मार्च का महीना आते ही त्योहारों की झड़ी लग जाती है। इस महीने में बड़े-बड़े त्योहार आते हैं। खासतौर पर होली जैसा त्योहार मार्च में ही हर साल आता है। इस बार होली के साथ-साथ मार्च में और भी बड़े-बड़े त्योहार आ रहे हैं। इस लेख में हम आपको मार्च में आने वाले त्योहारों के बारे में और उनकी तिथि, वार और पूजा का शुभ मुहूर्त भी बताएंगे।
हिंदू कलेंडर के हिसाब से साल भर में कई एकादशी आती हैं और सभी का अलग महत्व होता है। विजय एकादशी भी हिंदुओं में बहुत ज्यादा पवित्र मानी गई है। इस दिन जो भी श्री विष्णु जी का व्रत रखता है, उसे हर कार्य में सफलता मिलती है। इस दिन आप घर पर ही तांबे का कलश स्थापित करें और ब्रत के लिए संकल्प करें और फिर श्री हरी की पूजा करें। हो सके तो इस दिन किसी गरीब की मदद करें और उसे भोजन कराएं।
शुभ मुहूर्त - 6 मार्च को दोपहर 1 बजकर 42 मिनट पर शुरू होगा और 7 मार्च को 4 बजकर 3 मिनट पर यह समाप्त हो जाएगा।
हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि का पर्व बहुत ही ज्यादा महत्व रखता है। वैसे तो हर माह शिवरात्रि आती है, मगर महाशिवरात्रि सबसे बड़ी होती है और इस दिन भगवान शिव और माता पारवती की शादी का उत्सव मनाया जाता है। यह त्योहार हर साल माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन मनाया जाता है। इस दिन शिव-भक्त घर या मंदिरों में जाकर शिव जी का अभिषेक करते हैं। आपको बता दें कि महाशिवरात्रि के दिन 4 प्रहर की पूजा होती है। इस आपको पूरे दिन महामृत्युंजय मंत्र का जाप या शिव के पंचाक्षर मंत्र ॐ नमः शिवाय का जाप करना चाहिए।
शुभ मुहूर्त - पूरे दिन आप आप पूजा कर सकते हैं। जैसे ही प्रहर बदल रहा हो तब भी आप पूजा कर सकते हैं।
फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष में आने वाली अमावस्या को ही फाल्गुन की अमावस्या कहा जाता है। इस अमावस्या पर आपको सूर्य देव को तर्पण देना चाहिए और किसी पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए। इस दिन आप अपने पितरों की आत्म की शांति के लिए उपवास रख सकती हैं या फिर गरीबों को खाना खिला सकती हैं। इस दिन आप पिपल के पेड़ में भी जल चढ़ा सकती हैं और सरसों के तेल का दिया जला सकती हैं।
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शुभ मुहूर्त - 9 मार्च को शाम 6 बजकर 19 मिनट पर शुरू होकर 10 मार्च को 2 बजकर 32 मिनट पर समाप्त होगा।
आमलिका एकादशी पर आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है। ऐसा कहा जाता है कि आंवले के पेड़ में भगवान विष्णु का वास होता है। इस दिन आप आंवला ग्रहण भी कर सकती हैं और आंवले का दान भी कर सकती हैं। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन आंवले का उबटन आप शरीर में लगा सकती हैं, आंवला ठंडा होता है और इससे शरीर में भी ठंडक आ जाती है और इसके बाद आपको स्नना करना चाहिए। मान्यता है कि आंवले की पूजा करना यानि कि श्री हरी की पूजा करना। ऐसे में आपको जो फल प्राप्त होते हैं, वह भी बहुत शुभ होते हैं।
शुभ मुहूर्त - 20 मार्च को दोपहर 1 बजकर 41 मिनट पर यह पर्व शुरू होगा और 21 मार्च को शाम 4 बजकर 7 मिनट पर यह पर्व खत्म हो जाएगा।
होलिका दहन के पीछे की कहानी क्या है यह तो हम सभी जानते हैं। आठ दिन के होलाष्टक के बाद होलिका दहन किया जाता है, जिसके बाद से शुभ कार्य शुरू होते हैं। होलिका दहन को छोटी होली भी कहा गया है। इस दिन दहन के बाद लोग एक-दूसरे को गुलाल लगाते हैं और शुभकामनाएं भी देते हैं। होलिका दहन के दूसरे दिन होली खेली जाती है और इस दिन रंग खेलने के साथ-साथ एक दूसरे के गले लगने और पुराने गिले-शिकवे भूलने का रिवाज है।
शुभ मुहूर्त - 24 मार्च को रात 11 बजकर 15 मिनट पर शुरू होकर 25 मार्च को 12 बजकर 23 मिनट पर दहन समाप्त होगा।
रंग पंचमी के पर्व पर होली का समापन होता है। इस दिन बृज में 40 दिनों से चला आ रहा होली का उत्सव समाप्त होता है।
शुभ मुहूर्त - 29 मार्च को रात 8 बजकर 15 मिनट में पंचमी शुरू होगी और रात 9 बजकर 15 मिनट पर समाप्त होगी।
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