भगवान शिव के प्रमुख 12 ज्योतिर्लिंग है, जिसमें से एक है सोमनाथ ज्योतिर्लिंग। इस ज्योतिर्लिंग को पहला ज्योतिर्लिंग कहा जाता है। भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंग के स्तोत्र में भी सोमनाथ ज्योतिर्लिंग को पहले श्लोक में वर्णन किया गया है।
सौराष्ट्रदेशे विशदेऽतिरम्ये ज्योतिर्मयं चन्द्रकलावतंसम् ।
भक्तिप्रदानाय कृपावतीर्णं तं सोमनाथं शरणं प्रपद्ये ॥
अर्थ-जो अपनी भक्ति प्रदान करने के लिये अत्यंत रमणीय तथा निर्मल सौराष्ट्र प्रदेश में दयापूर्वक अवतीर्ण हुए हैं, चन्द्रमा जिनके मस्तक का आभूषण हैं, उन ज्योतिर्लिंग स्वरूप भगवान श्री सोमनाथ की शरण में मैं जाता हूँ।
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग का नाम और इससे जुड़ी कथा बहुत प्राचीन और महत्वपूर्ण है। गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में स्थित यह ज्योतिर्लिंग वेरावल बंदरगाह के पास है। "सोमनाथ" नाम भगवान शिव के एक नाम "सोम" से उत्पन्न हुआ है, जो चंद्र देव का प्रतीक है। इसके नाम के पीछे एक रोचक और पौराणिक कथा है, जिसके बारे में आज हम आपको इस लेख में बताएंगे।
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग को यह नाम कैसे मिला?
चंद्र देवता ने दक्ष प्रजापति की 27 कन्याओं से विवाह किया था, लेकिन उन्होंने केवल उन सभी बहनों में रोहिणी से ही विशेष प्रेम किया और बाकी पत्नियों की उपेक्षा की। चंद्र देव के इस व्यवहार से क्रोधित होकर दक्ष प्रजापति ने चंद्रमा को श्राप दिया कि उनका तेज धीरे-धीरे क्षीण हो जाएगा। इस श्राप के प्रभाव से चंद्रमा का तेज घटने लगा और वह दुर्बल एवं रोगग्रस्त हो गए।
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चंद्र देव श्राप से मुक्ति पाने के लिए भगवान शिव की आराधना और तपस्या की। चंद्रमा के भक्ति और तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिवने चंद्रमा को दक्ष प्रजापति के श्राप से मुक्त किया और उन्हें अपने मस्तक पर धारण कर लिया। भगवान शिव के मस्तक पर सुशोभित होकर चंद्रमा ने शिव जी से आग्रह किया कि इस स्थान पर (सौराष्ट्र) एक ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थापित हो जाए और इस स्थान का नाम "सोमनाथ" रखा जाए। भगवान शिव ने चंद्रमा की इच्छा को स्वीकार कर लिया और इस तरह से इस स्थान का नाम सौराष्ट्र से सोमनाथ पड़ा।
सोमनाथ का पौराणिक महत्व:
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग को सभी ज्योतिर्लिंग में प्रथम ज्योतिर्लिंग माना जाता है और यह शिव भक्तों के लिए अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण जगह है। ऐसा माना जाता है कि यहां स्थित सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस मंदिर को कई बार ध्वस्त किया गया और फिर से निर्मित हुआ, लेकिन इसकी महिमा और आस्था आज भी बरकरार है।
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सोमनाथ मंदिर का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व:
सोमनाथ मंदिर का इतिहास भी बहुत समृद्ध और विविधता से संपन्न है। इस मंदिर को लूटने और गिराने के लिए कई बार आक्रमणकारियों आक्रमण कर नष्ट किया, लेकिन हर बार इसे भक्तों ने पुनः निर्माण किया। इस मंदिर का वास्तुशिल्प और धार्मिक महत्व पूरे भारत में ही नहीं दुनियाभर में प्रसिद्ध है।
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Image Credit: gujrat torism, somnath org
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