शिवपुराण की कथा के अनुसार शिवलिंग को भगवान शिव का स्वरूप माना गया है। इसके साथ-साथ रोजाना शिवलिंग में जल चढ़ाने का विशेष महत्व है। शिवपुराण की कथा में बताया गया है कि भगवान शिव का पूरा परिवार शिवलिंग में स्थित है। इसलिए शिवलिंग की पूजा से शिव परिवार के पूजा का फल मिलता है। यह तो रही शिवलिंग की बात जिसके बारे में अधिकतर लोगों को पता है, लेकिन क्या आपको ज्योतिर्लिंग के बारे में पता है, बता दें कि ज्योतिर्लिंग और शिवलिंग दोनों अलग हैं। बहुत से लोगों को यह लगता है कि शिवलिंग और ज्योतिर्लिंग दोनों एक ही है। लेकिन आपको बता दें कि इन दोनों ही लिंगों में बहुत अंतर है, जिसके बारे में आज हम आपको बताएंगे।
शिवलिंग क्या है?
शिवपुराण के अनुसार शिवलिंग का अर्थ है अनंत, यानी जिसका न कोई अंत और न शुरुआत। शिवलिंग भगवान शिव और माता पार्वती के आदि और अनादि का एकल रुप है, वहीं लिंग का मतलब है प्रतीक। इस प्रकार शिवपुराण में शिवलिंग को भगवान शिव का प्रतीक माना गया है। शिवलिंग को शिव जी के प्रतीक के रूप में मनुष्यों द्वारा बनाया जाता है और पूजा अर्चना के लिए घर एवं मंदिरों में स्थापित कर प्राण प्रतिष्ठा किया जाता है और फिर शिवलिंग की पूजा की जाती है।
ज्योतिर्लिंग क्या है?
देशभर में 12 ज्योतिर्लिंग है, शिवपुराण की कथा के अनुसार जहां-जहां ये ज्योतिर्लिंग स्थापित हैं, वहां स्वयं भगवान शिव एक ज्योति के रूप में उत्पन्न हुए थे। इस तरह से ज्योतिर्लिंग स्वयं भगवान शिव का एक रूप है, जिसे स्वयंभू अर्थात स्वयं घटित होना वाला कहा जाता है। ये 12 ज्योतिर्लिंग 12 राशियों का प्रतिनिधित्व करते हैं, इसलिए इन 12 ज्योतिर्लिंगों का विशेष महत्व माना गया है। इसके अलावा शिवपुराण में यह भी कहा गया है कि जो मनुष्य अपने जीवन काल में इन 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन करता है, उसे भगवान शिव की विशेष कृपा मिलती है।
ये हैं 12 ज्योतिर्लिंग
- सोमनाथ ज्योतिर्लिंग - गुजरात
- नागेश्वर ज्योतिर्लिंग - गुजरात
- केदारनाथ ज्योतिर्लिंग - उत्तराखंड
- काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग - उत्तर प्रदेश
- महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग - मध्य प्रदेश
- ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग - मध्य प्रदेश
- त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग - महाराष्ट्र
- घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग - महाराष्ट्र
- भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग - महाराष्ट्र
- वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग - झारखंड
- मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग - आंध्र प्रदेश
- रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग - तमिलनाडु
पार्थिव शिवलिंग क्या है?
इन सभी के क्रम में भगवान शिव का एक रूप पार्थिव शिवलिंग भी है। पार्थिव शिवलिंग मिट्टी या रेत से बनाया गया शिवलिंग है, जिसके पूजा का सबसे ज्यादा महत्व बताया गया है। पार्थिव शिवलिंग का निर्माण अक्सर सावन, प्रदोष और शिवरात्रि के अवसर पर किया जाता है। इसे आप घर, मंदिर, बेल वृक्ष और शमी वृक्ष के नीचे बनाकर पूजा कर सकते हैं।
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