
हिंदू पंचांग के अनुसार एकादशी तिथि का खास महत्व है। हर माह में यह तिथि दो बार आती है और पूरे साल में 24 एकादशी तिथियां होती हैं। हर महीने के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष के ग्यारहवें दिन को एकादशी के नाम से जाना जाता है और इस दिन भगवान विष्णु का पूजन विधि-विधान के साथ किया जाता है।
मान्यता है कि इस तिथि में व्रत करने से और विधि-विधान से पूजन करने से मनोकामनाओं की पूर्ति होती है और जीवन में सौहार्द्र बना रहता है।
एकादशी व्रत को मोक्ष प्राप्ति का मार्ग भी माना जाता है। हर महीने की ही तरह नवंबर के महीने में भी दो एकादशी तिथियां पड़ेंगी। पहली देवउठनी या प्रबोधिनी एकादशी और दूसरी उत्पन्ना एकादशी। आइए ज्योतिर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी से जानें इन दोनों ही एकादशी तिथियों की सही तिथि, पूजा विधि और अन्य बातों के बारे में।

हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की देवउठनी एकादशी 12 नवंबर, मंगलवार के दिन मनाई जाएगी।
अगर आप देवउठनी एकादशी का व्रत करते हैं तो 12 नवंबर को सुबह 6:42 से पूजा आरंभ कर सकते हैं। यह मुहूर्त 7:52 तक है और सर्वार्थ सिद्धि योग भी है जिसमें किया गया पूजन विशेष रूप से फलदायी होता है। अगर हम ब्रह्म मुहूर्त की पूजा की बात करें तो 12 नवंबर को ब्रह्म मुहूर्त प्रातः 04:56 बजे से सुबह 05:49 तक रहेगा। इसके साथ ही अभिजीत मुहूर्त की पूजा का शुभ मुहूर्त दोपहर 11:44 बजे से दोपहर 12:27 तक रहेगा। यदि आप इस दिन शुभ मुहूर्त में पूजा करेंगे तो आपको विशेष फलों की प्राप्ति होगी।

देवउठनी एकादशी या प्रबोधिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा-अर्चना का विधान है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु पूरे 6 माह की योग निद्रा से बाहर आते हैं और सृष्टि का संचालन वापस अपने हाथ में लेते हैं। इस दिन पूजा विधि-विधान से करनी चाहिए। आइए जानें देवउठनी एकादशी की विधि के बारे में-

किसी भी एकादशी को चंद्रमा की स्थिति और हिन्दू कैलेंडर के अनुसार उनके बदलते समय से मनाया जाता है। जब हम उत्पन्ना एकादशी की बात करते हैं तो यह भारत के ही अलग क्षेत्रों में यह अलग महीनों में मनाई जाती है। जैसे उत्तर भारत में यह एकादशी मार्गशीर्ष महीने में और दक्षिण भारत में यह कार्तिक महीने में मनाई जाती है।
इस व्रत को रखने के लिए आप एकादशी के एक दिन पहले ही यानी कि दशमी तिथि को ही व्रत का पालन शुरू कर दें। इसका मतलब है कि आप दशमी तिथि से ही भोजन में तामसिक चीजों को शामिल न करें।
अगर आप भी एकादशी का व्रत और पूजन करती हैं तो यहां बताई बातों को ध्यान में रखना जरूरी है, जिससे सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और समृद्धि बनी रहती है। आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह और भी आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से। अपने विचार हमें कमेंट बॉक्स में जरूर भेजें।
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