शास्त्रों में हर देवी-देवता की स्तुति बताई गई है। साथ ही, यह भी बताया गया है कि किस देवी या देवता की स्तुति से कौन से लाभ प्राप्त होते हैं। इसी कड़ी में ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने हमें बताया कि भगवान शिव की स्तुति का पाठ करना भी शुभ फलदायी होता है। रोजाना अगर शिव स्तुति का पाठ किया जाए तो इससे भगवान शिव प्रसन हो जाते हैं और अपनी कृपा बरसाते हैं। जो भी व्यक्ति शिव स्तुति का पाठ करता है उसके साथ पल-पल शिव जी रहते हैं और उसका मार्गदर्शन करते हैं।
शिव स्तुति के पाठ से यमराज भी व्यक्ति को आहत नहीं कर पाते हैं। शिव स्तुति के पाठ से स्वास्थ्य बेहतर होता है, बीमारी पैदा करने वाले दोष दूर होते हैं, ग्रह शांत रहते हैं और हर भौतिक सुख की व्यक्ति को प्राप्ति होती है। पूर्ण श्रद्धा से अगर रोजाना शिव स्तुति का पाठ किया जाए तो इससे हर प्रकार की बाधा कटती है और व्यक्ति के भीतर ज्ञान का संचार होता है। व्यक्ति को आत्मिक, मानसिक, शारीरिक, आर्थिक आदि सभी सुख प्राप्त होते हैं।
शिव स्तुति 1
आशुतोष शशांक शेखर, चन्द्र मौली चिदंबरा, कोटि कोटि प्रणाम शम्भू, कोटि नमन दिगम्बरा।।
निर्विकार ओमकार अविनाशी, तुम्ही देवाधि देव, जगत सर्जक प्रलय करता, शिवम सत्यम सुंदरा।।
निरंकार स्वरूप कालेश्वर, महा योगीश्वरा, दयानिधि दानिश्वर जय, जटाधार अभयंकरा।।
शूल पानी त्रिशूल धारी, औगड़ी बाघम्बरी, जय महेश त्रिलोचनाय, विश्वनाथ विशम्भरा।।
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नाथ नागेश्वर हरो हर, पाप साप अभिशाप तम, महादेव महान भोले, सदा शिव शिव संकरा।।
जगत पति अनुरकती भक्ति, सदैव तेरे चरण हो, क्षमा हो अपराध सब, जय जयति जगदीश्वरा।।
जनम जीवन जगत का, संताप ताप मिटे सभी, ओम नमः शिवाय मन, जपता रहे पञ्चाक्षरा।।
आशुतोष शशांक शेखर, चन्द्र मौली चिदंबरा, कोटि कोटि प्रणाम शम्भू, कोटि नमन दिगम्बरा ।।
कोटि नमन दिगम्बरा।। कोटि नमन दिगम्बरा।। कोटि नमन दिगम्बरा।।
शिव स्तुति 2
नमामि शम्भुं पुरुषं पुराणं नमामि सर्वज्ञमपारभावम्। नमामि रुद्रं प्रभुमक्षयं तं नमामि शर्वं शिरसा नमामि॥१॥
नमामि देवं परमव्ययंतं उमापतिं लोकगुरुं नमामि। नमामि दारिद्रविदारणं तं नमामि रोगापहरं नमामि॥२॥
नमामि कल्याणमचिन्त्यरूपं नमामि विश्वोद्ध्वबीजरूपम् । नमामि विश्वस्थितिकारणं तं नमामि संहारकरं नमामि ॥३॥
नमामि गौरीप्रियमव्ययं तं नमामि नित्यंक्षरमक्षरं तम् । नमामि चिद्रूपममेयभावं त्रिलोचनं तं शिरसा नमामि ॥४॥
नमामि कारुण्यकरं भवस्या भयंकरं वापि सदा नमामि । नमामि दातारमभीप्सितानां नमामि सोमेशमुमेशमादौ ॥५॥
नमामि वेदत्रयलोचनं तं नमामि मूर्तित्रयवर्जितं तम् । नमामि पुण्यं सदसद्व्यातीतं नमामि तं पापहरं नमामि ॥६॥
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नमामि विश्वस्य हिते रतं तं नमामि रूपापि बहुनि धत्ते । यो विश्वगोप्ता सदसत्प्रणेता नमामि तं विश्वपतिं नमामि ॥७॥
यज्ञेश्वरं सम्प्रति हव्यकव्यं तथागतिं लोकसदाशिवो यः । आराधितो यश्च ददाति सर्वं नमामि दानप्रियमिष्टदेवम् ॥८॥
नमामि सोमेश्वरंस्वतन्त्रं उमापतिं तं विजयं नमामि । नमामि विघ्नेश्वरनन्दिनाथं पुत्रप्रियं तं शिरसा नमामि ॥९॥
नमामि देवं भवदुःखशोक विनाशनं चन्द्रधरं नमामि । नमामि गंगाधरमीशमीड्यं उमाधवं देववरं नमामि ॥१०॥
नमाम्यजादीशपुरन्दरादि सुरासुरैरर्चितपादपद्मम् । नमामि देवीमुखवादनानां ईक्षार्थमक्षित्रितयं य ऐच्छत् ॥११॥
पंचामृतैर्गन्धसुधूपदीपैः विचित्रपुष्पैर्विविधैश्च मन्त्रैः । अन्नप्रकारैः सकलोपचारैः सम्पूजितं सोममहं नमामि ॥१२॥
आप भी इस लेख में दी गई जानकारी के माध्यम से यह जान सकते हैं कि आखिर रोजाना शिव स्तुति का पाठ करने से क्या लाभ मिलते हैं। अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
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