिया का ओठगन होगा। निशिता काल में जितिया व्रत की पूजा करने से संतान के भाग्य में वृध्दि होती है और उसे आरोग्य का आशीर्वाद मिलता है।
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जितिया में सरगी का विशेष महत्व बताया गया है। इसके बिना व्रत की शुरूआत नहीं होती है। यह व्रत छठ पूजा की तरह निर्जला रखी जाती है और इस दौरान सोने भी वर्जित होता है। आपको बता दें, जितिया के सरगी में दही, चूड़ा, पूड़ी, मिठाई, नारियल पानी, फल आदि खाते हैं। उसके बाद पूरे दिन तक बिना अन्न, जल के रहा जाता है।
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जितिया का पर्व कुल तीन दिन तक मनाया जाता है। उसके बाद परंपरा का अनुसार व्रत का पारण करने के बाद पुरोहित को भोज भी कराया जाता है। जिससे महिलाओं को व्रत के शुभ फलों की प्राप्ति हो सकती है।
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इस बात का ध्यान रखें कि अगर आप यह व्रत रख रहे हैं, तो इसे बीच में न छोड़ें। ऐसी मान्यता है कि पहले सास इस व्रत को रखती है और उसके बाद घर की बहुओं के द्वारा यह व्रत किया जाता है।
जितिया व्रत में शालीवहन राता के पुत्र धर्मात्मा जीमूतवाहन की विशेष पूजा-अर्चना का जाती है। जिससे संतान (संतान गोपाल मंत्र)के ऊपर कभी किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं आती है।
जितिया की शुभ तिथि, मुहूर्त और सरगी का महत्व क्या है। इसके बारे में विस्तार से जानें और अगर हमारी स्टोरी से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हर जिंदगी से।
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